दिनांक 13 दिसंबर, 2001, समय सुबह के 11 बजकर 40 मिनट…संसद भवन के प्रांगड़ में गुंजने वाली गोलियों की आवाज ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। इसका कारण था कि 5 आतंवादियों के गिरोह ने भारतीय संसद (Parliament Attack) पर हमला कर दिया। ऐसे हालात जिसने देश को हिला कर रख दिया… ऐसे समय में एक महिला जिसे ना मौत का डर ना आतंकी गोली का खौफ देश की सेवा करने से रोक सका। महिला जवान ने अपना सर्वोच्च बलिदान देकर संसद को बचाने में अपना अतुलनीय योगदान दिया। ये महिला एक कांस्टेबल थी और इनका नाम था, कमलेश कुमारी यादव (Kamlesh KumariYadav)…
क्या हुआ था संसद हमले के दौरान
जब आतंकवादियों ने संसद पर हमला किया तब सीआरपीएफ के 88 (महिला) बटालियन से कॉन्स्टेबल कमलेश कुमारी (Kamlesh Kumari Story During Parliament Attack) की पोस्टिंग संसद के बिल्डिंग गेट नंबर 11 के बगल में आयरन गेट नंबर 1 पर थी। इसी दौरान एक अंबेस्डर कार डीएल 3 सीजे 1527 विजय चौक फाटक की ओर जाती दिखी।
कमलेश ने गोलियाँ चलने व बम विस्फोट की आवाज सुनी। जब सभी लोग गोलियों की आवाज से परेशान होकर तितर-बितर हो रहे थे। ऐसे हालात में कमलेश ने पूरी सूझ-बुझ से काम लिया। उसी ने सबसे पहले उस मानव बम को देखा, जो बिल्डिंग गेट नंबर 11 की तरफ बढ़ रहा था।
बिना हथियार दी मात
उनके पास उस वक़्त सिर्फ़ उनका वायरलेस था। ऐसा इसलिए क्योकि बदकिस्मती से उस समय संसद में किसी भी महिला कॉन्सटेबल को कोई हथियार नहीं दिया जाता था। बिना अपनी जान की परवाह किये निहत्थी कमलेश तुरंत अपने सुरक्षा स्थान से बाहर निकली और चिल्लाकर दूसरे कॉन्सटेबल सुखविंदर सिंह को मानव बम की सूचना दी। कमलेश की आवाज सुन जवानों का ध्यान इस मानव बम पर गया, लेकिन कमलेश बिना किसी हथियार और सुरक्षा के थीं और उनकी आवाज आतंकवादियों ने भी सुनी ली थी।
फिर क्या अपने अरमानों पर पानी फिरता देख आतंकियों ने कमलेश को चुप कराने के लिए गोलियां मार दी। मरने से पहले कमलेश ने अलार्म भी बजा दिया, जिससे कि संसद में सब चौकन्ने हो गये और साथ ही, सुखविंदर सिंह ने इस मानव बम को गेट तक पहुंचने से रोक लिया और उससे पहले ही उसे ढेर कर दिया।
बात अब तक पूरे संसद भवन में फैल गई थी। ऐसे में तुरंत संसद के अंदर जाने वाले सभी दरवाजे बंद कर दिए गये। इस दौरान अपनी ड्यूटी निभाते हुए कमलेश को 11 गोलियां लगी, उनकी जुटाई जानकारी से सेना और पुलिस पांचो आतंकियों को ढेर कर पाई। कमलेश का काफी खून बह चूका था और देश के लिए इस दौरान उन्होंने अपने प्राण न्योछावर कर दिए।
सिकंदरपुर से था विरांगना का खास नाता
उत्तर प्रदेश के कन्नौज में सिकंदरपुर की रहने वाली इस विरांगना ने बिना हथियारों के आतंकवादियों के मंसूबो पर पानी फेर दिया था। कांस्टेबल कमलेश कुमारी ने ही पहली बार आतंकवादियों को देखा था। यूपी की इस बेटी को पूरे देश के सामने नारी शक्ति की अदम्य साहस का परिचय देते हुए वीरगति को प्राप्त हुई। आजाद भारत में अशोक चक्र (First Policewoman to Be Awarded Ashok Chakra) पाने वाली पहली महिला कमलेश कुमारी यादव ही थी। उन्हें यह सम्मान मरणोपरांत मिला।
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