भागलपुर की पूनम महिलाओं के लिए बनी मिसाल, सालों से टेंपो चलाकर उठा रही है बेटे और बीमार पति की जिम्मेदारी

कहावत है महिलाओं की कलाई बेहद नाजुक होती है। लेकिन, बात जब मां के सामने अपने तरसते हुए बच्चे और सामने पति शरीर से बेबस हो, तो कलाई इतनी ताकतवर हो जाती है कि देखने वाले देखते ही रह जाते हैं। बिहार की पूनम चौधरी (BiharTempo Woman Poonam Chaudhary) के सामने ऐसी ही मजबूरी आ गई कि उन्होंने ऐसा कदम उठाया कि देखने वाले की आंखें देखते ही रह जाती है। भागलपुर की पूनम (Bhagalpur Tempo Driver Poonam Chaudhary) अपने बच्चों के लिए माता और पिता दोनों का दायित्व निर्वहन कर रही है। पूनम वर्ष 2015 से ही टेंपो (Tempo Driver Poonam Chaudhary) चलाती है।

Tempo Driver Poonam Chaudhary

पति की हालत और बच्चों की भूख देख संभाली ऑटो की कमान

देख कर सब आश्चर्यचकित रह जाते हैं कि कोई महिला कैसे यह कर सकती है। पर हालातों से लड़ते हुए पूनम ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उनके साथ यात्री भी खुद को सुरक्षित महसूस करते हैं। रोजाना पूनम भागलपुर से जगदीशपुर तक 5 राउंड लगाती है। प्रतिदिन पूनम की कमाई 600 से 700 रुपए तक है। पूनम अपनी कमाई से अपने संतान को पढ़ा-लिखा रही है और बीमार पति का उपचार करवा रही है। घर की सारी जिम्मेदारियां उन्होंने अपने सर पर न सिर्फ उठा रखी है, बल्कि वह उसे बखूबी निभा भी रही हैं।

Tempo Driver Poonam Chaudhary

पूनम रोजाना सुबह 7 बजे ही टेंपो से बेटी को लेकर निकलती है। जगदीशपुर के प्राइवेट कोचिंग में बेटी को पहुंचाने के बाद भागलपुर-जगदीशपुर रुट पर सवारियों को टेंपो से ढोती हैं। जगदीशपुर रिटर्न आकर 12 बजे बेटी को रिसीव कर घर जाती है। घर आने के बाद थोड़ा आराम करती है फिर दोपहर के दो से शाम के छह बजे तक इसी रूट पर ऑटो चलाती हैं।

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Tempo Driver Poonam Chaudhary

पूनम बताती है कि साल 2015 से ही टेंपो चला रही है। घर की स्थिति जर्जर थी तो मजबूरन टेंपो चलाना पड़ा। बीमार पति का इलाज करवाना और दो बच्चों की परवरिश की जिम्मेदारी पुनम के कंधों पर है। बड़ी बेटी 15 वर्ष की है जबकि बेटा का उम्र 9 साल है। उनका कहना है कि जिंदगी में परेशानी लगी रहती है। जीवन में दुख और सुख लगा रहेगा इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है। अपना काम करते रहना चाहिए।

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