उपेंद्र कुशवाहा- इस्लाम कबूल कर लूंगा तो कौन रोकेगा, भाजपा नेता- बेहतर ऑफर मिलने पर…

जाति आधारित जनगणना को लेकर जदयू और भाजपा मे टकरार की स्थिति बनी हुई है। केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट शब्दों मे कह दिया है कि जाति आधारित जनगणना केवल एससी/एसटी वर्ग के लिए होगी। वहीं नीतीश कुमार ने अपना स्टैंड क्लियर कर दिया है कि वे जातिगत जनगणना कराने के पक्ष मे हैं। इधर जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा भी इस पूरे मामले मे अपना पक्ष रखते हुए एक बड़ी बात कह दी है जो अब राजनीतिक सुर्खिया बटोर रही है।

उपेंद्र कुशवाहा ने रविवार के दिन बक्सर दौरे पर पहुंचने के बाद कहा कि अगर कोई अपनी मर्जी से अपना धर्म बदलना चाहे तो उसे कोई भी नहीं रोक सकता, यह उसका संवैधानिक अधिकार है, अगर आज मैं इस्लाम को कबूल करना चाहूं तो मुझे कौन रोक सकता है,धर्म परिवर्तन दबाव मे नहीं होना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि जातीय जनगणना हमारे पार्टी की पुरानी मांग है, जिससे हम किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटेंगे। इससे पहले शनिवार को मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार भी कह चुके है कि कम से कम एक बार जातीय जनगणना कराना जरुरी है।

उपेंद्र कुशवाहा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि जातीय जनगणना जरूरी है। उन्होने यह कहते हुए इस बात का भी उल्लेख किया कि कई बार अलग-अलग राज्यों के मसले पर स्थानीय हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट द्वारा भी केंद्र सरकार से कहा जा चुका है कि पिछड़ों के लिए योजना बनाते समय उनकी संख्या भी बताइए। लेकिन उस तरह से जनगणना कभी की ही नहीं गई। इसलिए सरकार के पास इस बात का कोई जवाब नहीं होता। साल 1931 के बाद सही मायने मे आज तक जातीय जनगणना नहीं कराई गई।

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भाजपा नेता ने किया पलटवार

इधर बक्सर में दिये गए उपेंद्र कुशवाहा के बयान के तुरंत बाद बीजेपी के प्रदेश उपाध्यक्ष राजीव रंजन ने ट्वीट के जरिए पलटवार किया और बिना किसी का नाम लिए हुए कहा कि वोट के लिए धर्म छोड़ने की मंशा रखने वाले बेहतर ऑफर मिलने पर कुछ भी कर सकते हैं। इसी मामले से जुड़े एक अन्य ट्वीट करके राजीव रंजन ने कहा कि जाति-धर्म व्यक्तिगत और सामाजिक मसले हैं, इसके राजनीतिक प्रयोग से हर जिम्मेवार राजनीतिक दल को बचना चाहिए। उन्होंने जदयू से भी सीधे तौर पर सवाल भी किया है कि समाज में विभेद फैलाना कहां तक उचित है, यह ट्वीट उन्होंने जदयू के जातिगत जनगणना कराने की मांग पर की है।

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