क्या हैं बिहार के कुर्सी समीकरण: नीतीश छोड़ दे तो BJP को कितना होगा नुकसान? आंकड़ों में समझें पूरा खेल

बिहार की राजनीति के तारों का समीकरण पूरी तरह से बिगड़ चुका है। ऐसे में आने वाले कुछ दिन बिहार की राजनीति का रवैया और रुख दोनों तय करेंगे। कहा जा रहा है कि मंगलवार के दिन अगर सब मंगल रहा तो बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिल सकते हैं। जेडीयू  पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के इस्तीफे के बाद बीजेपी पर हमलावर है। ऐसे में अब बिहार की राजनीति का ऊंठ मंगलवार की शाम किस करवट बैठता है, यह तो बैठकों के बाद ही तय होगा। फिलहाल बिहार की राजनीति के गलियारों से आ रही खबर के मुताबिक आज या कल में जेडीयू और बीजेपी गठबंधन तोड़ने का ऐलान कर सकती है। ऐसे में आइए हम आपको बताते हैं कि बिहार का राजनीतिक समीकरण फिलहाल क्या है… किसके पास कितनी कुर्सी है… और अगर नीतीश के साथ बीजेपी का समीकरण टूटता है, तो किसको कितना नुकसान और किसको फायदा होगा?

क्या है जेडीयू-एनडीए गठबंधन के टूटने की वजह

बीजेपी और जेडीयू के बीच बीते कुछ महीनों से अनबन बढ़ती जा रही है। जाति आधारित जनगणना के मुद्दे पर नीतीश कुमार बीजेपी से अलग अपना रुख बुलंद करते नजर आ रहे हैं। इतना ही नहीं उन्होंने विपक्षी दलों के साथ जाति आधारित जनगणना की मांग भी की है। जानकारी के मुताबिक सरकार चलाने में फ्री हैंड नहीं मिलने के अलावा नीतीश चिराग प्रकरण के बाद आरसीपी के इस्तीफे से सीएम कुछ ज्यादा ही नाराज हो गए हैं। बीते कुछ महीनों में नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ अपने रिश्ते को लेकर कई बैठकें की। इतना ही नहीं नीतीश कुमार बीजेपी की कई अहम बैठकों से दूरी भी बनाते नजर आए।

बीजेपी की अहम बैठकों में नहीं शामिल हुए नीतीश

हाल ही में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के सम्मान भोज और राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू के शपथ समारोह में भी नीतीश कुमार ने शिरकत नहीं की। वहीं इससे पहले वह गृह मंत्री अमित शाह के बिहार दौरे में भी सीएम नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए और अब नीति आयोग की बैठक से भी उन्होंने कन्नी काटी। हर बार अलग-अलग बात का बहाना देते हुए वह एनडीए से अलग-थलग नजर आए।

आरसीपी ने बिगाड़ा बीजेपी जेडीयू का गठबंधन

बीते दिनों आरसीपी सिंह को लेकर मचे बवाल के बाद बीजेपी और जेडीयू के बीच दूरियां बढ़नी शुरू हो गई थी। भ्रष्टाचार के मामले में घिरे आरसीपी सिंह को जेडीयू ने नोटिस भेज कई सवाल किए थे, जिसके बाद उन्होंने जेडीयू से इस्तीफा ही दे दिया। पार्टी का आरोप है कि आरसीपी सिंह के बहाने बीजेपी जेडीयू में बगावत कराने की कवायद में जुटी हुई है। इससे दोनों पार्टियों के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है।

whatsapp channel

google news

 

क्या है बिहार की राजनीति के आंकड़े

बात बिहार की राजनीतिक सीटों के आंकड़ों के आधार पर करें तो बता दें बिहार विधानसभा में कुल 243 सीटें हैं। ऐसे में किसी भी पार्टी को यहां अपना बहुमत साबित करने के लिए 122 सीटों का बहुमत जुटाना होगा। बात वर्तमान आंकड़ों की करें तो बता दें बिहार में सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी है, जिसके पास मौजूदा समय में 79 सदस्य हैं। वहीं बीजेपी 77 सदस्यों के साथ दूसरे नंबर पर है और 45 सदस्यों के साथ जेडीयू तीसरे नंबर पर, कांग्रेस के पास 19 और कम्युनिस्ट पार्टी के पास 12 सीटें हैं। इसके अलावा चार सीटें हिंदू आवाम मोर्चा और एक सीट एआईएमआईएम की है और अन्य विधायक निर्दलीय हैं।

कैसे बन सकता है बिहार की राजनीती का नया समीकरण

ऐसे में अगर जेडीयू और एनडीए का गठबंधन टूटता है तो नई सरकार बनाने के लिए जेडीयू किस से हाथ मिला आएगी यह सवाल सभी के जहन में घूम रहा है। मौजूदा समय में जेडीयू के पास 47 विधायक हैं और उसे सरकार बनाने के लिए 77 विधायकों की जरूरत है। बीते दिनों राजनीतिक पटल पर नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच काफी नजदीकियां देखने को मिली है। ऐसे में अगर आरजेडी और जेडीयू राजनीतिक गलियारों में एक साथ आते हैं, तो आरजेडी के 79 विधायक मिलाकर गठबंधन के पास 124 सदस्य हो जाएंगे, जो कि बहुमत से ज्यादा है।

इसके साथ ही अगर आरजेडी और जेडीयू के गठबंधन में कांग्रेस के 19, कम्युनिस्ट पार्टी की 12 विधायकों की लिस्ट जुड़ जाती है, तो कुल मिलाकर बहुमत का आंकड़ा 155 विधायकों का हो जाएगा। इसके अलावा जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदू आवाम मोर्चा के पास भी 4 विधायक है लेकिन जीतन गठबंधन में शामिल होते हैं या नहीं… यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

Share on