मेनिंजाइटिस यानी कि मस्तिष्क ज्वर के संभावित इलाज की दिशा में वैज्ञानिकों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। कोपेनहेगन और लुंड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने चूहों पर एक रिसर्च किया, जिसके बाद हुए अध्ययन में उन्हें मेनिंजाइटिस के बैक्टीरियल संक्रमण को शरीर के ही प्रतिरक्षी कोशिकाओं के जरिये खत्म करने में कामयाबी मिली है। यानी कि अब संक्रमण को एंटीबायोटिक के बगैर ही खत्म किया जा सकेगा। यह निष्कर्ष ‘ऐनल्ज आफ न्यूरोलाजी’ जर्नल में प्रकाशित की गई है।
ऐसे करता है काम
इस अध्ययन की प्रथम लेखक कियारा पवन ने बताया कि रैट माडल में यह पाया गया कि मेनिंजाइटिस में न्यूट्रोफिल्स नामक प्रतिरक्षी कोशिकाएं मस्तिष्क में जालनुमा एक संरचना बनाती हैं। यह संरचना मस्तिष्क में सूजन पैदा करती है और अपशिष्ट उत्पादों को बाहर निकलने से रोकता है। अतः इस संरचना को नष्ट किए जाने पर भी प्रतिरक्षी कोशिकाएं (इम्यून सेल्स) बैक्टीरिया पर हमला करके उसे मारते हैं और वह भी मस्तिष्क में बगैर सूजन पैदा किए।
शोधकर्ताओं ने पाया कि प्रतिरक्षी कोशिकाएं मस्तिष्क की ङिाल्ली में प्रवेश कर एक जाल बनाते हैं, लेकिन यह सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड के आवागमन को भी रोकता है। उन्होने यह भी बताया कि मस्तिष्क की सक्रिय कोशिकाओं द्वारा उत्पन्न अपशिष्ट की सफाई के लिए सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड ही जिम्मेदार होता है, यह रक्त वाहिका के साथ ही ऊतकों में प्रवेश करता है। यह फ्लूइड (तरल) एक परिवहन तंत्र बनाता है, जिसे ग्लिम्फेटिक सिस्टम कहा जाता है।
यह मस्तिष्क में प्रोटीन के मैल (प्लैक) को जमा नहीं होने देने के लिए जिम्मेदार होता है। अल्जाइमर में ऐसी ही स्थिति हो जाती है। ग्लिम्फेटिक सिस्टम स्ट्रोक या अन्य बीमारियों में भी मस्तिष्क में सूजन रोकने में इसकी सक्रिय भूमिका होती है।मस्तिष्क में होने वाले सूजन की वजह से मस्तिष्क तक पहुंचने वाली रक्त वाहिकाएं दब जाती हैं। इसका परिणाम यह होता है कि सांस को नियंत्रित करने वाला मस्तिष्क का हिस्सा काम करना बंद कर देता है।
डीएनऐज के प्रयोग से मिले सकारात्मक परिणाम
शोधकर्ताओं द्वारा जब संक्रमित चूहों को डीएनऐज की डोज दिया गया तो इसके नतीजे में उन्होंने पाया कि न्यूट्रोफिल्स से निर्मित प्रतिरक्षी जाल गल गया। परिणाम में यह भी पाया गया कि मस्तिष्क में सूजन कम हुआ और संक्रमित मस्तिष्क से मेटाबोलिक अपशिष्ट को हटाने में भी मदद मिली। इसके विपरीत एंटीबायोटिक वाला यह इलाज सूजन कम करने या अपशिष्ट की सफाई करने में उतना कारगर नहीं पाया गया। प्राप्त नतीजे के आधार पर शोधकर्ता को उम्मीद है कि मेनिंजाइटिस के रोगियों के इलाज के लिए डीएनऐज आधारित ड्रग का वैश्विक ट्रायल किया जाएगा। इसका बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक प्रतिरोधी होने का भी खतरा भी कम होगा। इस बात की जांच की जानी बाकी है कि अन्य रोगों में भी मेटोबोलिक अपशिष्ट को किस प्रकार से बाहर किया जाए।
एंजाइम से हो सकता है इलाज
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह अध्ययन इस मायने में महत्वपूर्ण है कि मेनिंजाइटिस का इलाज एक ऐसे एंजाइम से संभव है, जो न्यूट्रोफिल्स द्वारा निर्मित जाल को हटाए। इस आधार पर शोधकर्ताओं द्वारा यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया कि यदि प्रतिरक्षी कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाए बगैर जाल को गला दिया जाए तो उससे सेरेब्रोस्पाइनल फ्लूइड का आवागमन बना रहेगा। चूंकि यह जालनुमा संरचना मुख्यतौर पर डीएनए से बनी होती है, अतः शोधकर्ताओं ने डीएनए को काटने वाले ड्रग्स का उपयोग किया, जिसे डीएनऐज नाम दिया गया है। यह ड्रग मेनिंजाइटिस पैदा करने वाले बैक्टीरिया न्यूमोकाकस से संक्रमित चूहों को देकर परीक्षण किया।
- बांग्लादेश संकट से बिहार होगा मालामाल ! कपड़ा उद्योग का हब बन जाएगा बिहार; जाने कैसे - August 23, 2024
- Bihar Land Survey : आज से बिहार में जमीन सर्वे शुरू, इन दस्तावेजों को रखें तैयार; ये कागजात हैं जरूरी - August 20, 2024
- Ola Electric Motorcycle: Splendor से भी कम कीमत मे भारत में लॉन्च हुई ओला इलेक्ट्रिक बाइक, 579 किलोमीटर तक रेंज - August 16, 2024