ओलम्पिक मे गोल्ड हासिल करने वाले नीरज चोपड़ा जैसे जेवलिन स्टार को कोचिंग देने के लिए 2017 में नियुक्त किए गए जर्मनी के महान खिलाड़ी उवे हान को भारतीय कोच के पद से हटाने का ऐलान किया गया है। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ इसके लिए जिम्मेदार कारणों का हवाला देते हुए कहा है कि वे उवे के प्रदर्शन से खुश नहीं थे। उनके स्थान पर जल्द ही दो नये विदेशी कोचों की नियुक्ति की जाने की बात कही गई है। 59 साल के उवे एक मात्र ऐसे खिलाड़ी थे, जो 100 मीटर से अधिक तक भाला फेंकने की क्षमता रखते हैं। बता दे कि उनके ही कोच रहते हुए नीरज चोपड़ा ने साल 2018 के एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीता था, इसके बाद उवे टोक्यो ओलंपिक के लिए नेशनल जेवलिन कोच बने।
इस आधार पर गए हटाये
दो दिवसीय कार्यकारिणी परिषद की बैठक के बाद एएफआई अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला ने उवे को हटाने का फैसला लिया। इस बैठक में कोच और खिलाड़ियों के प्रदर्शन का रिव्यू किया गया था, जिसके आधार पर यह फैसला लिया गया। लेकिन टोक्यो ओलंपिक में नीरज को कोचिंग देने वाले जर्मनी के ही बायोमैकेनिकल एक्सपर्ट क्लॉस बार्टोनीज को उनके पद पर बहाल रखा गया है। सुमरिवाला ने बताया कि दो नये कोच की नियुक्ति की जाएगी। उवे हॉन को अब बदला जा रहा क्यूँकि क्योंकि हम उनके प्रदर्शन से खुश नहीं हैं।
वहीं AFI प्लानिंग कमिशन चीफ ललित के भानोट ने बताया कि नीरज चोपड़ा, शिवपाल सिंह और अन्नु रानी जैसे जेवलिन थ्रोअर उवे के साथ ट्रेनिंग नहीं करना चाहते थे। इस दौरान यह भी बताया गया कि क्लॉस एक्सपर्ट के रूप में वे कोच बने रहेंगे, अच्छा कोच मिलना एक मुश्किल काम है, लेकिन एक अच्छे कोच के लिए पूरी कोशिश की जा रही है। सुमरिवाला ने यह भी बताया कि गोला फेंक के एथलीट ताजिंदरपाल सिंह तूर के लिये भी विदेशी कोच देखा जा रहा है।
नीरज चोपड़ा ने दिया था उवे को क्रेडिट
गौरतलब है कि टोक्यो ओलंपिक से पूर्व नीरज चोपड़ा ने क्लॉस से ट्रेनिंग ली थी लेकिन उन्होंने दो बड़े मेडल जीतने के लिए उवे को क्रेडिट दिया था। ओलंपिक में गोल्ड जीतने के बाद नीरज ने कहा था कि” मैंने कोच उवे के साथ जो समय बिताया है, मेरा मानना है कि वे अच्छे थे और उनका सम्मान करता हूं। 2018 में मैंने कॉमनवेल्थ और एशियन गेम्स में गोल्ड जीता। मुझे लगता है कि उवे की ट्रेनिंग स्टाइल और तकनीक थोड़ी अलग थी। बाद में, जब मैंने क्लॉस के साथ ट्रेनिंग की तो मुझे लगा कि उनकी ट्रेनिंग योजना मेरे अनुकूल है।”
इस वजह से हटाए गए !
ओलंपिक के आयोजन से पहले जून में ही उवे ने साइ और एएफआई के बारे में कहा था कि इन लोगों के साथ काम करना मुश्किल था, इसके साथ ही उन्होने ओलंपिक के लिए की गई तैयारियों की भी आलोचना की थी। मीडिया से बात करते हुए उन्होने कहा था कि उन्हें यकीन था कि वे कुछ चीजें बदल सकते हैं लेकिन साइ या एएफआई में इन लोगों के साथ काम कर पाना बेहद मुश्किल है, वे नहीं जानते कि यह जानकारी की कमी है या बेखबरी। उन्होने यह भी बताया कैंप और प्रतियोगिता के अतिरिक्त जब वे अपने न्यूट्रिशनिस्ट के जरिए खिलाड़ियों के लिए सप्लीमेंट्स मांगते थे, तब भी सही सामान उपलब्ध नहीं कराया जाता था। यहां तक कि खेल मंत्रालय के चुने गए मेडल के प्रबल दावेदार टॉप्स खिलाड़ियों के लिए भी नहीं। अगर कुछ मिल पाता तो उन्हें खुशी होती।
उवे ने लगाए ये सारे आरोप
उन्होंने Contract की शर्तो से पीछे हटने के लिए अधिकारियों को बताया था। उनका आरोप था कि साइ और एएफआई ने अनुबंध स्वीकार करने के लिये उन्हें ‘ब्लैकमेल’ किया था। इतना ही नहीं तो उन्हें भगुतान भी नहीं किया जाता था। उवे ने यह भी कहा कि उन्होंने अप्रैल में उनकी कोचिंग रिव्यू के बाद वेतन बढ़ाने के लिए कहा था, लेकिन तमाम अन्य वादों की तरह यह वादा भी खोखला साबित हुआ। हालांकि दोनों संस्थाओं ने इस आरोप को खारिज कर दिया था।
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