लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार रामचंद्र मांझी को मिला पद्मश्री सम्मान

देश में 72 वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्‍या पर आज वर्ष 2021 के लिए पद्म पुरस्‍कारों की घोषणा कर दी गई है। भोजपुरी के शेक्सपियर कहे जाने वाले भिखारी ठाकुर की टोली में रंगमंच पर नाट्य कला का जादू बिखेरने और लौंडा नाच की परंपरा शुरु करने वाले शख्स रामचंद्र मांझी की कला को मिला सम्मान. भिखारी ठाकुर के नाच परंपरा को आगे बढ़ाने वाले रामचंद्र माझी दबे कुचले समाज से आते हैं। भारत सरकार द्वारा पद्मश्री अवार्ड उन्हें 94 वर्ष की उम्र में सूचना प्राप्त हुई।

रामचंद्र मांझी सारण जिले के नगरा तुजारपुर के रहने वाले हैं यह लौंडा नाच के प्रसिद्ध कलाकार हैं इन्हें 2017 में संगीत नाटक अकादमी अवार्ड से भी सम्मानित किया गया था रामचंद्र मांझी की उम्र 94 वर्ष इसके बावजूद भी वह आज मंच पर जमकर थिरकते और अभिनय करते हैं आपको बता दें कि रामचंद्र मांझी को राष्ट्रपति ने प्रस्तुति पत्र के साथ 1 लाख की पुरस्कार राशि भेंट की थी।

केंद्र सरकार के द्वारा सम्मान मिलने पर रामचंद्र मांझी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि उनके जैसे कलाकार को सरकार ने बड़ा सम्मान दिया है। आपको बता दें कि रामचंद्र मांझी आज भिखारी ठाकुर रंगमंडल के सबसे बुजुर्ग सदस्य हैं। जब रामचंद्र मांझी सिर्फ 10 साल के थे तभी से उन्होंने भिखारी ठाकुर के नाच दल में काम करना शुरू कर दिया था। साल 1971 तक रामचंद्र मांझी ने भिखारी ठाकुर के नेतृत्व में काम किया और उनके मरणोपरांत दिनकर ठाकुर, शत्रुघ्न ठाकुर, गौरी शंकर ठाकुर, प्रभुनाथ ठाकुर और रामदास राही के नेतृत्व में काम कर चुके हैं।

आपको बता दें कि लौंडा नाच बिहार के प्राचीन लोक नृत्य में से एक है। बिहार में आज भी लोग लौंडा नाच को बेहद पसंद करते हैं। इसमें लड़का-लड़की की तरह मेकअप करके और एक महिला के वेशभूषा में नृत्य करता है। किसी भी शुभ मौके पर लोग अपने यहां ऐसे आयोजन कराते हैं। हालांकि आज समाज में लौंडा नाच हाशिए पर खड़ा है। नाच मंडली में अब बहुत कम ही कलाकार बचे हैं अब गिने चुने ही लौंडा नाच मंडली बची है। जो इस कला को जिंदा रखे हुए हैं लेकिन उनका भी हाल खस्ता ही है। रामचंद्र मांझी मानते हैं कि उन्हें इतनी पहचान और बड़े सम्मान इसी कला की बदौलत मिली है।

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