रामविलास पासवान की पहली बरसी पर आमने-सामने हुए चाचा और भतीजे, भाभी के पैर छूये पशुपति पारस

लोजपा के संस्थापक तथा भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री स्व रामविलास पासवान की पहली बरसी पर आयोजित किए गए कार्यक्रम में रविवार को श्रीकृष्णापुरी स्थित उनके आवास पर उनके पूरे परिवार का जुटान हुआ। उनके पुत्र चिराग पासवान के आमंत्रण पर राज्यपाल, विधानसभाध्यक्ष, विधान परिषद के कार्यकारी सभापति सहित कई केंद्रीय मंत्री, बिहार सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक, विधान पार्षद कार्यक्रम में शरीक हुए और माल्यार्पण कर स्व रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित की।

रामविलास पासवान की पहली बरसी

इस कार्यक्रम मे रामविलास पासवान के छोटे भाई केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस भी शामिल हुए। सबकी नजरे उन पर ही टिकी हुई थीं। पारस दोपहर के एक बजे कार्यक्रम में पहुंचे और अपने दिवंगत ज्येष्ठ भाई रामविलास पासवान के तैल चित्र पर मार्ल्यापण करके।उन्हें श्रद्धांजलि दी, फिर पूजन कार्यक्रम में भी शामिल हुए। पशुपति कुमार पारस ने भाभी व चिराग की मां रीना पासवान के पैर छुकर आशीर्वाद लिए और चिराग ने चाचा पारस के पैर छूकर उनका आर्शीवाद लिया।

रामविलास पासवान की पहली बरसी

लेकिन, चाचा-भतीजे के रिश्ते में पहले से वह बात नहीं दिखी, ना ही दोनों के बीच रिश्ते की वह गर्मजोशी दिखी। जानकारी के मुताबिक इस दौरान दोनों के बीच कुछ खास बातचीत नहीं हुई। राजनीतिक विवाद की स्पष्ट छाया उनके चेहरे पर देखी जा सकती थी। पूजन कार्यक्रम संपन्न होने तक पशुपति पारस कार्यक्रम में मौजूद रहे, फिर हाथ जोड़ कर विदा हो गये। कार्यक्रम में चिराग के चचेरे भाई प्रिंस राज भी नहीं आए थे।

पीएम मोदी ने ट्वीट के जरिए दी श्रद्धांजलि

रामविलास पासवान की पहली बरसी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूतपूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान को याद करते हुए एक लंबा पत्र ट्वीट किया, जिसमें उन्होंने सबसे पहले रामविलास पासवान को श्रद्धांजलि अर्पित किया है, और कहा कि यह मेरे लिए बहुत भावुक दिन है। मैं आज उन्हें अपने आत्मीय मित्र के रूप में याद करने के साथ ही यह भी महसूस कर रहा हूँ कि उनके जाने के बाद भारतीय राजनीति मे एक शून्य उत्पन्न हुआ है। स्वतंत्र भारत के राजनीतिक इतिहास में पासवान जी का हमेशा अपना एक अलग स्थान रहेगा।वे ज़मीन से जुड़े शख्स रहे, जो सामान्य पृष्ठभूमि से उठ कर शीर्ष तक पहुंचे, लेकिन खास बात यह रही कि वे हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे। जब भी कभी हम मिलते थे, वह अपने जमीनी अनुभवों के आधार पर हमेशा गांव-गरीब, दलित-वंचित के हितों की चिंता करते थे।

Manish Kumar