क्या होती है IAS और PCS परीक्षा? जानें कब और कैसे PCS अफसर बनते हैं IAS अधिकारी ?

प्राइवेट सेक्टर में मौजूद ढेर सारी अवसरों के बावजूद लोग आईएएस और पीसीएस के तरफ रुख कर रहे हैं । प्रशासनिक सेवाओं की मांग हर बीते दिन बढ़ रही है । प्रशासनिक सेवाओं की परीक्षा फॉर्म भर रहे हैं परीक्षार्थी की बढ़ती संख्या इस बात का सबूत देती है ।

तीन चरणों में होती है आईएएस की परीक्षा

सबसे पहले आपको आईएएस की परीक्षा के बारे में बताते हैं , यह परीक्षा तीन चरणों में होती है पहली परीक्षा प्रीलिम्स टेस्ट कहलाती है, दूसरी परीक्षा mains तथा तीसरी परीक्षा इंटरव्यू के रूप में होती है। यह परीक्षा यूपीएससी आयोजित करता है। पीसीएस की परीक्षा भी लगभग यूपीएससी तर्ज पर ही होती है और यह भी तीन चरणों में होती है। एक पीसीएस अधिकारी कुछ वर्षों के बाद ही आईएएस के पद पर प्रमोट किया जा सकता है, आइए आपको बताते हैं यार कब और कैसे होता है।

पीसीएस परीक्षा के बाद ऐसा बनाता है IAS

आईएएस अधिकारियों का चयन भारत के राष्ट्रपति द्वारा होता है लेकिन वह राज्य सरकार के अंदर काम करते हैं, वही एक pcs को आईएएस के पद पर जाने के लिए कई प्रमोशन से गुजरना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर यूपीपीसीएस को लेते हैं। जब कोई यूपी पीसीएस की परीक्षा पास करता है तो उसे level-10 यानी एसडीएम की पद मिलती है। उन्हें आईएएस बनने के लिए 5 प्रमोशन लगते हैं । Level 11 level 12 level 13 level 13 aur level 14 ke promotion के बाद ही वे आइएएस बन सकते है ।

हर राज्य की अपनी अलग प्रमोशन की प्रक्रिया है। एक पीसीएस ऑफिसर से आईएएस बनने के लिए 15 से 20 साल तक का समय लग सकता है। तमिलनाडु में इस प्रमोशन प्रक्रिया में काफी कम समय लगता है तो वही बिहार में लगभग 20 वर्ष लग जाते हैं।

whatsapp channel

google news

 

पीसीएस से आईएएस में प्रमोशन के लिए पात्रता –

  • प्रशासक के पास चयनित अधिकारी के सेवाकाल के दौरान उसके खिलाफ कोई आरोप पत्र दाखिल नहीं होना चाहिए ।
  • चयनित व्यक्ति की उम्र चयन होने की मीटिंग के दिन तक 54 वर्ष से कम होनी चाहिए।
  • यदि किसी अधिकारी ने नियुक्ति के लिए अपनी अनिच्छा व्यक्त की है तो उन्हें नई सूची में शामिल नहीं किया जाएगा।
  • समिति पूरी तरह से सूचीबद्ध करने से पहले अधिकारियों के सेवा रिकॉर्ड की जाँच करेगी।

चयन समिति के सदस्यों द्वारा अधिकारियों को उत्कृष्ट, बहुत अच्छा, अच्छा और अनफिट के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। सबसे पहले वे अधिकारी के off or on रिकॉर्ड दस्तावेजों की समीक्षा करते हैं। समिति के सदस्य उनकी अच्छी रिकॉर्ड तथा बुरी रिकॉर्ड के लिए उनके सेवा रिकॉर्ड की अच्छी तरह से जाँच करते हैं। जो सूची तैयार होती है उसमें सबसे पहले उत्कृष्ट अधिकारियों को वर्चस्व दिया जाता है और उसके बाद ही बहुत अच्छे और अच्छे की श्रेणियों से अधिकारीयों को चुना जाता है। वरिष्ठ अधिकारियों के नाम हमेशा सूची में पहले प्रस्तावित किए जाते हैं।

यदि किसी भी प्रस्तावित अधिकारी के ऊपर कोई विभागीय और आपराधिक कार्यवाही लंबित पाया जाए तो उसे अनंतिम माना जाएगा। यदि अगले साल तक उनके ऊपर की कार्यवाही पूरी हो जाती है तो उन्हें पद के लिए योग्य माना जाता है और उसे अगले वर्ष की सूची में शामिल किया जाता है।
सेवाओं में शामिल होने की इच्छा रखने वाले अधिकारियों की नियुक्ति का अधिकार केंद्र सरकार के पास है । कल्याण सूची में शामिल किसी भी नाम को नियुक्त नहीं करने का अधिकार भी केंद्र सरकार अपने पास रखती है ।

Share on