15 जून से प्रशासक संभालेगे पंचायत प्रतिनिधियों का अधिकार, वर्तमान प्रतिनिधि क्या करेंगे?

पहले EVM और फिर कोरोना की वजह से पंचायत चुनाव बीच मे ही लटक गया है। अब न तो चुनाव हो पा रहे है और न ही पंचायत प्रतिनिधियों को समझ आ रहा है कि वो बरकरार रहेंगे या हटा दिए जायेंगे। इन सब के बीच जो अभी सबसे बड़ी खबर सामने आई है वो ये है कि सरकार अब एक नए अध्यादेश लाने की तैयारी में जुट गई है जो कि एक मात्र विकल्प है। इस नए अध्यादेश मे सरकार पंचायत प्रतिनधियों के अधिकार प्रशासक के हाथों मे देने जा रही है।

बिहार में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अभी अगले 3 महीने तक सम्भव होता नही दिख रहा है। पंचायती राज के करीब ढाई लाख प्रतिनिधियों का कार्यकाल 15 जून को खत्म हो जायेगा। इसलिए राज्य सरकार 15 जून के बाद इनके अधिकार और कर्तव्य को उप विकास आयुक्त, प्रखंड विकास पदाधिकारी और पंचायत सचिव के हाथों में देने जा रही है।

पंचायत चुनाव नही होने के कारण इनके कार्यकाल को आगे बढ़ाने का कोई कानून नही है। इसलिए सरकार कैबिनेट के माध्यम से राज्यपाल के हस्ताक्षर के द्वारा एक नया अध्यादेश लाने की तैयारी में जुटी हुई है। लेकिन चुनाव के बाद नए पंचायत प्रतिनिधियों की शक्तियां बनी रहे इसके लिए ऑफिसरों को कोई नई योजना लाने का अधिकार नही सौंपा गया है। लेकिन अब इसमें भी कई तरह के सवाल खड़े होने लगे हैं जैसे
पंचायत चुनाव आखिर कब? इसके बारे में बताया गया है कि जैसे जैसे कोरोना और बरसात खत्म होते है आम ज़िन्दगी फिर से चलने लगती है तो उसके बाद पंचायत का चुनाव हो सकता है। पंचायत चुनाव के अक्टूबर नवम्बर तक हो सकते है।

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यही रास्ता क्यूँ निकला?

जिस तरह विधानसभा के कार्यकाल की समाप्ति पर रास्ट्रपति शासन लागू हो जाता है। वैसे ही पंचायती राज के भी कार्यकाल को विस्तार देने का नियम नही है। इसलिए सरकार ने ये फैसला लिया है। 15 जून के बाद के कार्यो का जिम्मा डीडीसी , बीडीओ और पंचायत सचिव देखेंगे। जिला परिषद का संचालन जिला परिषद के मुख्य कार्यपालक ही करेंगे।

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वर्तमान प्रतिनिधि क्या करेंगे?

त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था एवं ग्राम कचहरी प्रतिनिधियों की कुल संख्या 2,58,760 है। कार्यकाल की समाप्ति और प्रशासक बहाल होने के बाद यह गांवो की विकास प्रक्रिया से सीधे तौर पर बाहर हो जायेगे। न कोई अधिकार होगा और न ही कोई कर्तव्य। इन सभी के पास चुनाव की तैयारी के अलावा और कोई कार्य नही होगा।

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