Thursday, June 1, 2023

मात्र चौथी पास पाकिस्‍तान का ये लड़का कैसे बना मसालों का राजा, क्‍या ये कहानी जानते हैं आप

आपको MDH मसाले का ऐड तो याद ही होगा जिसके जिंगल्स “असली मसाले सच सच एमडीएच एमडीएच” बेहद मशहूर था। इस ऐड को अगर आपने देखा होगा तो इसमे आपने MDH मसाले वाले दादाजी और मसाले के राजा नाम से मशहूर धर्मपाल गुलाटी को भी जरूर देखा होगा। हालांकि वह अब इस दुनिया में नही है लेकिन क्या आप जानते है कि उन्होंने अपने इस मसाले के बिज़नेस की शुरुवात कैसे की थी? तो चलिए आज हम आपको बताते है धर्मपाल गुलाटी के बारे में जिन्होंने केवल चौथी कक्षा तक ही पढ़ाई की है मगर उन्होंने अपना खुद का इतना बड़ा अंपायर खड़ा कर दिया है।

पाकिस्तान और भारत के बीच बंटवारे मे भारत आए

पाकिस्तान के सियालकोट में जन्मे धर्मपाल के पिता साल 1919 से ही एक छोटी सी मसाले की ‘महाशीयन दी हाट’ नाम की एक दुकान चलाते थे। दुकान पर काम ज्यादा होने के कारण और पिता पर ज्यादा बोझ ना हो इसलिए धर्मपाल ने अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़ दी और पिता के साथ दुकान पर काम करना स्टार्ट किया। फिर जब पाकिस्तान और भारत के बीच बंटवारा हुआ तो चुन्नीलाल अपने पिता धर्मपाल समेत अपने परिवार के साथ भारत आ गए। उस वक़्त उनका जीवन पूरी तरीके से अस्त व्यस्त हो चुका था। लेकिन उन्होंने हर नही मानी और काम की तलाश में धर्मपाल दिल्ली रवाना हो गए।

जिस वक्त धर्मपाल दिल्ली जाने को हुए उस वक़्त उनके पिता ने उन्हें 1500 रुपये खर्च के लिए दिए जिनमे से 650 रुपये उनके आने जाने में खर्च हो गए। फिर जब कुछ दिनों के बाद धर्मपाल ने थोड़े पैसे इक्कठे किये तो उन्होंने अजमल खान रोड पर छोटी सी दुकान खरीदी और मसालों का पुराना व्यापार फिर से शुरू किया।

करोल बाग जुता चप्पल पहनकर नही जाते थे

अपने सफलता के बाद एक इंटरव्यू के दौरान धर्मपाल का कहना था कि उनके लिए करोल बाग बहुत ही पवित्र और शुभ जगहों में से एक है और वो वहां कभी जुता चप्पल पहनकर नही जाते क्योंकि करोल बाग ही वो जगह जहां उनका व्यापार सफल हुआ और उन्होंने सफलता का स्वाद चखा। धर्मपाल का जैसे ही पहला कारोबार चलना शुरू हुआ उन्होंने अपनी एक दूसरी दुकान चांदनी चौक में खरीदी।

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फिर साल 1959 में उन्होंने कीर्ति नगर में प्लाट खरीद मसालों की फैक्ट्री शुरू कर दी और इसी के साथ उनकी MDH यानी कि महाशीयन दी हट्टी लिमिटेड शुरू हो गई.ना सिर्फ केवल भारत में बल्कि MDH के मसाले दुनिया भर में खूब फेमस है और अब यह एक जाना माना ब्रांड बन चुका है। इस कम्पनी के अंदर 50 अलग अलग मसालों को तैयार किया जाता है साथ ही दुनिया के कई हिस्सों में निर्यात भी किया जाता है।

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जब धर्मपाल जिंदा थे तो इस कम्पनी के सारे जरूरी फैसले स्वय ही लिया करते थे। उनका मानना था कि उनकी कम्पनी तीन वजहों से आगे गई जिनमे ईमानदारी से काम, गुणवत्ता उत्पाद और सस्ती कीमतें शामिल है। इतना ही नही वह हर दिन अपने फैक्ट्री और मार्केट का जायजा लिया करते थे ताकि वह इत्मीनान कर सकें कि सभी चीजें बेहद सही तरीके से की जा रही है।

चुन्‍नी लाल चैरिटेबल नाम ट्रस्ट भी चलते हैं

MDH, मसालों की कम्पनी के अलावा धर्मपाल का एक महाशय चुन्‍नी लाल चैरिटेबल नाम ट्रस्ट भी है जिनमे करीब 250 बेड्स है। इस ट्रस्ट का मुख्य काम गांव और स्लम एरिया में मेडिकल सेवाएं पहुंचाना है। साथ ही इस ट्रस्ट के अंर्तगत चार स्कूलों को भी खोला गया है जो उनलोगों की मदद करता है जिनके बच्चे आर्थिक मजबूरियों के कारण स्कूल नही जा पाते।

Manish Kumar
Manish Kumarhttp://biharivoice.com/
Manish kumar is our Ediitor and Content Writer. He experience in digital Platforms from 5 years.

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