खुशखबरी: मुर्रा भैंस खरीदने पर बिहार सरकार देगी 40 फीसदी अनुदान, जानें क्या है पूरी प्रक्रिया

नये साल के मौके पर बिहार सरकार ने किसानों और पशुपालकों के लिए बड़ी घोषणा की है। अब पशुपालकों सामान्य नस्ल के भैंस की जगह सामान्य से तिगुना ज्यादा दूध देने वाली मुर्रा नस्ल की भैंस का पालन कर सकेंगे। दरअसल बिहार सरकार के पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग इस सम्बन्ध में एक महत्वपूर्ण घोषणा की है। बता दें की सरकार की योजना पटना के नौबतपुर इलाके में 4 एकड़ जमीन पर एक बड़े डेयरी योजना की शुरुआत करने की है, जहां एक साथ मुर्रा नस्ल की 500 भैंसों को रखा जाएगा।

पायलट प्रोजेक्ट की तरह ही नौबतपुर में डेयरी योजना शुरुआत की जाएगी, इसके सफल होते ही राज्य के अन्य जिलों में भी भैंस और गायों की डेयरी स्थापित की जाएगी। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के नासिक में स्थालित डेयरी मॉडल के आधार पर नौबतपुर में डेयरी स्थापित किया जा रहा है।

Murrah Buffalo Scheme in Bihar

किसान को कितने में मिलेगी मुर्रा नस्ल की भैंस

मुर्रा नस्ल के एक भैंस की कीमत लगभग 1 लाख रुपये आती है, बिहार में किसानों को मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदने पर 40% अनुदान यानि 60 हजार रुपये मे भैंस दी जाएगी। मुर्रा नस्ल की एक भैंस से प्रतिदिन औसतन 12 से 13 लीटर दूध का उत्पादन किया जाता है, जबकि बिहार में सामान्य भैंस से प्रतिदिन औसतन 4 से साढे 4 लीटर दूध का उत्पादन होता है। बिहार में मुर्रा नस्ल की भैंस 5 प्रतिशत से भी कम है। अधिक दुग्ध उत्पादन करने वाले मुर्रा नस्ल की भैंस खरीदने के लिए अनुदान के रूप में मिलने वाली सहायता से पशुपालक ये भैंस खरीद सकेंगे, जिससे राज्य में दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा औरा किसानों की आमदनी मे भी इजाफा होगा।

Murrah Buffalo Scheme in Bihar

हर जिले में डेयरी प्रोजेक्ट खोलने की योजना

नौबतपुर में डेयरी योजना एक तरह का ट्रायल है, इसके सफल होते ही प्रदेश के सभी जिलों में डेयरी खोले जाएंगे। उल्ल्व्खनीय है कि पटना सहित राज्य के मुजफ्फरपुर, गया, मधेपुरा, सुपौल, भागलपुर तथा अन्य सभी जिलों में मुर्रा नस्ल की भैंस की अनुशंसा की गई है। डेयरी निदेशक संजय कुमार द्वारा बताया गया कि सभी जिलों में डेयरी स्थापित कर मुर्रा नस्ल की भैंसों का प्रजनन भी किया जाएगा। डेयरी में खुले एरिया के साथ शेड भी लगाया जाएगा जहां भैंस को बैठने के लिए अनुकूल वातावरण मिलेगा, इसके अलावा गोबर और मूत्र को हटाने और दूध निकालने के लिए मशीनों का इस्तेमाल किया जाएगा। इसके अलावा मुर्रा नस्ल की भैंस पालन के इच्छुक पशुपालक जो इस सम्बन्ध मे प्रशिक्षण लेना चाहते हैं उन्हें प्रशिक्षण भी दिया जाएगा।

Manish Kumar