तमिलनाडु के कुन्नूर में बुधवार को भारतीय वायुसेना का एक हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया। इस विमान मे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी तथा सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारी मिलाकर कुल 14 लोग सवार थे। सीडीएस विपिन रावत अपने तेज तर्रार अंदाज के लिए लोकप्रिय रहे हैं। वे सेना मे किसी भी तरह की दखलनदाजी को हरगिज नहीं सहते थे। एक बार उन्होंने कहा था कि ऐसे पाप की इजाजत सेनो में वो नहीं देंगे? तो आइए जानते हैं वो बात आखिर क्या थी।
बिपिन रावत इस मामले में सेना रुढ़िवादी
दरअसल यह वाकया साल 2019 के जनवरी की है, तब बिपिन रावत थल सेना के प्रमुख के पद पर तैनात थे। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा था कि इस मामले में सेना रुढ़िवादी है।
क्या था सुप्रीम कोर्ट का फैसला
साल 2018 के अंत में सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक सम्बन्धो को अपराध की श्रेणी से हटाने फैसला सुनाया था, और भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को खत्म कर दिया गया था। दरअसल कानून की यह धारा अप्राकृतिक यौन संबंध को अपराध के दायरे में लाती थी। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा टिप्पणी की गई कि यह धारा बराबरी के अधिकार का उल्लंघन करती है।
इसे सेना में लागू करने से कर दिया था इंकार
अपने सिद्धान्तों से समझौता ना करने वाले तत्कालीन थल सेना प्रमुख बिपिन रावत ने जनवरी सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए इसे सेना में लागू करने से साफ इंकार कर दिया था। उन्होने कहा था सेना में ऐसी चीजों के लिए रोक है। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा एडल्ट्री पर सुनाए फैसले पर बिपिन रावत ने अपत्ति जताया था और कहा था कि ” सेना इस मामले में रुढ़िवादी है। हम ऐसे पाप की इजाजत सेना में बिलकुल नहीं देंगे।”
बिपिन रावत के नेतृत्व में हुई थी सर्जिकल स्ट्राइक
उल्लेखनीय है कि सीडीएस बिपिन रावत काउंटर इंसर्जेंसी ऑपरेशन के लिए जाने जाते थे। उन्हें भारत का पहला वर्तमान रक्षा प्रमुख या चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाए गए का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने 1 जनवरी के दिन रक्षा प्रमुख का पदभार ग्रहण किया था। इस पद पर नियुक्त होने से पहले वे भारतीय थलसेना के प्रमुख के पद पर थे। वे जवाबी हमले में भी माहिर माने जाते हैं।
उनके ही नेतृत्व मे 29 दिसंबर 2016 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान में घुस कर जवाबी कारवाई करते हुए आतंकवादियो के सभी ठिकानों को सर्जिकल स्ट्राइक के जरिए ध्वस्त कर दिया था। तब ट्रेंड पैरा कमांडों ने पाकिस्तान की सीमा में घुस कर आतंकियों को वह सबक सिखाया कि आतंकियों की हिम्मत ही टूट गई। यह हमला उरी में सेना के कैंप पर हुए आतंकी हमले के बाद जवाबी हमले के रूप में की गई थी।
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