बिहार के ग्रामीण बैंकों की बदलेगी सूरत, ग्राहकों से लेकर कर्मचारियों तक होंगे लभान्वित

बिहार के ग्रामीण बैंकों में बड़े बदलाव की पहल शुरू की गई है। बैंकिंग संरचना में परिवर्तन की तैयारी की जा रही है, वहां काम करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की सेवा शर्तों में भी संशोधन प्रस्तावित है। ज्वाइंट फोरम आफ ग्रामीण बैंक के संयोजक डीएन त्रिवेदी ने कहते हैं कि केंद्र सरकार के द्वारा इस पहल से सकारात्मक बदलाव की उम्मीद जगी है। उन्होंने यह भी बताया कि श्रम मंत्रालय के नई दिल्ली स्थित उप मुख्य श्रमायुक्त के समक्ष ज्वाइंट फोरम आफ ग्रामीण बैंक यूनियंस साथ की गई समझौता वार्ता सफल रही । बैंकों में जो बदलाव किया जाएगा, उसका सीधा असर उपभोक्‍ताओं को प्राप्त होने वाली सेवाओं पर भी पडेगा। जब बैंक अधिक मजबूत होंगे तो उसके द्वारा प्रदत्त सेवाओं की गुणवत्‍ता में भी सुधार होगा।

डीएन त्रिवेदी ने बताया कि देश के 43 ग्रामीण बैंकों के शेयर पूंजी और संरचना में शीघ्र परिवर्तन की जाने की सम्भावना है। गौरतलब है कि ग्रामीण बैंकों में केंद्र सरकार के 50%, प्रायोजक बैंकों का 35%  तथा राज्य सरकार का 15 फीसद शेयर कैपिटल है, जिसमें शीघ्र परिवर्तन किया जा सकता है। यह भी कहा गया कि 11वें द्विपक्षीय वेतन समझौता के दूसरे चरण के अन्य भत्ते और लाभ 15 दिनों के अंदर लागू करने पर भी सहमति बनी है। सेवा शर्त के अवकाश, पेंशन, तथा ग्रेच्युटी क्लाज में आवश्यक संशोधन तथा अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति इत्यादि मे भी काफी सारे बदलाव हो सकते हैं।

आपको बता दे कि बिहार में पर दो ग्रामीण बैंक प्रमुख रूप से कार्यरत हैं। इनमें उत्‍तर बिहार ग्रामीण बैंक का प्रायोजक सेंट्रल बैंक आफ इंडिया है। जबकि राज्‍य के दक्षिणी हिस्‍से में दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक कार्यरत है। इससे पहले बिहार में तीन ग्रामीण बैंक थे। लेकिन बाद मे मध्‍य बिहार ग्रामीण बैंक और बिहार ग्रामीण बैंक को आपस में विलय कर दिया गया और इसे दक्षिण बिहार ग्रामीण बैंक नाम दिया गया, जो प्रदेश के 20 जिलों मे अपनी सेवा प्रदान करता है। शेष जिलों में उत्‍तर बिहार ग्रामीण बैंक की शाखाएं कार्यरत है।

Manish Kumar