“हार के जीतने वाले को बाजीगर कहते है”, इसे सही साबित किया इस IAS ऑफिसर ने, जाने पूरी कहानी

फिल्मी दुनिया में एक बेहद चर्चित डायलाग है की हार के जीतने वाले को बाजीगर कहते है। जिंदगी में असफलता मिलने के बाद जो लोग हार कर बैठ जाते है वो लूज़र कहलाते है लेकिन जो हार जाने के बाद मजबूती से सामने आते है और जिंदगी से लड़ कर अपनी जीत पक्की करते है वो ही असली योद्धा होते है। ऐसे ही एक योद्धा है जयागणेश जिनकी जिंदगी में बेहद कठिनाई आई पर उन्होंने कभी अपना संयम नही खोया और लगातार लड़ते रहे जिसके परिणाम स्वरूप आज उन्होंने अपनी जिंदगी में सफलता हासिल की है।

बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले जयागणेश के पिता फैक्ट्री में काम करते थे और महीने के 4500 रुपये से अपने परिवार का पालन पोषण करते थे। इतने पैसों में उनके पिता के लिए घर चलाना और जयागणेश कि पढ़ाई के लिए पैसे इकट्ठा करना असंभव थे। घर की ऐसी स्तिथि देखने के बाद छोटे से उम्र में ही जय ने यह ठान लिया था कि वह अपने घर की स्तिथियों को बदलेंगे।

बहुत खराब थी आर्थिक हालत

घर की खराब स्तिथि के बावजूद जय ने पढ़ाई की और अपने 12वीं के परीक्षा में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त किये। अच्छे नंबरों से पास होने के बाद जय ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई स्कालरशिप की मदद से पूरी की और एक कंपनी में जॉब करने लगे। लेकिन नौकरी के कुछ समय बाद जय को यह अहसास हुआ कि वो अपनी जिंदगी में कुछ और करना चाहते है और इस कारण उन्होंने अपनी जॉब को छोड़ दिया। जिंदगी से कुछ और चाहने वाले जय ने यह महसूस किया कि उनके आस पास बहुत गरीबी है। उनके गांव में ऐसे कई परिवार है जो बेहद कठिन परिस्तिथियों में अपना जीवन काट रहे। ऐसे में हालात को बदलने में लिए जय ने अपनी नौकरी छोड़ दी और कलेक्टर बनने के राह पर निकल गए।

7वीं बार मे निकाला UPSC

अपनी इच्छा को पूरा करने और गाँव में बदलाव लाने के लिए जय आईएएस की तैयारी के लिए चेन्नई रवाना हो गये। चेन्नई में उन्होंने एक कोचिंग सेन्टर के बारे में पता किया जहां आईएएस की तैयारी कराई जाती थी। लेकिन पैसों की कमी के कारण जय ने कई जगहों पर काम कर पैसे इकट्ठा किया और अपनी तैयारी शुरू की। फिर साल 2004 में उन्होंने अपना पहला यूपीएससी का एग्जाम दिया लेकिन फैल हो गए। ऐसा करते करते उन्होंने लगभग 6 बार परीक्षा दिया और फैल होते गए लेकिन उन्होंने अपनी हिम्मत नही हारी ना ही हार कर बैठ गए बल्कि उन्होंने पूरी मेहनत के साथ फिर से 7वीं बार परीक्षा दी और इस बार वह सफल रहे। उन्होंने अपने 7वें अटेम्प्ट में ना सिर्फ परीक्षा पास की बल्कि 156वां रैंक भी हासिल किया।

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