इन 4 कारणों की वजह से अलग हुए थे Hero और Honda, सामने आई पूरी सच्चाई

Hero Honda Break-Up: हीरो और हौंडा दोनों कंपनियां साल 1984 में एक समझौते के तहत एक साथ आई थी, जिसके साथ इनका नाम हीरो-होंडा संयुक्त रूप से पड़ गया था। संयुक्त रूप से इस कंपनी में साझेदारी करते हुए कई गाड़ियां लांच की। दोनों के बीच साझेदारी करीब एक साल 2010 तक चली, लेकिन इसके बाद दोनों के बीच कुछ ऐसा हुआ कि दोनों की राहें अलग हो गई। होंडा ने अपनी पूरी हिस्सेदारी हीरो को बेच दी और हीरो होंडा कंपनी से अलग हो गई। हाल फिलहाल मार्केट में यह दोनों कंपनियां अलग-अलग ऑपरेट की जा रही है।

क्या आप हीरो और होंड़ा के अलग होने के बारे में जानते हैं, अगर नहीं तो बता दे कि हीरो और हौंडा ने मुख्य रूप से रणनीतिक कारणों के चलते भारत में अपनी साझेदारी को खत्म कर दिया था। इसके पीछे चार बड़े कारण थे, जिसमें टैक्निनिकल से लेकर मार्केट में अपना स्वामित्व जमाने तक के कारण शामिल है।

क्यों अलग हुई हीरो और होंडा कंपनी(Hero Honda Break-Up)

बदलते दौर के साथ हीरो और हौंडा ने भारतीय बाजार के लिए अलग-अलग दृष्टिकोण और रणनीति अपनाना शुरू कर दिया, जहां एक ओर हीरो मोटरकॉर्प जो पहले हीरो हौंडा का हिस्सा थी वह ग्लोबल मार्केट में अपना विस्तार करने लगी और अपनी खुद की ब्रांड पहचान बनाने के लिए कंपनी ने स्वतंत्र रूप से काम करना और मार्केट पर केंद्रित होना शुरु कर दिया। तो वहीं दूसरी ओर होंडा कंपनी भी अपने धाक जमाने में लग गई।

इस दौरान साझेदारी खत्म होने के बाद हीरो के लिए होंडा से अलग अपनी ब्रांड आईडेंटिटी स्थापित करना इतना आसान नहीं था। हीरो ने हीरो मोटोकॉर्प नाम से अपने कदम जमाना शुरू किया और होंडा ब्रांड नेम पर लोगो को छोड़ दिया। इसके साथ ही कंपनी ने अपना खुद का ब्रांड बनाने और खुद को स्वतंत्र यूनिट के रूप में स्थापित करने में कई बड़े फैसले लिए। इस दौरान एक लंबी जर्नी तय करने के बाद फाइनली कंपनी अपना मुकाम हासिल कर पाई।

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सिंगल टेक्निकल डेवलपमेंट चाहती थी कंपनी

बता दे साझेदारी खत्म होने के साथ हीरो मोटर कॉर्प को अपनी टेक्नोलॉजी को विकसित करने और इनोवेट करने के लिए स्वतंत्रता मिल गई, जबकि पहले होंडा ही हीरो के टेक्निकल डिपार्टमेंट को हैंडल करती थी। वहीं होंड़ा सिर्फ हीरो को तकनीकी सहायता ही प्रदान नहीं करती थी, बल्कि साथ ही हीरो की टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट का एरिया भी मैनेज करती थी। हालांकि साझेदारी खत्म होने के बाद हीरो अपने टेक्निकल डेवलपमेंट को लेकर फाइनली स्वतंत्र हुई और कंपनी ने खुद के इंजन और मोटरसाइकिल मॉडल बनाने के लिए R&D में निवेश किया।

वैश्विक स्तर पर हीरो का विस्तार चाहती थी कंपनी

वैश्विक स्तर पर हीरो मोटरकॉर्प का विस्तार करने के लिए कंपनी ने कड़ी मेहनत की। साथ ही विस्तार के साथ कंपनी का सपना वैश्विक उपस्थिति बनाए रखना और ग्राहकों की डिमांड को पूरा करना भी था। अलग होने के बाद दोनों कंपनियां संयुक्त रूप से मार्केट में उद्योग से जुड़ी बाधाओं से तो मुक्त हो गई थी, लेकिन दोनों को अपनी-अपनी वैश्विक विस्तार रणनीति को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ी।

ऐसे में खुद को सक्षम बनाने के लिए हीरो और होंडा दोनों कंपनियों ने कड़ी मेहनत की। आज आलम यह है कि हीरो मोटोकॉर्प वैश्विक स्तर पर मजबूत स्थिति में है। वहीं साझेदारी टूटने के बाद दोनों कंपनियां भारतीय बाजार में आज फुल वर्क मोड में एक्टिव है। ऐसे में जहां हीरो मोटरकॉर्प अब भारत की सबसे बड़ी दोपहिया वाहन निर्माता कंपनी बन चुकी है, तो वहीं हौंडा कंपनी इस लिस्ट में दूसरे नंबर पर है।

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