बिहार का सियासी पारा पहले ही चढ़ा हुआ है. आने वाले दिनों मे यह काफी विस्फोटक होने वाला है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोजपा के अंदर वर्चस्व की लड़ाई का कोई आखिरी छोड़ दूर दूर तक नज़र नहीं आता। रामविलास की राजनीतिक विरासत पर अपना-अपना हक जताने के लिए चिराग और पारस इन दिनों घुटना घिसने पर लगे हुए हैं। राजनीतिक गहमागहमी का यह दौर जो अभी शुरू हुआ है, आनेवाले दिनों मे यह बिहार की राजनीति मे क्या नया मोड़ लायेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।
राजद भी चिराग को कर रही सपोर्ट
इधर राजद अपने स्थापना दिवसा के बहाने सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रही। रामविलास पासवान की जयन्ती राजनीति का अखाड़ा बन गई है, सोमवार को चिराग के समर्थक और पारस गूट दोनों आमने सामने हो गए। अपना वर्चस्व स्थापित कराने मे दोनों कोई कसर नहीं छोड़ रहे।
पटना के एलजेपी कार्यालय पर पहले से ही पारस गुट का कब्ज़ा है। इधर खबर निकलकर सामने आ रही है कि समर्थको का भीड़ जुटाने को लेकर चिराग पासवान पप्पू यादव की मदद ले रहे हैं ताकि पारस गूट और पूर्व सांसद सूरज भान सिंह के असर को कम किया जा सके।
5 जुलाई से दोनों गुटों के बीच जोर जबरदस्ती का दौर शुरू हो गया है। इसके पहले से ही पोस्टरबाजी के जरिए एक दुसरे को मात देने की कोशिश की जा रही थी। पिछले कई दिनों से पटना के चौक चौराहे पर पारस और रामविलास पासवान का पोस्टर लगा हुआ है, इस बात का पूरा ख्याल रखा गया है कि पोस्टर-होर्डिंग के लिए चिराग पासवान के लिए कोई जगह न बचे।
आशीर्वाद यात्रा के लिए चिराग पासवान ने हाजीपुर को चुना है, जहां से रामविलास पासवान कई बार लोकसभा चुनाव जीत चुके है। वर्तमान मे इस सीट का प्रतिनिधित्व पशुपति कुमार पारस कर रहे हैं। अनुमान लगाया जा रहा कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले चिराग यहाँ अपनी दावेदारी पेश करेंगे, इसलिए वे अभी से अपना रंग जमा रहे और उनका असर जनता पर कितना गहरा है यह भी देख रहे।
सुरजभान सिंह से चिराग काफी परेशान
इधर पारस गुट का कमान बाहुबली नेता सुरजभान सिंह के पास है जिससे चिराग काफी परेशान है और इसलिए उन्होने भी पप्पू यादव से हाथ मिलाया है। कभी भी पप्पू यादव खुलकर चिराग मे समर्थन मे आ सकते हैं। बिहार विधानसभा चुनाव के वक्त पटना में चिराग पासवान और पप्पू यादव के बीच बंद कमरे मे घंटो मुलाक़ात हुई थी।
पासवान वोटर्स किधर जाएगे ?
बिहार की राजनीति को बारीकी से समझने वाले सुरेंद्र किशोर कहते हैं कि “बिहार की राजनीति में इसे विडंबना कहें या सच्चाई कि हमेशा से ही पंथ, जाति और वंशवाद हावी रहा है। एलजेपी में जो लड़ाई चल रही है, वह भी वंशवाद के ही कारण है.।” एलजेपी के ज्यादातर स्थानीय नेता और जिला इकाई चिराग पासवान के समर्थन में हैं। वैशाली, खगड़िया, बेगूसराय, समस्तीपुर और जमूई में पासवान जाति की संख्या अच्छी है इसलिए रामविलास पासवान की इन जिलों में अच्छी पकड़ थी। पारस भी रामविलास पासवान के नाम के सहारे ही राजनीति कर रहे हैं। ऐसे मे यह कहना मुश्किल है कि पासवान वोटर्स चिराग को छोड़ पारस के पाले मे आ जाएंगे।
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