Pearl Farming: बीते 2 सालों में महामारी के दौरान भारी तादाद में प्रवासी लोगों ने अपने अपने गांव में वापसी की है। इतना ही नहीं इस दौरान इन लोगों ने पारंपरिक खेती को छोड़ आधुनिक खेती के प्रति खासा रुझान भी दिखाया है और इसके जरिए उन्होंने लाखों में कमाई भी की है। ऐसे में आज हम आपको बिहार के 28 साल के एक ऐसे युवा किसान के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने आमतौर पर की जाने वाली मक्का, दाल, चावल जैसे अनाजों की फसल उगाने के बजाय मोती की खेती कर लाखों में कमाई की है। इनका नाम नितिल भारद्वाज (Nitiln Bhardwaj) है।
कौन है किसान नितिल भारद्वाज
नितिल भारद्वाज बिहार के चंपारण जिले के मुरारी गांव के रहने वाले हैं। उनकी उम्र 28 साल है। बिहार में जहां ज्यादातर लोग मक्का, दाल, चावल आदि की खेती करते हैं, तो वही नितिल भारद्वाज ने मोती की खेती कर लाखों किसानों की भीड़ से खुद को अलग किया है। वह मोती की खेती के जरिए लाखों की कमाई करते हैं। नितिल भारद्वाज एक पारंपरिक किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं।
30 हजार की नौकरी छोड़ खेती करने आ गए गांव
साल 2017 में नितिल भारद्वाज ने कंप्यूटर प्रोफेशनल के जरिए अपने नौकरी की शुरुआत की। 2018 से पहले तक वह दिल्ली की एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी किया करते थे, जहां उनका सैलरी पैकेज भी काफी अच्छा था। जानकारी के मुताबिक इसके लिए उन्हें ₹30000 महीना सैलरी मिलती थी, लेकिन उनका मन उसमें नहीं लगा। वहीं दूसरी ओर उस समय नितिल के पिता ने समाचार पत्रों में मोती की खेती के बारे में काफी पढ़ा था और उससे संबंधित चीजों को और भी जानना चाहते थे। ऐसे में अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिए उन्होंने मोती की खेती के कारोबार से लेकर उसके फायदे तक सब कुछ के बारे में पढ़ा।
नितिल ने पिता के साथ की मोती की खेती की शुरुआत
पिता के साथ मिलकर नितिल ने भी मोती की खेती में अपने समय को निवेश करने के बारे में सोचा। पिता ने जब नितिल से मोती की खेती के बारे में जानकारी साझा की, तो उन्हें भी उनका आईडिया बहुत अच्छा लगा और दोनों ने मिलकर इस बिजनेस को शुरू करने का मन बना लिया। इसके लिए सबसे पहले नितिल ने अपनी छुट्टी के दौरान इस विषय से संबंधित चीजों पर गंभीर रूप से विचार किया और इस बिजनेस को आगे बढ़ाने का फैसला किया। बाद में वह नौकरी छोड़कर पूरी तरह से इसी में जुट गए।
पहली बार हुआ 75 हजार का मुनाफा
इतना ही नहीं इसके बाद नितिल ने मध्यप्रदेश में बोमोरिया पर्ल नामक फर्म से इस खेती के लिए प्रशिक्षण भी लिया और कुछ महीनों तक उस फार्म में मैनेजमेंट के साथ काम करते हुए हर बारीकी को अच्छे से सीखा। ट्रेनिंग के बाद नितिल ने अपने गांव में आने का फैसला और पिता के साथ मिलकर मोती की खेती करने का निर्णय लिया। पिता के साथ जब उन्होंने मोती की खेती शुरू की तो पहली बार में ही उन्हें ₹75000 की कमाई हुई। इतना ही नहीं इसके जरिए उन्होंने 6 प्रवासी मजदूरों को भी रोजगार दिया। नितिल ने अपने गांव में ही भारद्वाज पर्ल नामक एक फॉर्म की शुरुआत की, जहां वह इस बिजनेस से जुड़ी ट्रेनिंग भी देते हैं।
सरकार से भी मिल रही मदद
नितिल के इस ट्रेनिंग फॉर्म को सरकार से भी मदद मिल रही है। दरअसल नितिल इस फॉर्म को फुल टाइम एंप्लॉयमेंट के तौर पर अपनी जिंदगी का हिस्सा बनाना चाहते हैं। नितिल का कहना है कि उन्होंने एक समय में मेंस्ट्रीम खेती में इंटर करने का फैसला किया था, लेकिन तब यह नहीं हो सका। साल 2018 में अपनी जॉब छोड़ कर गांव आए और पिता के साथ इसकी शुरुआत की और इसी को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
मोती की खेती से करते हैं लाखों की कमाई
बकौल नितिल साल 2019 में खेत में बनाए गए तालाब में उन्होंने 400 सीप लगाई थी। बता दें कि आमतौर पर एक एकड़ जमीन पर तालाब में 25000 से लेकर 30000 सीप लगाए जा सकते हैं। अपनी पहली शुरुआत में इसमें ₹25000 निवेश किए थे, जिसमें उन्होंने ₹75000 का मुनाफा कमाया था। आज वह इसी कारोबार के जरिए 3.6 लाख रुपए की कमाई करते हैं।
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