DM G Krishnaiah Story: बिहार के पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन को गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया की हत्या के मामले में निचली अदालत से पहले फांसी की सजा सुनाई थी, जिसे ऊपरी अदालत ने उम्र कैद में बदल दिया। वही अब बिहार सरकार ने उनकी इस उम्रकैद की सजा को रिहाई कानून बदलाव का हवाला देते हुए रिहाई में बदल दिया है, जिसके बाद आज बाहुबली आनंद मोहन जेल से रिहा हो गए हैं। आनंद मोहन की रिहाई पर जी कृष्णैया का परिवार सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कर रहा है और सरकार के इस फैसले को गलत ठहरा रहा है। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि जी कृष्णैया की हत्या कैसे हुई थी। अगर नहीं तो आइए हम आपको 4 दिसंबर 1994 को हुए इस हत्याकांड की पूरी कहानी बताते हैं, जिसका जी कृष्णैया के हत्याकांड से गहरा नाता है।
कैसे हुई थी IAS जी कृष्णैया की हत्या
4 दिसंबर 1994 की वो तारीख जिस दिन बिहार के एक कुख्यात गैंगस्टर छोटन शुक्ला की हत्या हुई। हत्या से मुजफ्फरपुर इलाके में खलबली मच गई। हालात खराब हो गए और तनाव को देखते हुए जगह जगह पुलिस की मुस्तैदी लगा दी गई, लेकिन लोगों में इस हत्याकांड के बाद सरकार और पुलिस के खिलाफ खासा नाराजगी थी। ऐसे में 5 दिसंबर को हजारों की तादाद में लोग छोटन शुक्ला का शव रखकर प्रदर्शन करने लगे। इस दौरान गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी कृष्णैया एक खास बैठक में शामिल होने के बाद अपने वापस गोपालगंज लौट रहे थे।
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डीएम जी कृष्णैया सरकार की लाल बत्ती वाली गाड़ी में सवार थे। उन्हें इस बात की बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि आगे हाईवे पर भी हंगामा हो रहा है। ऐसे में जब उनकी कार प्रदर्शनकारियों के बिल्कुल करीब पहुंची, तो सरकार की कार को देखकर लोग भड़क गए। लोगों ने कार पर पथराव करना शुरू कर दिया। इस दौरान जी कृष्णैया भीड़ को समझाने-बुझाने की कोशिश कर रहे थे, कि वह गोपालगंज के डीएम है… मुजफ्फरपुर के नहीं…. लेकिन लोगों ने उनकी एक भी बात नहीं सुनी। भीड़ ने उन्हें कार से बाहर खींच लिया और पीट-पीटकर उन्हें मार डाला। इस दौरान किसी ने गोली चला दी। जी कृष्णैया के इस दर्दनाक हत्याकांड से पूरे बिहार में सनसनी फैल गई।
आनंद मोहन की हुई थी फांसी की सजा
जी कृष्णा के इस निर्मम हत्याकांड में भीड़ को भड़काने में बाहुबली आनंद मोहन का नाम सामने आया। मामले में जांच पड़ताल हुई तो खुलासा हुआ कि आनंद मोहन इस मामले में मुख्य आरोपी थे। साल 2007 में पटना की निचली अदालत ने आनंद मोहन को जी कृष्णैया हत्याकांड के लिए फांसी की सजा सुनाई। हालांकि जब उनकी इस फांसी की सजा को ऊपरी अदालत में चुनौती दी गई, तो ऊपरी अदालत ने फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया।
कौन थे आईएएस जी कृष्णैया
बिहार के मुजफ्फरपुर के डीएम जी कृष्णैया मूल रूप से तेलंगाना के महबूबनगर के रहने वाले थे। जी कृष्णाया बिहार कैडर में 1985 में आईएएस अधिकारी के तौर पर नियुक्त किए गए थे। दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले जी कृष्णाया बेहद साफ-सुथरी छवि के इंसान थे। उन्हें ईमानदार अफसरों में गिना जाता था। साल 1994 में ही उन्हें गोपालगंज का डीएम नियुक्त किया गया था।
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जी कृष्णैया का जीवन हमेशा ही संघर्ष भरा रहा था। आईएएस बनने के लिए उन्होंने कड़ी मेहनत की थी। दरअसल परिवार की आर्थिक स्थिति के चलते कभी वह कुली का काम किया करते थे और कुली रहते हुए ही उन्होंने कड़ी मेहनत करते हुए आईएएस की परीक्षा की तैयारी करना शुरु कर दिया था।
इसी दौरान उन्होंने पत्रकारिता की दुनिया में भी कदम रखा। इसके बाद कुछ समय के लिए वह एकेडमिक्स में भी आ गए। उन्होंने लेक्चर के तौर पर काम किया और इसके बाद एक क्लर्क की भी नौकरी की, लेकिन हमेशा से उनका सपना आईएएस ऑफिसर बनने का था। ऐसे में अपने सपने को पूरा करने के लिए वह दिन रात मेहनत कर रहे थे, लेकिन परिवार चलाने के लिए उन्हें नौकरी करते रहना भी जरूरी था। आखिरकार साल 1985 में उनकी मेहनत रंग लाई और वह यूपीएससी की परीक्षा पास कर आईएएस ऑफिसर बनें, जिसके बाद उन्हें बिहार कैडर में नियुक्त किया गया।
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