क्या है महिला आरक्षण बिल, इसमें क्या-क्या लिखा है, आसान भाषा में समझे महिला हित में कैसे है महिला आरक्षण विधेयक?

What is Women’s Reservation Bill? लोकसभा में दो तिहाई बहुमत से महिला आरक्षण बिल पास हो गया है। इस विधेयक में सांसद और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण देने का प्रावधान रखा गया है। बता दे महिला आरक्षण के लिए पेश किया गया ये विधायक 128वां संविधान संशोधन विधेयक है। ऐसे में अगर आप महिला आरक्षण विधेयक यानी महिला आरक्षण बिल को लेकर किसी भी तरह से कंफ्यूज है या यह जानना चाहते हैं कि महिला आरक्षण बिल क्या है? महिला आरक्षण बिल में क्या-क्या नियम कानून है? महिला आरक्षण बिल में महिलाओं के हित की कौन-कौन सी बातें लिखी गई है? तो आइये हम आपको इनके बारे में डिटेल में बताते हैं।

क्या है महिला आरक्षण विधेयक?

महिला आरक्षण विधेयक के संशोधन में कहा गया है कि- लोकसभा-राज्यसभा की विधानसभाओं और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली की विधानसभा में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी, जिसका सीधे तौर पर यह मतलब है कि लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई है। हालांकि पुडुचेरी जैसे केंद्र शासित प्रदेश की विधानसभा के लिए सीट आरक्षित नहीं की गई है।

जाति आधारित आरक्षण और जेंडर आधारित आरक्षण क्या है?

गौरतलब है कि लोकसभा और राज्यसभा की विधानसभाओं में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटे आरक्षित है। इसमें आरक्षित सीटों में से एक तिहाई सीटे अब महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई है। बता दे मौजूदा समय में लोकसभा की 131 सीटों पर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति का आरक्षण है। वहीं महिला आरक्षण विधेयक कानून के पास होने के बाद अब इनमें से 43 सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित कर दी गई है। इन 43 सीटों को सदन में महिलाओं के लिए आरक्षित कुल सीटों में से विभाजित कर दिया गया है।

महिला आरक्षण बिल के संशोधन के मुताबिक महिलाओं के लिए आरक्षित 181 सीटों में से 138 सीटे ऐसी होंगी, जिन पर किसी भी जाति की महिला को उम्मीदवार बनाया जा सकता है। यानी कि इन सीटों पर पुरुष उम्मीदवार को नहीं बिठाया जा सकता। बता दे कि अंको की यह गणना मौजूदा लोकसभा सीटों के आधार पर है। परिसीमन के बाद इसमें बदलाव की भी संभावना है।

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कब से लागू होगा महिला आरक्षण बिल?

अब बात महिला आरक्षण बिल के लागू होने की करें तो बता दे कि सबसे पहले सदन के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा को इस विधेयक को दो तिहाई बहुमत से पास करना होगा। इसके बाद जनगणना का परिसीमन किया जाएगा। परिसीमन में लोकसभा और विधानसभा क्षेत्र की जनसंख्या के आंकड़ों के आधार पर ही उनकी सीमाएं तय की जाएगी। बता दे कि इससे पहले देश में परिसीमन 2002 में हुआ था, जिसे 2008 में लागू किया गया था।

इस आधार पर देखा जाए तो परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने और लोकसभा-राज्यसभा के भंग होने के बाद महिला आरक्षण प्रभावित हो सकता है। पिछले समय काल के आधार पर बात करें तो 2026 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण बिल के लागू होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। ऐसे में इस आरक्षण विधेयक को लागू होने में अभी समय लग सकता है। वही लागू होने के बाद यह 15 साल तक वैध माना जाएगा। इसके बाद इसे आगे बढ़ाने का फैसला संसद की ओर से लिया जाएगा।

कैसे तय की जाएगी महिला आरक्षण की सीटें?

बता दे सरकार की ओर से पेश किए गए महिला आरक्षण विधेयक में यह कहा गया है कि परिसीमन की हर प्रक्रिया के बाद आरक्षित सीटों का रोटेशन किया जाएगा। इसका विवरण भी संसद की ओर से परिसीमन के बाद ही तय किया जाएगा। इसके तहत संविधान संशोधन सरकार और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं की सीटें अधिकृत की जाएगी। इस दौरान स्थानीय निकायों जैसे पंचायत और नगर पालिकाओं में भी एक तिहाई सीटे महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगी। इनमें हर चुनाव में सीटों का आरक्षण बदलता रहेगा।

मौजूदा समय में कितनी है महिलाओं की भागीदारी?

बात 17वीं लोकसभा में महिलाओं की भागीदारी की करें, तो बता दें कि इस समय लोकसभा में 82 महिलाएं चुनकर आई है। इस हिसाब से इनका कल प्रतिनिधित्व 15 फ़ीसदी का है। वही देश के 19 राज्यों की विधानसभा में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कुल 10% से भी काम है।

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