बिहार के इस जिले के दफ्तर में ना मिलेंगे कोई कागजात न कोई आलमीरा, पेपरलेस हुआ यह पहला जिला

bihar first paperless district : भारत के तमाम हिस्सों में डिजिटलाइजेशन (Digitization Work In India) का दायरा बढ़ता जा रहा है। इस कड़ी में बिहार भी बदलते भारत की इस तस्वीर के साथ नए बिहार की तस्वीर गढ़ रहा है। सरकारी दफ्तरों (Government Office) में टेबल पर धूल से जमीं फाइलों का बोझ और गलियारे में लगी इंसानों से ज्यादा अलमारियों की भीड़ अब आपको देखने को नहीं मिलेगी। दरअसल डिजिटाइजेशन के जरिए देश भर के तमाम हिस्सों में कई राज्य ऐसे हैं, जो पेपर लेस ऑफिस के कांसेप्ट पर काम कर रहे हैं। इस कड़ी में बिहार का सहरसा भी अब इस लिस्ट में अपना नाम दर्ज कराने वाला है, जिसके साथ ही बिहार का सहरसा जिला राज्य का पहला ऐसा जिला बन जाएगा जो पूरी तरह से पेपरलेस होगा।

पेपरलेस होगा आप बिहार का सहरसा

सहरसा के कलेक्ट्रेट दफ्तर में अब आप घुसेंगे तो वहां आपको चारों तरफ लैपटॉप ही लैपटॉप दिखाई देंगे। यहां सूचनाओं की e-tracking शुरू हो चुकी है। खास बात यह है कि बिहार का सहरसा पहला ऐसा जिला बना है, जो अब पूरी तरह से डिजिटलाइजेशन के साथ बदलते हुए पूरी तरह पेपरलेस होगा। सहरसा के जिला मजिस्ट्रेट आनंद शर्मा ने बताया कि- पटना में सहकारिता विभाग के साथ काम करते हुए मुझे एक विभाग के पेपर लेस होने के लाभों का प्रत्यक्ष अनुभव हुआ है। साल 2020 में यह उपलब्धि हासिल करने वाला बिहार का पहला ऐसा विभाग था। जब मैंने इस साल की शुरुआत में सहरसा के डीएम के रूप में यहां पदभार संभाला था, तो मैंने सबसे पहले ऑफिस को पेपर लेस बनाने का काम ही शुरू किया था।

पेपरलेस दफ्तर के क्या है फायदे

साल 2013 बैच के आईएएस अधिकारी और सहरसा के डीएम आनंद शर्मा ने बताया कि पेपर लेस दफ्तर के कई फायदे होते हैं। एक फाइल को अधिकतम 3 दिनों तक रखा जा सकता है। अगर इसमें देरी होती है तो जवाबदेही तय करना आसान नहीं होता। इसके अलावा जब कोई अधिकारी कार्य से बाहर होता है या फिर वह कहीं यात्रा कर रहा हो या घर पर हो तब भी वह अपनी फाइलों को डिस्पोज कर सकता है।

साथ ही उन्होंने बताया कि- ऑफिस को पूरी तरह से पेपरलेस बनाने में पैसा और समय दोनों की ही बचत होती है। इसमें 34 पैसे प्रति पेज की कीमत पर लगभग 25000 फाइलों के लिए लगभग 3 लाख पेज को स्कैन करके डिजिटल फाइल बनाया जा सकता है। यह प्रक्रिया सहरसा के विभागों में हमने फरवरी से ही शुरू कर दी थी।

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सुरक्षित और सस्ती होती है पेपरलेस प्रकिया

डीएम आनंद शर्मा ने बताया कि इसके साथ ही नई प्रणाली के लागू होने से किसान के लिए डिजिटल और उर्वरक सब्सिडी में तेजी लाना भी आसान हो गया है। अब निर्णय आसानी से और तेज गति से लिए जा सकते हैं। अब हम किसी भी समय फाइल की गतिविधि को ट्रैक कर सकते ।हैं इसके अलावा अब बहुत सारा पैसा स्टेशनरी पर होने वाले खर्च से भी बचाया जा सकता है।

डीएम आनंद शर्मा ने बताया कि इसका उपयोग भी आसान है। इसके अलावा नई प्रणाली बेहतर और सुरक्षित भी है। पिछले व्यवस्था में जहां फाइलों की गोपनीयता नहीं थी, तो वहीं नई प्रणाली में इसकी गोपनीयता भी पूरी तरीके से सुरक्षित है। साथ ही फाइलों की आवाजाही में भी तेजी आएगी। मालूम हो कि बिहार के करीबन 15 विभाग अब आंशिक रुप से पेपरलेस हो चुके हैं, लेकिन बिहार के 38 जिलों में से सहरसा कलेक्ट्रेट एकलौता ऐसा जिला है, जो पूरे तरीके से पेपरलेस है।

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