74 साल बाद देश में फिर दिखेंगे ये चीते, देश के जंगलों के लिए ‘प्रोजेक्ट चीता’ बेहद जरूरी, जानिए क्यों?

Project Cheetah: भारत में 74 सालों बाद चीतों को एक बार फिर से बसाने के लिए बनाई गई कार्य योजना के मद्देनजर 5 साल में देश के कई नेशनल पार्क में 50 चीतों को फिर से बसाया जाएगा। इस कड़ी में भारत एक बार फिर दुनिया के सबसे तेज रफ्तार वाले जानवर चीता (Cheetah In India) का घर बनाने और उन्हें बसाने जा रहा है। इस कड़ी में नरेंद्र मोदी सरकार ने चीतों को फिर से देश के जंगलों में लाने का काम किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) खुद चीतों को देश में लाने और बसाने में निजी रुचि दिखाते हुए आज इन्हें कूनो नेशनल पार्क (Kuno National Park) में छोड़ चुके  हैं।

गौरतलब है कि चीता इकलौता ऐसा मांसाहारी जानवर है, जो भारत में पूरी तरह से खत्म हो गया है। इसका मुख्य कारण ज्यादातर शिकार और चीतों के लिए निवास स्थान का हुआ नुकसान माना जा सकता है। बहरहाल देश में चीतों को फिर से लाना जंगलों की परिस्थितिकी तंत्र के लिए एक वरदान बन सकता है। चीते खुले मैदान में रहते हैं और उनका आवास मुख्य रूप से वही होता है। जहां उनके शिकार रहते हैं। घास के मैदान झाड़ियां और खुले जंगल, अर्थ शुष्क वातावरण और थोड़े ज्यादा तापमान की रोशनी के लिए सही माना जाता है।

इकोसिस्टम के लिए किस तरह वरदान होंगे चीते

भारत में चीतों को फिर से बसाने की कवायद भारत सरकार कर रही है। ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल बहुत ज्यादा घूम रहा है कि आखिर चीते इकोसिस्टम के लिए कैसे एक वरदान हो सकते हैं। चीतों को बचाने के लिए सरकार इतनी कवायद क्यों कर रही है। आइए हम आपको बताते हैं कि कैसे यह चीते इकोसिस्टम के लिए वरदान साबित होंगे।

दरअसल चीतों को बचाने के लिए न केवल उनके शिकार करने के आधार को बचाना है। इनमें कुछ खतरे में पड़ने वाली प्रजातियां शामिल है, बल्कि घास के मैदानों की अन्य लुप्तप्राय प्रजातियों और खुले वनों की परिस्थितिकी तंत्र को भी बचाना है। इसमें से कुछ खत्म होने की कगार पर है। वही चीतों के वापस आ जाने से देश में खुले जंगलों को बचाने के काम को मजबूती के साथ पूरा किया जाएगा। साथ ही इस फैसले के बाद यह भी देखा गया है कि बड़े मांसाहारी जानवरों में मानव हितों के साथ संघर्ष चीतों में सबसे कम होता है। ऐसे में मनुष्यों के लिए खतरा नहीं है और बड़े पशुओं पर भी हमला नहीं करते हैं।

चीतों को भारत वापस लाने की चर्चा साल 2009 में वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया द्वारा शुरू की गई थी। दुनिया भर के विशेषज्ञों, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय सहित भारत सरकार के अधिकारी एवं राज्य सरकार के प्रतिनिधियों ने इसके लिए कई बार बैठ कर भी की। इसके लिए साइट सर्वेक्षण करने का निर्णय भी लिया गया।

वही इन सब के बाद पहले जिन राज्यों में चीते पाए जाते थे उनको प्राथमिकता दी जा रही है। इस कड़ी में तय किया गया है कि गुजरात, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मध्य प्रदेश में फिर से इन चीतों को बसाया जाएगा। बता दें मध्य भारत के राज्यों में 10 जगहों का सर्वेक्षण करने के बाद मध्य प्रदेश के कूटना पालपुर राष्ट्रीय उद्यान जाने के एमपी को चीतों के निवास के लिए चुना गया है।

कहांं रखे गए है आज भारत लाये गए 8 चीतें

केएनपी उद्यान 748 वर्ग किलोमीटर इलाके में फैला हुआ है। इस इलाके में मानव बस्तियों को हटा दिया गया है और श्योपुर-शिवपुरी के खुले में 21 उद्यान को रखने की क्षमता का अनुमान जताया जा रहा है। वही हाल ही में भारत लाए गए इन 8 उद्यान को मध्य प्रदेश के इसी कूनो नेशनल पार्क में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा छोड़ा गया है।

Kavita Tiwari