पटना के मीठापुर मे काफी सस्ते दरों मिलेंगे पर 15 प्रजाति के आम के पौधे, आम के अलावे भी कई पौधे

आज यानी कि 15 जून से आप आम ,अमरूद, नींबू के पौधे मीठापुर से सस्ते दामों में खरीद सकते हैं। यहां पर 15 प्रजाति के आम के पौधे मुहैया कराये जाएंगे। मीठापुर कृषि अनुसंधान संस्थान के क्षेत्रीय निदेशक डा. एमडी ओझा का कहना है कि राजधानी को हरा-भरा करने में संस्थान अपना योगदान दे रहा है। यहां से लोग आमों की विभिन्न प्रजातियों के पौधे प्राप्त कर सकते हैं। यहां पर आम्रपाली, दीघा मालदह, जर्दालु, गुलाबखास, मल्लिका आदि प्रजाति के आम के पौधे लोगों को मुहैया कराये जाएंगे। आम के लिए प्रति पौधा 70 रुपये कीमत निर्धारित की गई है। इसके अलावा एल-49 एवं इलाहाबादी सफेदा अमरूद के पौधे भी लोग ले सकते हैं। अमरूद के पौधे की कीमत 40 रुपये निर्धारित की गई है। यहां पर कागजी नींबू का पौधा भी काफी मात्रा में उपलब्ध हैं। नींबू की कीमत 40 रुपये निर्धारित है।

सजावटी पौधे भी खरीद सकेंगे

मीठापुर में सजावटी पौधे भी लोगों को मुहैया कराये जाएंगे। बता दें कि सजावटी पौधे लगाने का यह सही समय है। आमलोगों के लिए यहां पर क्रोटन एवं पाम सहित कई पौधे उपलब्ध होंगे।

पर्यावरण को संरक्षित रखने के लिए पेड़ लगाना होगा

“हमारी गौरैया” और “पर्यावरण योद्धा” पटना की ओर से ‘गौरैया बचाओ, पर्यावरण बचाओ’ अभियान के तहत ‘पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली में गौरैया और पर्यावरण’ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया।  प्रेस इनफार्मेशन ब्यूरो (पीआइबी), पटना के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा कि इंसान जिस तरह पारिस्थितिकी के साथ परस्पर क्रिया कर रहा है, उससे पर्यावरण में असंतुलन पैदा हो गया है। पर्यावरण के पीछे के मूल उद्देश्यों को समझने की आवश्यकता है। पर्यावरणविद राजेश कुमार सुमन ने कहा कि लोगों को हर अवसर पर पौधे लगाने की परंपरा विकसित करनी चाहिए। पौधारोपण को अपने संस्कार में शामिल करना चाहिए।

विशेषज्ञों के मुताबिक देश के अन्य राज्यों के मुकाबले पूर्वोत्तर भारत में कोविड-19 के कम प्रभाव की वजह वहां पर अत्यधिक जंगलों का होना है। भूवैज्ञानिक, पर्यावरणविद एवं हिंदी रचनाकार डा. मेहता नगेंद्र सिंह ने कहा कि पहले दाने की व्यवस्था करें, फिर आवास की और तीसरा ढेर सारा प्यार। मध्यम प्रजाति के पौधे लगाकर गौरैया के लिए प्राकृतिक आवास का निर्माण किया जा सकता है। परिचर्चा के दौरान कवयित्री जिज्ञासा सिंह ने ‘मेरे घर आना, तू प्यारी गौरैया, शोर मचाना तू प्यारी गौरैया’ का पाठ किया।

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 गौरैया संरक्षक तथा प्रेस इनफॉर्मेशन ब्यूरो, पटना के सहायक निदेशक संजय कुमार ने कहा कि विकास के नाम पर इंसान ने पर्यावरण के साथ खिलवाड़ कर अपना ही नुकसान किया है। उन्होंने कहा कि गौरैया हमारी मित्र है, घरेलू पक्षी है, जो पर्यावरण की संरक्षक के रूप में कार्य करती है। परिचर्चा में पटना विश्वविद्यालय के निशांत रंजन, पवन कुमार रेणु बाला, अमित पांडेय, शिव कदम आदि ने भाग लेकर अपनी बात रखी।

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