हम जब भी जासूसी और जासूसों की बात करते हैं तो हमारे जहन में बेहद गिने-चुने नाम आते हैं, जिनमें जेम्स बॉन्ड, ब्योमकेश बक्शी, शेरलॉक होम्स यहीं लोग है। लेकिन क्या कभी आपने रजनी पंडित के बारे में सुना है? रजनी पंडित (Rajani Pandit) भारत की पहली महिला प्राइवेट जासूस (Rajani Pandit India’s First Detective) है, जिन्हें लेडी शेरलॉक और लेडी बांन्ड के नाम से जाना जाता है। उन्होंने अब तक के अपने जासूसी करियर में 80,000 से ज्यादा के सॉल्व किए हैं।
कौन हैं रजनी पंडित
रजनी पंडित 55 साल की हो गई है। साल 1991 में उन्होंने अपनी एजेंसी की शुरुआत की थी। इस दौरान महज 22 साल की थी। आज उनकी टीम में काफी लोग काम करते हैं और अब तक वह 80 हजार से ज्यादा के सॉल्व कर 57 अवार्ड अपने नाम कर चुकी है। रजनी पंडित महज 22 साल की थी, जब उनके जहन में अपने पैर पर खड़े होने और कुछ कर दिखाने का ख्याल आया।
ग्रेजुएशन की पढ़ाई करने के दौरान ही उन्होंने काम करना शुरू कर दिया। इस दौरान एक ऑफिस में क्लर्क की नौकरी मिली। रजनी ने अपने पैरों पर खड़े होने की शुरुआत इसी ऑफिस से की। इस दौरान उन्होंने कई अलग-अलग चीजें देखी। उनके अंदर एक बात हमेशा से ही अलग थी कि वह लोगों को परखती थी और उनकी सोच को समझती थी। उनकी यही आदत उन्हें सच्चाई की परख करने के दौरान आगे चलकर काम आई।
पिता के गुर से सिखा हुनर
रजनी के पिता सीआईडी में कार्यरत है। अपने पिता की इन आदतों के गुर उनमें भी आ गए। उन्होंने अपने पिता से जासूसी के छोटे-छोटे गुर सीख लिए। एक दिन की बात है वह जिस ऑफिस में काम कर रही थी वहां की सहकर्मी महिला ने रजनी से अपनी परेशानी साझा की । उसने बताया कि उसके घर में चोरी हो गई है, लेकिन चोर का कोई पता नहीं चल रहा। महिला ने यह भी बताया कि उसे अपनी ही नई बहू पर चोरी को लेकर शक है। उसे पता था कि रजनी की इन बातों में ज्यादा दिलचस्पी है और वह किसी अन्य पर भरोसा भी नहीं कर सकती थी। इसलिए रजनी ने इस गुत्थी को सुलझाने का जिम्मा उठाया।
यहां से हुई शुरूआत
ऐसे में अब तक पिता के सीआईडी किस्से सुनती आई रजनी के सामने अब खुद एक किस्सा लिखने का मौका था। उन्होंने बिना देर किए उस औरत के घर से लेकर गली तक नजर घुमाई और जांच की। रजनी की मेहनत रंग लाई और उन्होंने लंबी मशक्कत के बाद गुत्थी को सुलझा लिया। असल में औरतों का शक गलत था। यह चोरी उसी औरत के बेटे ने की थी। सवाल जवाब होने के बाद आखिर में उसने अपना गुनाह कुबूल किया। यह रजनी का पहला केस था।
रजनी से लेडी बॉन्ड का सफर
इसके बाद वह ढूंढ-ढूंढ कर केस करने लगी। एक के बाद एक केस सॉल्व करने के चलते उनके कारनामों की भनक दूसरों को भी लगने लगी। वही जब यह बात पिता को पता चली, तो उन्होंने कहा- तुम्हें अंदाजा भी है कि यह काम कितना खतरनाक है, लेकिन रजनी अब मन में ठान चुकी थी कि वह इसे ही अपना प्रोफेशन बनाएंगी। खतरों के साथ खेलते हुए रजनी (Rajani Pandit Detective career) ने अपने सफर की शुरुआत की।
पिता से हरी झंडी मिलने के बाद अब उन्हें किसी की परवाह नहीं थी। उन्होंने अपनी खोजबीन जारी रखी और धीरे-धीरे कई न्यूज़ चैनल और अखबारों ने भी उनकी स्टोरी को कवर किया। इस तरह रजनी भारत की पहली डिटेक्टिव महिला (First Lady Detective In India) बन गई।
कई गुत्थियां की सॉल्व
रजनी ने अपने जीवन में कई कठिन केस को भी सुलझाया है। इनमें चोरी, हत्या जैसे मामले भी शामिल है। अपने इस सफर के दौरान गुत्थी को सुलझाने के लिए रजनी कभी नौकरानी बनी तो कभी प्रेग्नेंट महिला का किरदार निभाया, लेकिन हर एक केस को हाथ में लेने के बाद उन्हें चैन तभी आया, जब उन्होंने उस गुत्थी को सुलझा दिया।
अब तक के अपने सफर में रजनी पंडित ने कुल 80,000 केस सॉल्व किए हैं। फेसिस बिहाइंड फेसिस और मायाजाल नाम से उन्होंने दो किताबें भी लिखी है। इसके अलावा दूरदर्शन के द्वारा उन्हें हिरकणी अवार्ड के साथ-साथ कई अन्य पुरस्कारों से भी नवाजा गया है।
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