मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दहेज प्रथा की कुरीतियों के खिलाफ बेहद सख्त हैं। बुधवार के दिन इस बात की झलक देखने को मिली। बिहार पुलिस को पिछले दिनों 40 नए पुलिस उपाधीक्षक मिले हैं। बिहार लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की गई 64वीं संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा में चयनित इन 40 डीएसपी के प्रमाण पत्र की जांच की गई और नियुक्ति के आदेश जारी किए गए हैं।
राज्य सरकार की तरफ से सभी पुरुष और महिला डीएसपी को एक शपथ पत्र दिया गया, जिसे उन्हें भरना को कहा है। इस शपथ पत्र में उन्हें यह अनिवार्य रूप से भरना होगा कि वे दहेज के रूप में ना तो एक रूपया लेंगे ना ही एक रूपया दहेज देंगे। शपथ पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि अगर उन पर दहेज से संबंधित कोई भी आरोप लगता है तो राज्य सरकार उन्हे नौकरी से बर्खास्त करने का पूरा अधिकार रखेगी। बता दे कि शपथ पत्र भरनेवाले कुल 40 डीएसपी में से 13 महिला DSP हैं।
बुधवार को गृह विभाग की आरक्षी शाखा द्वारा इसकी अधिसूचना जारी कर दी गई है। गृह विभाग की तरफ से निर्देश जारी करके बताया गया है कि सभी अभ्यर्थियों को स्वास्थ्य प्रमाण-पत्र, चल-अचल संपत्ति की विवरणी, पासपोर्ट साइज की दो फोटो के साथ दहेज नहीं लेने और देने संबंधी घोषणा पत्र अनिवार्य रूप से भरना होगा।
नए नियुक्त डीएसपी पर नीतीश सरकार की सख्ती
बिहार सरकार की तरफ से दहेज संबंधी घोषणा पत्र जो जारी किया गया है, उसमें स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि यदि उनके खिलाफ दहेज संबंधी कोई भी शिकायत विभाग या न्यायालय में दर्ज कराई जाती है तो राज्य सरकार को उनकी नियुक्ति समाप्त करने का पूरा अधिकार होगा।
दहेज में एक भी रुपये लिया तो जाएगी नौकरी
गृह विभाग के आदेश में साफ कहा गया है कि सभी अभ्यर्थियों को डॉक्टर द्वारा निर्गत मेडिकल सर्टिफिकेट, चल और अचल संपत्ति का पूरा ब्यौरा और पासपोर्ट साइज का लेटेस्ट फोटो जमा करानी होगी। इसके साथ ही उनलोगों से अपनी या बेटा या बेटी की शादी में दहेज नहीं लेने और न ही देने संबंधी घोषणा पत्र भी सरकार को देने को कहा गया।
नीतीश कुमार दहेज को लेकर क्यों सख्ती बरतते हैं?
गौरतलब है कि सीएम नीतीश कुमार आरम्भ से दहेज् प्रथा को लेकर काफी सख्त हैं। इस चीज़ की झलक उनके सरकारी कामकाज में भी देखने को मिलता है। शराबबंदी के बाद नीतीश कुमार का ध्यान अब दहेज प्रथा के खिलाफ विशेष अभियान पर है। दहेज प्रथा बंद करने के लिए राज्य सरकार की तरफ से कड़े फैसले लिए गए हैं। वे कई बार इस बात को कह चुके हैं कि दहेज एवं बाल विवाह एक बड़ी सामाजिक कुरीति है, जिसे जड़ से मिटाना जरूरी है।
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