Royal Enfield Success Story: रॉयल एनफील्ड की बुलेट बाइक आज के दौर में युवाओं के बीच सबसे ज्यादा पसंद की जाती है। रॉयल एनफील्ड की बुलेट बाइक का नाम जैसे ही आता है, बाइक प्रेमियों के दिलों की धड़कन तेज हो जाती है और वह कान लगाकर बाइक के बारे में जानकारी सुनने को बेताब हो जाते हैं। आलम यह है कि आज रॉयल एनफील्ड सबसे ज्यादा मुनाफा कमाने वाली सबसे बड़ी बाइक निर्माता कंपनी बन गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 1994 में एक वक्त ऐसा भी था जब बुलेट कंपनी दिवालिया होने की कगार पर थी।
दरअसल इस दौरान बुलेट की पैरंट कंपनी इसे बंद करने की तैयारी भी कर चुकी थी, लेकिन तभी एक शख्स ने इसकी कमान संभाली और कुछ ऐसा कर दिखाया कि कुछ ही समय में यह कंपनी देश की शान बन गई। ऐसे में आइये हम आपको 26 साल के युवा सिद्धार्थ लाल के बारे में बताते हैं, जिन्होंने न सिर्फ कंपनी को सबसे हाईएस्ट प्रॉफिटेबल कंपनी बनाया बल्कि इसको इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए कड़ी मेहनत भी की।
20 करोड़ के घाटे से डूब गई थी रॉयल एनफील्ड (Royal Enfield Success Story)
रॉयल एनफील्ड की इस डूबती नैया को पार लगाने वाले शख्स का नाम सिद्धार्थ लाल है। दरअसल साल 2000 में आयशर ग्रुप को बड़ा घाटा हुआ। इसके बाद ग्रुप के सीनियर एग्जीक्यूटिव्स की राय में रॉयल एनफील्ड को बेचना और बंद करना ही ऑप्शन बचे थे। ग्रुप के इस डिवीजन को 20 करोड़ का घाटा हो गया था। इस करोड़ों के घाटे के बाद विक्रम लाल के बेटे सिद्धार्थ लाल ने कंपनी के डिवीजन को नेट प्रॉफिट में लाने के लिए अपने पिता से 24 महीने का समय मांगा। सिद्धार्थ ने इस दौरान बतौर डिवीजन हेड कंपनी की कमान संभाली।
एक के बाद एक बड़े फैसले लिये
एनफील्ड की कमान संभालने के बाद सबसे पहले उन्होंने जयपुर का नया एनफील्ड प्लांट बंद किया। इसके बाद डीलर डिस्काउंट खत्म करने का बड़ा फैसला लिया, जिससे कंपनी का हर महीने का 80 लाख रुपए का भार कम हो गया। सिद्धार्थ लाल ने इसके बाद तय किया कि वह दूसरे मार्केट या सेगमेंट में उतारने का मौका तलाशेंगे और अपने ब्रांड को मजबूत करेंगे। उनके इसी फैसले से रॉयल एनफील्ड के बदलने का दौर शुरू हुआ। इसके बाद सिद्धार्थ लाल ने 18 से 35 साल के युवाओं को टारगेट करना शुरू कर दिया।
युवाओं को टारगेट कर मैदान में रखा कदम
साल 2001 में सिद्धार्थ लाल ने युवाओं को टारगेट करते हुए 350 सीसी बुलेट इलेक्ट्रा बाइक को मार्केट में उतरा। इसमें कामयाबी मिली और युवाओं के बीच यह बाइक कुछ ही समय में सबसे ज्यादा पॉपुलर हो गई। इसके बाद कंपनी ने साल 2002 में थंडरबर्ड को पेश किया। इस बाइक के साथ रॉयल एनफील्ड की गाड़ी चल पड़ी। बेहद कम समय में कंपनी मुनाफा कमाने लगी। सिद्धार्थ ने रिटेल आउटलेट्स और मार्केटिंग पर भी इसके बाद ध्यान देना शुरू कर दिया। उन्होंने ऐसा आउटलेट शुरू किया जहां बाइक खरीदने वालों को बेहतर एक्सपीरियंस मिल सके और उनकी यही सोच कंपनी के लिए सबसे बड़ा प्रॉफिट लेकर आई।
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बुलेट का ट्रेडमार्क मेड लाइक ए वन है। साल 1960 में रॉयल एनफील्ड ने इंग्लैंड में अपनी पहली मोटरसाइकिल बनाई थी। इसके बाद रॉयल एनफील्ड कंपनी लगातार कई अलग-अलग तरह के प्रोजेक्ट और डिजाइन के साथ इंडियन ऑटो इंडस्ट्री में इनोवेशन करने लगी। वही आज के बदलते दौर में जो बुलेट बाइक नजर आती है। वह उसी इनोवेशन का नतीजा है। सिद्धार्थ लाल ने बुलेट बाइक को लेकर लोगों की बदलती सोच को समझ कर उसके साथ मार्केट में अपनी बाइक उतारना शुरू कर दिया। वही बात कंपनी की सक्सेस की करें तो इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी की हर अपकमिंग बाइक पर युवां नजर का बैठे रहते हैं।
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