Mughal Garden Aka Amrit Udyan: 106 साल पुराने मुगल गार्डन का नाम केंद्र सरकार द्वारा बदल दिया गया है। अब से मुगल गार्डन को अमृत उद्यान के नाम से जाना जाएगा। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने अमृत महोत्सव के मद्देनजर राष्ट्रपति भवन में स्थित मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया है। ऐसे में हम आपको मुगल गार्डन के इतिहास के बारे में बताते हैं, जो अंग्रेजों के काल से शुरू हुआ था। 106 साल पुराने मुगल गार्डन का इतिहास बेहद दिलचस्प है।
क्या है मुगल गार्डन का इतिहास? (Mughal Garden History)
मुगल गार्डन का इतिहास साल 1911 से शुरू हुआ था। इस दौरान जब अंग्रेजों ने कोलकाता के बदले दिल्ली को देश की राजधानी बनाया, तब रायसेन की पहाड़ी को काटकर वायसराय हाउस जिसे मौजूदा समय में राष्ट्रपति भवन के नाम से जाना जाता है इसे बनाने का फैसला किया गा। खास बात यह थी कि इसे बनाने के लिए इंग्लैंड के ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस को बुलाया गया था, जिन्होंने वायसराय हाउस यानी राष्ट्रपति भवन को डिजाइन किया।
साल 1917 में राष्ट्रपति भवन को बनाने का निर्माण कार्य शुरू हुआ। इसकी सुंदरता को बढ़ाने के लिए इसमें इसके निर्माण के दौरान हैं एक खास तरह के बगीचे को बनाने का फैसला किया गया, जहां हर तरह के फूल, पत्ती, पेड़ों और प्रजातियों को लगाने के बारे में सोचा गया। हालांकि इस दौरान वायसराय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग को यह बाग पसंद नहीं आया था। ऐसे में साल 1928 में एक बार फिर मुगल गार्डन को बदले हुए स्वरूप के साथ तैयार किया गया। 1928 से 1929 तक इसके प्लांटिंग पर काम चलता रहा।
कैसे पड़ा ‘मुगल गार्डन’ नाम (Mughal Garden Name History)
बात इसके मुगल गार्डन नाम पड़ने की करें तो बता दें कि 16वीं शताब्दी में बाबर के हमले के बाद दिल्ली में मुगलों ने अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया था। इसके बाद हुमायूं, अकबर, शाहजहां और औरंगजेब एक के बाद एक दिल्ली की सत्ता की गद्दी को संभालते रहें। अपने कार्यकाल के दौरान देशभर के बाग बगीचों का निर्माण कराया था। इस दौरान दिल्ली में भी एक हजार से ज्यादा बाग बनाए गए। बाद में अंग्रेजों ने मुगलों की परंपराओं को अंग्रेजी सौंदर्यशास्त्र के साथ एक कर दिया और इसी के साथ इस गार्डन का नाम मुगल गार्डन पड़ गया।
मुगल गार्डन का डिजाइन ताजमहल और जम्मू कश्मीर के बगीचे की तरह बेहद खूबसूरत और आकर्षक करने वाला है। बता दे मुगल गार्डन को चार भागों में बांट कर तैयार किया गया है, जिसमें चतुर्भुजकार बाग, पर्दा बाग, लंबा बाग और वृत्ताकार भागों में बांटा गया है।
आम जनता के लिए कब खोला गया था मुगल गार्डन
यह बात तो सभी जानते हैं कि ब्रिटिश शासन के दौरान मुगल गार्डन की खूबसूरती को देखना आम लोगों को नसीब नहीं था। ब्रिटिश शासक सिर्फ अपने मेहमानों को ही इस गार्डन की सैर कर आते थे, लेकिन 26 जनवरी 1950 को जब भारत गणतंत्र रूप से स्थापित हुआ। तब भारत के राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने इस वायसराय हाउस का नाम बदलकर राष्ट्रपति भवन कर दिया और इसके साथ ही मुगल गार्डन को आम लोगों के लिए खोलने की आजादी भी दे दी। तब से लेकर आज तक हर साल वसंत ऋतु के मौसम में इस गार्डन को आम जनता के लिए खोला जाता है।
कैसा है मुगल गार्डन का नजारा
बता दे मुगल गार्डन 15 एकड़ में फैला है, जिसमें कई अलग-अलग तरह के खूबसूरत रंग-बिरंगे फूल लगे हुए हैं। मुगल गार्डन की खूबसूरती के चर्चे सिर्फ देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी है और यही वजह है कि जब मुगल गार्डन को खोला जाता है, तब विदेश से सैलानी भी इसे देखने आते है और इसकी खूबसूरती का लुफ्त उठाते हैं। मुगल गार्डन का नाम अब अमृत उद्यान हो गया है।
बता दे अमृत उद्यान में 138 तरह के गुलाबों के साथ 10,000 से ज्यादा ट्यूलिप और 70 अलग-अलग तरह के प्रजातियों के फूलों के अलावा 5,000 मौसमी फूल भी होते हैं, जो लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचते ।हैं मुगल गार्डन को हर साल 31 जनवरी से 26 मार्च तक आम लोगों के लिए खोला जाता है। इसके बाद इसमें 28 मार्च को सिर्फ किसानों की एंट्री होती है और 29 मार्च को दिव्यांग लोगों को इसमें जाने की अनुमति होती है। बात पुलिस सुरक्षा बल और सेना के परिवारों की करें तो बता दें कि इन लोगों को 30 मार्च को मुगल गार्डन में एंट्री मिलती है।
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