टाटा ग्रुप के मालिक रतन टाटा ने अपने भाई नोएल टाटा (Noel Tata) को टाटा स्टील बोर्ड का वाइस चेयरमैन (Tata Steel Chairperson Noel Tata) बना दिया है। इसके साथ ही नोएल टाटा का नाम लगातार सुर्खियों में छाया हुआ है। सभी जानना चाहते हैं कि आखिर नोएल टाटा कौन है (Who is Noel Tata)? तो वही यह कयास भी लगाए जा रहे हैं कि इस शख्स ने टाटा संस (Tata Sons) में लंबे समय से प्रतीक्षित बोर्ड स्लॉट की दिशा में अपना पहला मजबूत कदम उठाया है। कौन है नोएल टाटा और क्या है इनकी पूरी शख्सियत…आइए हम डिटेल में बताते हैं।
कौन है नोएल टाटा
नोएल टाटा समूह की होल्डिंग कंपनी के बोर्ड में एकमात्र टाटा परिवार के होंगे, जो भारत के सबसे बड़े निजी समूह के दो तिहाई हिस्से के मालिक है। इतना ही नहीं वह पहले से ही टाटा समूह की चार कंपनियों टाटा इंटरनेशनल, वोल्टास और टाटा इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन के चेयरमैन भी है। इसके साथ ही वह टाइटन के वाइस चेयरपर्सन भी ।है नोएल टाटा के लिए टाटा स्टील के वाइस चेयरमैन शिप तीन कारणों से उनकी सक्सेस में एक मील का पत्थर है।
टाटा के चैयरपर्सन क्यों बनाये गए नोएल टाटा
बता दे टाटा कंपनी की ओर से लिए गए फैसलों में यह पहली बार हुआ है कि 65 साल के नोएल टाटा समूह की 3 सबसे महत्वपूर्ण कंपनियों में से एक के बोर्ड में शामिल हो गए हैं। टाटा स्टील ने बीते साल लगभग 65000 करोड़ रुपए के राजस्व के साथ इस वित्तीय वर्ष में रिकॉर्ड तोड़ कमाई करने की उम्मीद की है। ऐसे में यह बात बेहद दिलचस्प है कि टाटा स्टील ने 8 साल बाद वाइस चेयरमैन का पद फिर से अपने हाथों में लिया है।
गौरतलब है कि साल 2009 से साल 2014 तक 5 साल के लिए उस कार्यकाल के अंतिम अधिकारी मुथुरामन थी और इसके बाद इस पद पर किसी अन्य शख्स की नियुक्ति नहीं हुई थी। वही अब इस कदम का एक इमोशनल पार्ट भी सामने आया है, जिसके मुताबिक टाटा समूह के अंदरूनी सूत्रों के लिए साल 1960 में स्थापित टाटा स्टील एक अद्वितीय स्थान है। टाटा स्टील के फैसलों को विशेष तौर पर महत्व देते हैं। वहीं साल 1992 में बड़ी छलांग लगाने से पहले रतन टाटा के टाटा मोटर्स के उपाध्यक्ष बनने के प्रक्रम को टाटा स्टील मॉडल को टाटा मोटर्स में दोहराने की उम्मीद जताई जा रही है।
एन चंद्रशेखरन और नोएल एक ही बोर्ड में होंगे शामिल
टाटा स्टील के इस कदम को सबसे महत्वपूर्ण मानने का एक कारण यह भी है कि यह पहली बार होगा जब नोएल और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन एक ही बोर्ड में शामिल होंगी। चंद्रशेखरन टाटा स्टील के अध्यक्ष पद पर भी कार्यरत है। तीसरा कारण यह है कि टाटा स्टील बोर्ड में उनका शामिल होना नोएल के टाटा समूह के एक प्रमुख परोपकारी संस्थान सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में ट्रस्टी के रूप में शामिल होने के 4 महीने बाद सामने आया।
एकलौते टाटा होंगे नोएल
वहीं साल 2019 में रतन टाटा ट्रस्ट के बोर्ड में एक ट्रस्टी के तौर पर भी उनका नाम शामिल हुआ। साथ ही निकट से जुड़े पारसी समुदाय को भी टाटा के ट्रस्ट बोर्ड में शामिल करने के लिए निहित माना जाता है थी। इन दोनों कदमों से यह निश्चित तौर पर संकेत मिल रहे हैं कि जहां एक पेशेवर के पास टाटा समूह का ऑपरेशन कंट्रोल होगा, तो वही नोएल टाटा भविष्य में टाटा संस के निदेशक मंडल में ट्रस्ट का प्रतिनिधित्व करने के लिए परिवार के सदस्य के तौर पर शामिल होंगे।
लाइमलाइट से दूर रहते हैं नोएल
बतादे नोएल टाटा लाइमलाइट की दुनिया से दूर रहना ही पसंद करते हैं। टाटा ट्रस्ट के बाहर टाटा संस में सबसे बड़े शेयर धारक पल्लोनजी मिस्त्री के दामाद नोएल टाटा को लाइमलाइट में आना बिल्कुल पसंद नहीं है। इतना ही नहीं वह सूट-बूट में रहना भी खासा पसंद नहीं करते। साथ ही वह सीईओ कॉकटेल सर्किट से भी दूर रहते हैं। आमतौर पर वह कॉरपोरेट्स में लास्ट इन फर्स्ट आउट होते हैं। बात उनके परिवार की करें तो बता दें कि ऑफिस के अलावा वह अपना बाकी समय अपनी पत्नी और दोनों बच्चों के साथ बिताना ही पसंद करते हैं।
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