पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का 16 अगस्त 2018 को निधन हो गया। लेकिन उनकी स्मृतियां हम सब के बीच हमेशा जीवित रहेंगी। जब भी कोई राष्ट्राध्यक्ष भारत दौरे पर आता है तो वह ताजमहल का दीदार जरूर करना चाहता है। लेकिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी बाजपेई जी दो बार आगरा आए लेकिन ताजमहल के मुख्य गुंबद के अंदर नहीं गए और ना ही विजिटर बुक में कुछ लिखा।
बात आज से 43 वर्ष पहले 1977 की है, जब अटल जी ब्रिटिश प्रधानमंत्री के साथ ताजमहल देखने के लिए आए थे। तब अटल बिहारी वाजपेयी को ब्रिटिश प्रधानमंत्री लियोनार्ड जेम्स केलघन के स्वागत के लिए बतौर विदेश मंत्री आगरा भेजा गया। अटल बिहारी बाजपाई ब्रिटिश प्रधानमंत्री लियोनार्ड जेम्स कैलेघन के साथ हस्ताक्षर तो किए लेकिन कोई टिप्पणी नहीं की।
उस समय एएसआई के एक अधिकारी ने अटल से ताजमहल को लेकर कुछ शब्द लिखने का आग्रह किया तो अटल जी ने कुछ भी लिखने से इंकार कर दिया और मुस्कुराते हुए कहा कि ताज पर मेरी लिखी कविता पढ़ लेना।
ताजमहल बेशक दुनियाभर में अपनी खूबसूरती के लिए मशहूर है। लेकिन पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने इस पर जो कविता लिखी, उस कविता में ताजमहल की खूबसूरती का कोई जिक्र नहीं किया। उन्होंने उसमें मजदूरों का दर्द बयां किया है।
ये है कविता
यह ताजमहल, यह ताजमहल
यमुना की रोती धार विकल
कल कल चल चल
जब रोया हिंदुस्तान सकल
तब बन पाया ताजमहल
यह ताजमहल, यह ताजमहल
अटल बिहारी बाजपेई इसके बाद प्रधानमंत्री के रूप में 15 जुलाई 2001 को पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के साथ आगरा शिखर वार्ता के लिए आए थे। लेकिन तब वह ताजमहल नहीं गए।अटल बिहारी बाजपेई जी के निधन के बाद पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई थी। जिसे देखो वह बाजपेई जी के भाषणों और कविताओं के जरिए उन्हें याद कर रहा था बाजपेई जी के निधन के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें याद करते हुए भावुक हो गए थें।
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