अगर आप कभी बिहार आए और राजगीर ना देखा तो क्या देखा! राजगीर पर्यटन के दृष्टिकोण से ना केवल खूबसूरत है बल्कि ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से भी इसका खास महत्त्व है। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन व धार्मिक नगरी राजगीर प्राकृतिक सौंदर्य से भरा-पूरा है। यहाँ के पंच पहाड़ियों में एक सोनागिरी पर्वत की गोद मे वाइल्ड लाइफ जू सफारी का निर्माण कार्य लगभग पूरा होने को है।
राज्य सरकार के वन एवं पर्यावरण विभाग द्वारा जू सफारी के निर्माण का कार्य कुमार हाईट प्रा. लि. को दिया गया था। कार्य शुरू होने के दो साल के अंदर इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना था। साल 2017 मे 17 जनवरी को मुख्य्मन्त्री नीतीश कुमार ने रिमोट दबाकर इस परियोजना का शिलान्यास किया था।
2020 के अगस्त माह में इसे पर्यटको के लिए खोल देना था लेकिन 2021 के जुलाई तक मे भी इसे आम दर्शकों के लिए नहीं खोला जा सका है। जू सफारी के निर्माण के लिए 177 करोड़ का बजट बनाया गया था जिसमें से प्रथम चरण के इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण में 60 करोड़ की राशि खर्च की गई है। कोरोना और लॉकडाउन के कारण निर्माण कार्य मे रुकावट हुई। उम्मीद है कि इस साल के अंत तक जू सफारी आम लोगों के लिए खोल दिए जाएंगे।
ये आ रही समस्या
जू सफारी को आम लोगों के लिए खोलने मे बड़ी समस्या शेर, बाघ, भालू जैसे जंगली जानवरो के ना ला पाने के कारण हो रहा है। संक्रमण के कारण गुजरात तथा मध्य प्रदेश से इन पशुओ के लाए जाने पर रोक है। तीन महीने पूर्व रायल बंगाल टाइगर जू सफारी मे लाया जा सका है। उम्मीद है कि साल के अंत तक सभी तरह के शाकहारी और मांसाहारी जानवरो की भरपूर आमद हो जायेगी।
मांसाहारी जीवो के बनये जा रहे घेरे
पार्क की चारदिवारी का निर्माण कार्य पूरा किया जा चुका है, वहीं मांसाहारी जू सफारी के जीव-जंतु में शामिल खतरनाक जानवरो के लिए 23 फीट ऊँचे घेरान बानाए गए हैं , जिसमें लोहे की जाली व फेंसिंग लगाई गई है। इस घेरान मे जानवरो के विश्राम के लिए नाइट शेल्टर बनाए गए है, जिसमें पेयजल,इलाज, टहलने, प्रजनन और साफ- सफाई की सुविधा है। शाकाहारी जू सफारी मे हिरण, चीतल, काला हिरण, सांभर रखे जाएंगे। लोहे की जालियों से घिरे वाहन में बैठकर पर्यटक इन जानवरो को विचरण करते हुए देख सकेंगे। गौरतलब है कि राजगीर के जू सफारी को विश्वस्तर का बनाया जानेवाला है।
माइक्रोटेलीस्कोप भी लगाया जाएगा
वैभारगिरी पर्वत के शिखर पर माइक्रोटेलीस्कोप लगाया जाएगा। जहां से पर्यटक जू सफारी के कोने-कोने में विचरण कर रहे वन्यप्राणियों का नजारा देख उसका आनंद ले सकेंगे । इसके साथ ही नाइट सफारी भी विकसित करने का प्रस्ताव है क्योकि मांसाहारी वन्यप्राणी रात मे ही गतिशील होते है, शिकार करते हैं, तथा अधिवास व स्थान परिवर्तन भी करते हैं।
देश के विभिन्न अभयारण्यों से पशुओं को लाने के बाद एक महीने तक उनकी गतिविधियो को देखा जाएगा, सबकुछ सामान्य होने के बाद ही उन्हें जू सफारी मे छोड़ा जाएगा। जू सफारी परिसर मे टिकट काउंटर सह रिसेप्शन, ओरिएंटल व ईंटरप्रेटेशन सेंटर, आडिटोरियम, एम्फीथियेटर, सफारी बस पार्किंग बनाया गया है, इसके साथ ही प्रतीक्षालय और रेस्तरां तथा प्रशासनिक भवन, अस्पताल तथा कर्मचारियों के आवास आदि भी बनाए गए हैं।
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