इस फिल्म से हुआ था चिराग पासवान का बॉलीवुड मे डेब्यू, फिल्म नहीं चली तो संभाली पापा की विरासत

राजनीति और बॉलीवुड का हमेशा से एक अटूट बंधन रहा है। कई बार ऐसा देखने को मिला है फिल्मों में नाम कमाने के बाद अभिनेता राजनीति की ओर रुख कर लेते हैं। कुछ ऐसे अभिनेता भी हैं जिन्होंने बॉलीवुड के बाद राजनीति की दुनिया में कदम रखा और सफल भी हुए और कुछ ऐसे भी नेता है जो फिल्मों में भी पिट गये और राजनीति की दुनिया में भी पिट गए। दरअसल आज हम बात कर रहे हैं पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान की।

चिराग पासवान बिहार के युवा नेता है। बिहार की राजनीति में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। हालांकि जब तक रामविलास पासवान थे उनकी पार्टी में कोई टूट नहीं हुई। रामविलास पासवान को मौसम वैज्ञानिक भी कहा जाता था क्योंकि वह मौसम को भापकर गठबंधन बदलने में माहिर थे। लेकिन चिराग पासवान में वह कला नहीं दिखती है। बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार के बाद उनकी पार्टी बिखरती जा रही है। हाल ही में रविवार को देर शाम हुई सियासी हलचल से साफ हो गया कि पार्टी के 6 में से 5 सांसदों ने चिराग पासवान को अपना नेता मानने से ही इंकार कर दिया। बॉलीवुड में असफलता का स्वाद चख चुके चिराग पासवान को राजनीति में बड़ी असफलता का सामना करना पड़ा है।

इस फिल्म से हुई बॉलीवुड मे एंट्री

साल 2011 में चिराग पासवान ने फिल्म ‘मिले ना मिले हम’ से बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी। ऐसा भी कह सकते हैं कि यह चिराग पासवान की पहली और आखिरी फिल्म थी। उनकी एंट्री बॉलीवुड में धमाकेदार हुई थी। उनके हैंडसम लुक के कारण भी उन्हें लोकप्रियता मिली थी। इस फिल्म में अभिनेत्री कंगना रनौत ने अहम भूमिका निभाई थी। इस फिल्म में चिराग पासवान कंगना के साथ रोमांस करते नजर आए, लेकिन बॉक्स ऑफिस पर यह फिल्म दर्शकों को पसंद नहीं आई। एक तरफ जहां कंगना रनौत बॉलीवुड की स्टार बन चुकी है वहीं चिराग पासवान बॉलीवुड करियर छोड़ राजनीति की पारियां खेल रहे हैं।

2014 से राजनीति में सक्रिय

फिल्मों से मोहभंग होने के बाद साल 2014 में चिराग पासवान राजनीति में सक्रिय हो गए। आम चुनाव के दौरान 2014 में चिराग पासवान ने बिहार की जमुई लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था और इस सीट पर उन्होंने राजद के प्रत्याशी सुधांशु शेखर भास्कर को हराकर पहली बार सांसद बने।

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चिराग पासवान के पिता और लोजपा के संस्थापक रामविलास पासवान का निधन पिछले साल 8 अक्टूबर को लंबी बीमारी के चलते हुआ था। उनके निधन के बाद लोक जनशक्ति पार्टी धीरे-धीरे बिखरती ही जा रही है। एलजेपी के अंदर बवाल मचा हुआ है, कहा जा रहा है कि चिराग के बागी तेवर और हीरो वाली छवि के चलते उनकी पार्टी में उठापटक चलती रहती है।

चिराग के मनमर्जी से लिए जा रहे हैं फैसले से सांसद लंबे समय से नाराज चल रहे थे। पार्टी के अंदर बगावत इस कदर पहुंच चुकी हैं कि सभी नेताओं ने चिराग पासवान को अपना नेता मानने से ही इंकार कर दिया है। चिराग पासवान के चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता माना है।

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