3D मकानों के साथ बदलेगा बिहार, लग्जरी बेडरूम से किचन तक खरीद कर घर में करे सेट, देखें कैसे

3D House In Bihar: अब बिहार में भी आपको लग्जरी और आलीशान 3D घर देखने को मिलेंगे। दरअसल अब वह दिन दूर नहीं है जब आप अपने मनपसंद बेडरूम और रसोईघर को बाजार से खरीद कर सीधे अपने घर में लाकर सेट कर सकते हैं। इस तरह आपके सपनों का महल आपकी पसंद के हिसाब से ही तैयार होगा। जल्द ही कई अलग-अलग बड़ी कंपनियां अपनी खासियत से मकान के हर हिस्से को अलग-अलग तैयार कर लोगों के लिए मार्केट में प्रस्तुत करेंगी। ऐसे में आप अपनी जरूरत, अपनी लागत और अपनी पसंद के हिसाब से खुद रसोईघर बेडरूम और शौचालय को मार्केट से खरीद कर सीधे अपने घर में सेट कर अपने आलीशान घर को तैयार कर सकते हैं।

रेडिमेड बाथरुम-रसोई खरीद कर को बना सकेंगे आलीशान

इसके साथ ही कई कंपनियां दीवार, छत और नीेव के पिलर भी तैयार करेंगी, जिसके साथ आप जमीन से छत तक अपने घर को अपनी पसंद के हिसाब से तैयार कर सकते हैं। इस तरह से भवन का निर्माण करने की प्रक्रिया को प्रीफैबरीकेटेड भवन कहा जाता है। भवनों को अब इस 3डी तकनीक के तहत तैयार किया जाएगा। इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि यह पहले के मुकाबले ज्यादा मजबूत होंगे। साथ ही इसके निर्माण के समय में भी आधे समय से ज्यादा की बचत होगी और लागत भी कम आएगी। देशभर से पटना पहुंचे भवन निर्माण के विशेषज्ञों द्वारा साझा यह जानकारी अब बदलते बिहार की एक नई तस्वीर दिखेगी।

गौरतलब है कि इंडियन बिल्डिंग कांग्रेस की बैठक के 101वें कार्यकारिणी काउंसलिंग में शनिवार को शामिल होने पटना भवन निर्माण के कुछ विशेषज्ञ पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने एक मीडिया चैनल से बातचीत के दौरान इस नई तकनीक की जानकारी को साझा किया। कार्यकारिणी की इस बैठक का मेन मुद्दा नई तकनीक सुरक्षा और पर्यावरण ही रहा। बता दें कि 8 साल के बाद हुए आईबीसी के दो दिवसीय सम्मेलन में देश के निर्माण क्षेत्र के कई बड़े-बड़े विशेषज्ञों ने शिरकत की। इसमें मुख्य रूप से भारतीय मानक ब्यूरो के उप महानिदेशक संजय पंत, ग्रीन बिल्डिंग विशेषज्ञ व रिटायर्ड महानिदेशक, भारत सरकार डॉ उषा बत्रा, के साथ-साथ केंद्रीय लोक कर्मिक विभाग और नई दिल्ली के अपर महानिदेशक के.एम. सोनी सहित कई अधिकारी मौजूद रहे।

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नई तकनीक से होगा पुलों का निर्माण

इस दौरान उन्होंने नई तकनीक से पुलों के निर्माण को लेकर भी चर्चा की। बता दे अभी ब्लॉक के लिए मजबूत पीलर तैयार करने में काफी समय लगता है। बड़े क्षेत्र में गड्ढा करने और फिर सरियो के जरिए ढांचा खड़ा करने फिर भलाई और इसके बाद उसे सेट करने का इंतजार करना पड़ता है। तब जाकर कोई दूसरा काम किया जा सकता है, लेकिन अब पूरे खंबे की ढुलाई कहीं और होगी और बस उससे गड्ढा खोदने के बाद उस में डाल दिया जाएगा। इससे पुल के निर्माण में ना सिर्फ कम समय लगेगा, बल्कि इस पर आने वाली लागत भी आधी हो जाएगी।

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कम हो जायेगी पानी-बिजली की खपत

इसके साथ ही ग्रीन बिल्डिंग के निर्माण के साथ पानी और बिजली की खपत में भी कमी आएगी। परंपरागत भवन निर्माण के साथ 40% बिजली और 24% कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन होता है, जबकि ग्रीन बिल्डिंग में 30 से 40% बिजली और 30 से 70% पानी की बचत की जा सकती है। इसे बचाने के संसाधन भी अलग-अलग हैं, जिन्हें ग्रीन मटेरियल कहा जाता है। प्राकृतिक ऊर्जा के उपयोग के कारण इसमें रहने वालों का स्वास्थ्य भी दूसरे घरों के मुकाबले अच्छा रहता है।

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