भारतीय सेना अपने दुश्मनों को धूल चटाने के लिए रक्षा क्षेत्र में और मजबूत हो रहा है. भारतीय सेना कई स्वदेशी फाइटर विमान और मशीन पिस्टल डेवलप कर रही है. पिछले दिनों स्वदेशी फाइटर विमानों की खरीदी की खबरें अहम रही साथ ही पहली बार भारत ने स्वदेशी 9 मिमी की मशीन पिस्टल डेवलप कर ली है.
DRDO की पुणे बेस्ट इकाई और भारतीय आर्मी के महू बेस्ट इन्फेंट्री स्कूल ने मिलकर यह कारनामा किया है. भारत ने अपनी पहली स्वदेशी मशीन पिस्टल बना सका. इस स्वदेशी मशीन पिस्टल को अस्मि नाम दिया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक इस मशीन पिस्टल की बनाने की लागत 50,000 से कम होगी और क्वालिटी के हिसाब से इसे एक्सपोर्ट करने की संभावना भी होगी. सबसे खास बात यह है कि यह मशीन पिस्टल भारत अपनी सेना के लिए ही नहीं बल्कि दूसरे देशों को निर्यात करने के बारे में भी सोच सकता है.
यह एक खास किस्म के पिस्तौल होती है इस पिस्तौल में सेल्फ लोडिंग क्षमता होती है इसमें एक साथ कई गोलियां फायर कर सकती है और यह पूरी तरह ऑटोमेटिक भी हो सकती है. इसे छोटी मशीन गवर्नर के तौर पर समझ सकते हैं यानी वह मशीन Gun से हाथ में लेकर चलाना आसान होता है. सब मशीन गन के लिए मशीन क्रिस्टल शब्द वास्तव में जर्मनी से आया.
पहले विश्व युद्ध के दौरान जर्मन सेना में इन हथियारों ने खासी शोहरत हासिल की थी. पहली बार मशीन पिस्टल ऑस्ट्रिया में बनाई गई थी वर्तमान समय में यह हथियार सीमित आवश्यकता या खास मकसद के लिए इस्तेमाल होता है. आपको बता दें कि यह हथियार सबसे बेहतरीन शूटर हथियारों में गिना जाता है.
कैसी हैं स्वदेशी Ashmi
इस स्वदेशी पिस्टल में लोहा रिसीवर कार्बन फाइबर का है लेकिन अब रिसीवर के लिए विमानों की क्वालिटी वाले एलमुनियम का इस्तेमाल किया गया है. स्वदेशी हथियार के कई Part के डिजाइनिंग और प्रोटोटाइपिंग 3D प्रिंटिंग टेक्नोलॉजी से तैयार की गई है. ट्रिगर में भी मेटल 3D प्रिंटिंग का इस्तेमाल हुआ है यह स्वदेशी मशीन पिस्तौल 9mm की गोलियां दागने में सक्षम है.
कहां इस्तेमाल होगी अस्मि
रक्षा मंत्रालय की तरफ से जारी किए गए आधिकारिक बयान में कहा गया कि दुश्मनों से बॉर्डर पर सीधी जंग हो या फिर आतंकवाद निरोधी अभियानों इन सब में Ashmi मशीन पिस्टल की उपयोगिता बेहद अहम साबित होगी. केंद्रीय और राज्य पुलिस की विभिन्न टीमों के लिए यह हथियार कारगर साबित हो सकता है. वीआईपी सुरक्षा दस्तों और पुलिस बलों को यह मुहैया कराया जा सकेगा. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक यह मशीन पिस्तौल इजरायल की यूजी बंदूकों के क्लास की है यह 100 मीटर की दूरी तक मार करने में सक्षम है.
रक्षा मंत्रालय की ओर से बताया गया कि इस हथियार को 4 महीने के रिकॉर्ड टाइम में विकसित किया गया है. इस मशीन पिस्टल की लागत 50,000 से कम की होगी और क्वालिटी बेहतर इसलिए इसे एक्सपोर्ट भी किया जा सकेगा.
गौरतलब है कि स्वदेशी हथियार के डेवलपमेंट के खबर कारवाइन के डेवलपमेंट के करीब 1 महीने बाद ARDI और OAFB ने मिलकर विकसित किया था.
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