हाल के वर्षों मे भारत ने स्वदेशीकरण को बढ़ावा दिया है, स्वदेशीकरण को देशभक्ति से जोड़ा जा रहा। स्वदेश् निर्मित वस्तुएँ राष्ट्र के लिए कई मायने मे फायदेमंद साबित होती है। एक तरफ जहां रोजगार के अवसर बड़े पैमाने पर उत्पन्न होता है तो वहीं दुसरी तरफ उन क्षेत्रो के लोग आत्म निर्भर होने लगते है।
पिछले वर्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत कि घोषणा कि जिसका उद्देश्य भारत को स्वब्लम्बी बनाना और स्वदेशीकरन को बढ़ावा देना था। अब अन्य क्षेत्रो के ही साथ साथ भारतीय सेना मे भी आत्मनिर्भर भारत का असर दिखने लगा है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने रक्षा और सेना के उपयोग से जुड़े 209 आइटम को नेगेटिव इम्पोर्ट लिस्ट मे डाल दिया है। इसका मतलब यह है कि अब से इन चीजों को विदेश से आयात की बजाय देश मे ही इसके निर्माण पर जोर दिया जाएगा। इन चीजों मे क्रूज मिसाइअल, टैंक इंजन और आर्टिलरी गन से लेकर सेना के कपड़े, दस्ताने, रैन बैग जैसी जरुरी और आधारभूत वस्तुए शामिल हैं।
यहाँ बनते हैं भारतीय सेना के लिए ग्लव्स और स्लीपिंग बैग
भारतीय सेना देशभक्ति के अपने फर्ज को पूरा करने के लिए हड्डियां जमा देने वाली ठण्ड मे सीमा की सुरक्षा के लिए डटी रहती है। भारत से इजराल जैसे सशक्त देश की सेना की जरूरत की वस्तुए सप्लाई होती है, लेकिन भारत अपने सेना कि जरुरत की छोटी मोटी वस्तुओ के लिए दूसरे देशों पर निर्भर रहता है। क्या आपको पता है सैनिको के दस्ताने की खरीद मयंमार से जबकि ग्लेशियर मे सो सकने वाले स्लीपिंग बैग को श्रीलंका से खरीदा जाता है। इसी प्रकार कड़ाके की ठण्ड मे टिके रहने के लिए तथा तापमान को कंट्रोल करने के लिए सैनिको को विशेष प्रकार के कपड़े की जरुरत होती है जिसे विदेश के विभिन्न देशों से खरीदा जाता है।
लेकिन यह जानकर आपको ताज्जुब होगा कि इजराइल् जैसे देश के सैनिको के लिए बूट कानपूर की एक कम्पनी बनाती है, यह भारत के शानदार तकनीक की धाक को साबित करती है। अब सवाल यह है कि ये सारी चीजे हम खुद क्यूँ नहीं बना सकते, और इसे क्यूँ अब तक विदेशो से खरीदा जाता रहा। यह इसलिए क्योकि कई सारे गैरजरुरी मापदंड बनाये गए जैसे टोपी वाले जैकेट के साथ यह शर्त रखी गई है कि यह बारिश से भी बचाये जबकि सियचिन मे कभी बारिश होती ही नहीं।
भारतीय सेना मे 100 ℅ की FDI कि भी मंजूरी दी जा चुकी है, जिसके बाद ये भारत मे सेट अप लगा सकती हैं, जिससे लोकल बिज़नेस को बढ़ावा मिलेगा, जैसे आगरा और कानपूर मे चमड़ा उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा। ऐसे अब सेना के कपड़े अब डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स के पास हैं तो वहीं स्लीपिंग बैग, केमोफ्लेज टैंट और जैकेट के लिए बेंगलुरु की एक कंपनी से बातचीत भी की जा रही है।
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