APJ Abdul Kalam: 8 साल की उम्र मे बेचा करते थे इमली के बीज, मुसीबतों से भरा रहा मिसाइल मैन का बचपन

APJ Abdul Kalam Birth Anniversary: भारत के 11वें राष्ट्रपति और दुनिया के इकलौते मिसाइल मैन के नाम से प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम की आज 91वीं जयंती हैं। अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक बेहद साधारण परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम जैनुलाब्दीन अब्दुल कलाम और माता का नाम आशिमा जैनुलाब्दीन था। अब्दुल कलाम के पिता उन्हें बचपन से ही कलेक्टर बनाना चाहते थे, लेकिन किसी को क्या पता था कि वह भारत में अपने नाम का एक ऐसा स्वर्णिम इतिहास लिखेंगे कि उनका नाम सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा।

बचपन में ही आत्मनिर्भर बन गए थे कलाम

अब्दुल कलाम का जन्म आर्थिक रूप से कमजोर परिवार में हुआ था। ऐसे में उनका बचपन भी गरीबी में बीता। पिता मछुआरों को नाव किराए पर देकर 10 बच्चों का पालन पोषण किया करते थे। यही वजह थी कि अब्दुल कलाम को भी बचपन से ही अपने खर्चों के लिए आत्मनिर्भर होना पड़ा। यही वजह थी कि उन्होंने बचपन में ही पैसों की कीमत को समझ लिया था और बचपन से ही न सिर्फ अपना बल्कि परिवार के अभी आर्थिक रूप से सहयोग करना शुरू कर दिया था।

बचपन में अब्दुल कलाम को करने पड़े ये काम

साल 1939 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान अब्दुल कलाम सिर्फ 8 साल के थे और इसी उम्र में उन्होंने एक आना कमाना भी शुरू कर दिया था। दरअसल इस दौरान अब्दुल कलाम इमली के बीज बेचा करते थे। इस दौरान उनके दिमाग में यह बात हमेशा घूमती थी कि आखिर इमली के बीज महंगे क्यों होते हैं। डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम की किताब में सचिन सिंहल ने इस बात का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा है कि शायद उन्हें भी नहीं पता था कि इमली के बीजों के दाम बढ़ क्यों गए, लेकिन उन्होंने इमली के बीजों को उस समय इकट्ठा करना शुरू कर दिया।

वह इन इमली के बीजों को इकट्ठा करते थे और मस्जिद के पास वाली सड़क पर जाकर बेच दिया करते थे। इस दौरान दिनभर में अब्दुल कलाम एक आने की कमाई कर लिया करते थे। मालूम हो कि द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इमली के बीजों को पीसकर एक खास तरह का पाउडर बनाया जाता था। इस पाउडर का इस्तेमाल युद्ध में काम आने वाली गाड़ियों के इंधन को बनाने के लिए किया जाता था।

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अखबार फेंकने का भी कलाम ने किया काम

अब्दुल कलाम अपने चचेरे भाई शमसुद्दीन से बेहद प्रेरित थे। उन दिनों उनके भाई उस समय स्टेशन पर अखबार उतारने का काम किया करते थे। विश्व युद्ध के समय भारत में अलाइड फॉर्सेस ज्वाइन करने के लिए कहां गया। देश में हालात काफी बिगड़े हुए थे। इमरजेंसी की स्थिति में रामेश्वरम और धनुषकोडी स्टेशन पर ट्रेनें रुकना बंद हो गई थी। ये वो स्टेशन थे जहां पहले अखबार उतारे जाते थे, लेकिन अब ट्रेन नहीं रुकती थी, इसकी वजह से अखबार फेंके जाने लगे। जल्दबाजी में अखबार फेंकने के लिए उनके भाई शमसुद्दीन को उस वक्त एक साथी की जरूरत थी। तब कलाम ने ट्रेन से अखबार के बंडल सेकने का काम भाई के साथ मिलकर करना शुरू किया। इसके जरिए भी उनकी कमाई होने लगी।

जब राष्ट्रपति बनेे एपीजे अब्दुल कलाम

भारत ने साल 1981 में एपीजे अब्दुल कलाम को पद्मभूषण और साल 1990 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया था। इसके बाद साल 1997 में अब्दुल कलाम को देश के सर्वोच्च नागरिक भारत रत्न से भी नवाजा गया। भारत रत्न पाने वाले अब्दुल कलाम देश के तीसरे राष्ट्रपति है। बता दे उनसे पहले भारत रत्न से सर्वपल्ली राधाकृष्णन और जाकिर हुसैन को नवाजा गया था।

परमाणु परीक्षण में कलाम की भूमिका

एपीजे अब्दुल कलाम ने साल 1992 में रक्षा सलाहकार का पद संभाला था। इस दौरान में साल 1999 तक इस पद पर काबिज रहे। मालूम हो कि अटल बिहारी वाजपेई की सरकार ने साल 1996 में पोखरण में दूसरी बार परमाणु परीक्षण किया था, जिसमें एपीजे अब्दुल कलाम की भूमिका अविस्मरणीय है।

अब्दुल कलाम को साल 2002 में भारत के 11 राष्ट्रपति के पद पर नियुक्त किया गया था। उनका राष्ट्रपति कार्यकाल कुछ ऐसा रहा, जिसके यादगार किस्से और जिसकी यादगार झलक आज भी लोगों के दिलों दिमाग में घूमती है। यही वजह है कि आज भी डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम को याद कर लोग यही कहते हैं- कलाम अमर थे अमर है और अमर ही रहेंगे…

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