बिहार: शराब माफियाओं पर कसा जाएगा शिकंजा! IAS केके पाठक को सीएम नीतीश ने दिये ज़िम्मेदारी

मंगलवार को बिहार के नीतीश कुमार द्वारा शराबबंदी की समीक्षा बैठक की गई थी। इसके एक दिन बाद ही यानि आज बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक बड़ा फैसला लिया है। सीएम नीतीश कुमार के निर्देश पर आईएएस अधिकारी केके पाठक को आज सामान्य प्रशासन विभाग की ओर से निबंधन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में अपर मुख्य सचिव बनाया गया है। बता दें कि वे अपराधियो के लिए कड़े तेवर के लिए मशहूर हैं। इस पद पर उनकी नियुक्ति के बाद चैतन्य प्रसाद (Chaitanya Prasad) को निबंधन उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग में अपर मुख्य सचिव के पद से मुक्त कर दिया गया है।

गौरतलब है की पहले भी सीएम नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून को सख्ती से लागू करने की जिम्मेदारी केके पाठक को दी थी। केके पाठक अपने कड़े तेवर से अपराधियों पर लगाम लगाने के लिए मशहूर हैं। जब् इससे पूर्व भी उन्हें यह जिम्मेदारी सौपी गई थी तो उन्होंने शराब माफियाओं के खिलाफ बड़े अभियान चलाए थे। शराब माफिया उनके नाम से खौफ खाने लगे थे। केके पाठक को वापस से यह बड़ी जिम्मेदारी मिली है, तो बिहार में शराबबंदी कानून सही मायने में लागू हो सकेगा, इसकी उम्मीद जगी है।

शुरुआत मे मिली थी ज़िम्मेदारी

अपराधी को लेकर बेहद सख्त रवैया रखने वाले आईएएस ऑफिसर केके पाठक यूपी के रहने वाले हैं। वे 1990 बैच के अधिकारी हैं। केके पाठक को शराबबंदी कानून के शुरुआती दिनों में ही इसे पूरी तरह लागू कराने की जिम्मेदारी दी गयी थी। केके पाठक ने इस जिम्मेदारी को बखूबी निभाया भी था। उन्होंने शराब माफियाओं के खिलाफ बड़ी कार्रवाई करते हुए बिहार में शराब की बिक्री पर काफी हद तक अंकुश लगाया था। पुनः सीएम नीतीश कुमार ने शून्य से शुरुआत करते हुये अपने पुराने भरोसेमंद अधिकारी पर फिर से भरोसा जताया है।

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केके पाठक को वापस मद्य निषेध विभाग में नियुक्त किए जाने के पश्चात सियासत में भी हलचल होने लगी है। विपक्ष की ओर से इस फैसले पर प्रतिक्रिया भी आनी शुरू हो गयी है। कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने इसे लेकर राज्य सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि केके पाठक को वापस बुलाना सरकार के लिए जरूरी या मजबूरी है। केके पाठक सक्षम थे तो हटाया क्यों गए थे और अक्षम हैं तो फिर बनाए क्यों गए?

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