डॉ. अब्दुल कलाम के इन 6 आविष्कारों ने भारत को बना दिया सुपर पावर, जानिए इनकी ख़ासियतें

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam)… एक ऐसा नाम जिसके बिना भारत की पहचान अधूरी सी लगती है। एक ऐसा नाम जिसने ना सिर्फ भारत का नाम रोशन किया बल्कि साइंस एंड टेक्नोलॉजी (Science and Technology) की दुनिया में वैश्विक स्तर पर भारत को एक नई पहचान भी दिलाई। भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम राष्ट्रपति (Ex President APJ Abdul Kalam) बनने से पहले इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो (ISRO) और डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन यानी डीआरडीओ (DRDO) में एयर स्पेस साइंटिस्ट भी थी। एपीजे अब्दुल कलाम ने अपने अविष्कारों (Missile Man APJ Abdul Kalam Inventions) से भारत को सुपर पावर बनाया और यही वजह थी कि उन्हें दुनिया भर में मिसाइल मैन (Missile Man APJ Abdul Kalam) कहकर बुलाया जाता है ।

एपीजे अब्दुल कलाम का सफरनामा (APJ Abdul Kalam)

इसरो और डीआरडीओ में काम करने के दौरान डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने भारत को साइंस एंड टेक्नोलॉजी की दुनिया में एक नई पहचान दिलाई। उनके नेतृत्व में भारत के सिविल स्पेस प्रोग्राम और मिलिट्री मिसाइल डेवलपमेंट प्रयासों ने भारत को और भी मजबूती दी। डॉक्टर कलाम के नेतृत्व में बनने वाले प्रमुख हथियारों में अग्नि, पृथ्वी, आकाश, नाग, त्रिशूल और ब्रह्मोस शामिल है। इसके अलावा इस लिस्ट में उनकी कई मिसाइलें और इसरो लॉन्चिंग व्हीकल प्रोग्राम भी शामिल है।

APJ Abdul Kalam

डॉ कलाम ने भारत को 6 ऐसी अनमोल चीजें दी थी, जिन्होंने देश को वैश्विक स्तर पर मजबूती प्रदान की थी। डॉक्टर कलाम के ही प्रयासों का असर था कि आज भारत को दुनिया में सुपर पावर देश के तौर पर देखा जाता है।

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पृथ्वी-1 मिसाइल

डॉक्टर अब्दुल कलाम ने पृथ्वी-1 मिसाइल का पहला परीक्षण 25 फरवरी 1988 को किया था। यह मिसाइल परीक्षण अब्दुल कलाम की देखरेख में ही हुआ था। इस मिसाइल का प्रेक्षण ओडिशा के धामरा तट के द्वीप पर किया गया था। खास बात यह है कि यह मिसाइल 500 से 1000 किलोग्राम वजन के अस्त्र को ले जाने में सक्षम है। इसकी रेंज 200 से 250 किलोमीटर है। पृथ्वी-1 मिसाइल के बाद उन्होंने साल 1996 में पृथ्वी-2, 23 जनवरी 2004 को पृथ्वी-3 मिसाइल का भी सफल परीक्षण किया था।

ब्रह्मोस

डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने ब्रह्मोस का पहला परीक्षण 12 जून 2001 को किया था। इसे खासतौर पर इंडियन आर्मी और नेवी के लिए बनाया गया है। ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे सिर्फ पनडुब्बी में ही नहीं बल्कि पानी के जहाज, विमान या जमीन से भी दुश्मन पर छोड़ा जा सकता है। बता दें ब्रह्मोस की रफ्तार ध्वनि की रफ्तार के बराबर 2.8 मैक है। इसकी रेंज 290 किलोमीटर है और यह 300 किलोग्राम भारी युद्धक सामग्री ले जाने में सक्षम है और किसी भी चलते-फिलते लक्ष्य को भेद सकती है।

अग्नि-1 मिसाइल

अब्दुल कलाम की देखरेख में अग्नि-1 मिसाइल का परीक्षण 25 जनवरी 2002 को किया गया था। स्वदेशी तकनीक से तैयार की गई सतह से सतह पर मार गिराने वाली इस परमाणु मिसाइल की मारक क्षमता 700 से 900 किलोमीटर की है। बता दें यह मिडिल रेंज की ब्लास्टिक मिसाइल है। यह हजार किलो तक परमाणु हथियार को ढोने में सक्षम भी है। अग्नि-1 के बाद अग्नि-2, अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइल का परीक्षण भी सफल तरीके से किया जा चुका है।

Imgae Credit- Trishul

त्रिशूल मिसाइल

एपीजे अब्दुल कलाम द्वारा त्रिशूल मिसाइल का परीक्षण भी सफल रहा था। त्रिशूल सतह से हवा में मार गिराने वाली एक ऐसी मिसाइल है, जो कम दूरी से भी जमीन में हवा तक मार गिराने में सक्षम है। इसकी मारक क्षमता 9 किलोमीटर है। इस मिसाइल का परीक्षण भारत के पूर्व तट पर भुवनेश्वर में 180 किलोमीटर स्थित चांदीपुर की रेंज में किया गया था। खास बात यह है कि जब इसका परीक्षण किया गया तो इस मिसाइल को एक मोबाइल लांचर के जरिए छोड़ा गया। इतना ही नहीं ये मिसाइल जल, थल और वायु तीनों स्तरों पर काम करने में सक्षम है।

आकाश मिसाइल

एपीजे अब्दुल कलाम की देखरेख में स्वदेशी तकनीक से बनाई गई आकाश मिसाइल को डीआरडीओ ने विकसित किया था। यह मिसाइल हवा में दुश्मन के विमान को 40 किलोमीटर की दूरी व 18000 मीटर की ऊंचाई तक टारगेट कर मार गिराने में सक्षम है। इसमें लड़ाकू जेट विमानों, क्रूज़ मिसाइलों और हवा से सतह वाली मिसाइलों के साथ पहले बैलिस्टिक मिसाइलों को बेअसर करने की क्षमता भी है। बता दे आकाश मिसाइल को दो करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया था। आकाश मिसाइल एक पूरे काफिले की अकेले रक्षा करने में सक्षम है।

नाग मिसाइल

थर्ड जनरेशन मिसाइल के तौर पर नाग मिसाइल का परीक्षण किया गया था। इस स्वदेशी मिसाइल को Prospina के नाम से भी जाना जाता है। टैंक भेदी ये मिसाइल 500 मीटर से 4 किलोमीटर तक की मारक क्षमता रखती है। बता दे यह देश की उन पांच मिसाइल परीक्षणों में से एक है जिसे डीआरडीओ ने विकसित किया था। 3.2 करो़ॉ रुपए की लागत से नाग को दागो और भूल जाओ… टैंक रोधी मिसाइल का परीक्षण किया गया था। इसकी सबसे खास बात यह है कि इसे एक बार दागे जाने के बाद दोबारा निर्देश देने की आवश्यकता नहीं होती।

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