बेगुसराय-मोकामा के बीच गंगा नदी पर 6 लेन पुल बन जाने के वाबजूद नहीं चल पायेगी गाड़‍ियां, ये है वजह

राजधानी पटना को बेगूसराय से जोड़ने वाले मोकामा के राजेंद्र सेतु (Rajendra Setu) के समानांतर बन रहे छह लेन पुल का निर्माण कार्य आखिरी चरण मे है और उम्मीद की जा रही कि साल 2022 तक यह पूरी तरह बनकर तैयार हो जाएगा। लेकिन इसके साथ ही एक खबर यह भी है कि पुल के दक्षिणी भाग मे एप्रोच रोड के निर्माण की तकनीक का पेच अब तक फंसा हुआ है। लगभग एक साल पूर्व ही इस समस्या को सुलझाने की जिम्मेदारी आइआइटी, गुवाहाटी को दी गई थी, लेकिन अब तक कुछ नहीं हो सका है और समस्या जस की तस बनी हुई है। इस पर अब तक विशेषज्ञों की राय उपलब्ध नहीं हो सकी है। एप्रोच रोड ना बनाए जाने की स्थिति मे पुल का निर्माण हो जाने के बाद भी उसका फायदा नहीं होगा।

औंटा घाट-सिमरिया छह लेन पुल का दक्षिणी हिस्सा औंटा घाट है। दरअसल इस दक्षिणी हिस्से का एप्रोच रोड ढाई किलोमीटर का है। इस ढाई किमी के एप्रोच रोड मे तीन रेलवे लाइन शामिल है। इस वजह से इन तीन स्थानो पर आरओबी का निर्माण कराये जाने की जरुरत है। यह निर्माण कार्य ही इस मूल योजना का हिस्सा है। एप्रोच रोड का निर्माण कार्य अभी प्रस्तावित है, जिसे इंबैकमेंट पर बनाया जाना है। लेकिन तीन आरओबी के निर्माण की वजह से मुख्य एप्रोच रोड में तकनीकी तौर पर बदलाव किये जाने की जरुरत महसूस की गई है। इस बदलाव लिए तकनीकी परामर्श की अवाश्यकता है, जिसके लिए एनएचएआई द्वारा आइआइटी, गुवाहाटी के साथ करार किया गया है। निर्माण में बदलाव के लिए तकनीकी परामर्श के अभाव मे निर्माण कार्य पिछले एक वर्ष से लंबित है। एप्रोच रोड निर्माण के बिना पुल के उपयोग की बात सोची भी नहीं जा सकती।

इस तकनीकी समस्या का समाधान निकाले जाने की बराबर कोशिश की जा रही लेकिन कोई सार्थक परिणाम अब तक नहीं सामने आया है। कुछ ही महीनों पहले जून में एक उच्च स्तरीय बैठक आयोजित की गई थी। इस बैठक मे निर्माण में तकनीकी तौर पर परिवर्तन का लागत पर क्या असर पड़ेगा, इस संबंध में विशेष रूप से चर्चा की गई थी। निर्माण एजेंसी को भी बुलाया गया था, और यह निर्देश दिया गया था कि इस सम्बन्ध मे साप्ताहिक प्रगति की रिपोर्ट एनएचएआइ के क्षेत्रीय अधिकारी कार्यालय को सौंपी जाए।

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