Who is Sudhanshu Mani: देश के कई हिस्सों में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की शुरुआत कर दी गई है। वंदे भारत देश की एकलौती ऐसी ट्रेन है, जो 52 सेकंड में 0 से 100 किलोमीटर की रफ्तार पकड़ने में सक्षम है। आलम यह है कि वंदे भारत ट्रेन में रफ्तार के मामले में बुलेट ट्रेन को भी पीछे छोड़ दिया है। गांधीनगर-मुंबई के बीच हुए ट्रायल के दौरान वंदे भारत ट्रेन रफ्तार के मामले में बुलेट ट्रेन से आगे निकल गई ऐसे में क्या आप जानते हैं कि इसे पूरा करने वाले वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के जनक सुधांशु मणि कौन है?
कौन है वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन के जनक सुधांशु मणि
सुधांशु मणि का नाम भारतीय रेलवे के कामयाब मैकेनिकल अफसरों में गिना जाता है। सुधांशु मणि ने ही इंटीग्रेटेड कोच फैक्ट्री चेन्नई में जीएम रहते हुए बिना इंजन वाली सेमी हाई स्पीड ट्रेन को चलाने का सपना देखा था। अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्होंने दिन रात मेहनत कर 18 महीने में इस सेमी हाई स्पीड ट्रेन को बनाया था। बता दें इस ट्रेन को पहले ट्रेन 18 का नाम दिया गया था, लेकिन बाद में इसका नाम बदलकर वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन कर दिया गया। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन का अपडेटेड वर्जन शुक्रवार को गांधीनगर से मुंबई के बीच चलाया गया।
स्पीड के मामने में वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन है सबसे आगे
गौरतलब है कि साल 2018 में रेलवे विदेश से सेमी हाई स्पीड ट्रेन को आयात की प्लानिंग कर रहा था। तभी सुधांशु मणि ने साल 2016 में इंटीग्रल कोच फैक्ट्री चेन्नई के महाप्रबंधक का पदभार संभालते हुए विदेश से आने वाली सेमी हाई स्पीड ट्रेन से आधे कीमत पर स्वदेशी तकनीक का उपयोग करते हुए यूरोप स्टाइल वाली सेमी हाई स्पीड ट्रेन का निर्माण करने की योजना बनाई। वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन की सबसे खास बात यह है कि यह self-propelled के साथ 180 किलोमीटर की गति से पटरी पर दौड़ने में सक्षम है।
सुधांशु मणि ने सबसे पहले बिना किसी ग्लोबल निर्माता के सहयोग के इस प्रोजेक्ट को तैयार करने की प्लानिंग की थी। हालांकि जब उन्होंने इस प्रस्ताव को रेलवे बोर्ड के अफसरों के सामने रखा तो यह बात सभी को खटकी, लेकिन सुधांशु मणि अपने फैसले पर अड़े रहे और इसी कि दिन रहा कि उन्होंने अपने प्रयासों से पहले इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दिलाई और बाद में देश के लिए सबसे बड़ी चुनौती वाली ट्रेन 18 के लिए सेमी हाई स्पीड की क्षमता की बोगियों का एक फ्रेम तैयार किया। उनकी ये तलाश कानपुर आकर खत्म हुई। सुधांशु मणि के आग्रह पर यहां एक कंपनी ने ट्रेन 18 की बोगियों का फ्रेम बनाकर आईसीएफ को सौंपा।
पहले ट्रेन 18 रखा गया था नाम
इसके बाद फैक्ट्री के 50 रेलवे इंजीनियरों की टीम ने पहले तो लगातार काम करते हुए चेयर कार श्रेणी वाली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को डिजाइन किया। इसके डिजाइन को बनाते समय सबसे बड़ी चुनौती यह थी कि तेज एक्सीलरेशन के लिए जो इंजन बोगियों के नीचे लगाए जाने थे, उसके लिए भी एक खास डिजाइन तैयार करना था। इसके बाद जब डिजाइन तैयार हुआ तो फैक्ट्री के 500 कर्मचारियों ने मिलकर 18 महीने में वंदे भारत का प्रोटोटाइप रेट अक्टूबर 2018 में तैयार कर दिया और इसी वजह से इस ट्रेन का नाम पहले ट्रेन 18 रखा गया था।
वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को लेकर इसके जनक सुधांशु मणि का कहना है कि देश को यह अगली वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन जल्द ही मिलने जा रही है। यह बदलते भारत के एक नए युग की शुरुआत होगी। ट्रेन 18 की अपेक्षा इस वंदे भारत एक्सप्रेस की एक्सीलरेशन क्षमता को बढ़ाया गया है। साथ ही इसमें यात्रियों की सुविधा के लिए भी कुछ बदलाव किए गए हैं।
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