Kheere Ki Kheti: खीरे की खेती से किसान ने एक साल में कमाया 14 से 15 लाख का मुनाफा, जाने कैसे

How To Start Kheere Ki Kheti: देशभर में कोरोना महामारी के दौरान भारी तादाद में लोगों का रुझान खेती की तरह बढ़ा है। इस दौरान लोगों ने अलग-अलग तकनीक को अपनाते हुए न सिर्फ खेती की, बल्कि भारी मुनाफा भी कमाया। बदलते दौर के साथ खेती करने के तरीके भी बदल रहे हैं। पारंपरिक खेती से खेती करने वाले किसान अब कई नई तकनीकों का सहारा लेकर न सिर्फ अच्छी फसलों को उगा रहे हैं, बल्कि साथ ही इससे भारी मुनाफा भी कमा रहे हैं। ऐसे में आइए आज हम आपको राजस्थान के नागौर जिले में रहने वाले किसान रामनिवास चौधरी की कामयाबी की कहानी (kheera ki kheti kaise karen) बताते हैं, जिन्होंने खीरे और मिर्च की खेती से लाखों की कमाई की है।

खीरे की खेती से की लाखों की कमाई

किसान रामनिवास चौधरी का कहना है कि उनके पास एक पॉलीहाउस और शेडनेट हाउस है, जिसमें वह खेती करते हैं। उनके पाली हाउस में वह 90% तक फसल खीरे की लगाते हैं। ज्यादातर मुनाफा बाजार में चल रहे भाव पर ही निर्भर करता है। बता दे एक एकड़ के क्षेत्र में 70,000 रुपए के बीज लगाने पड़ते हैं। जुताई से लेकर कटाई तक की लागत मिलाकर इसमें कुल 2 से 3 लाख रुपए तक का खर्चा आता है। खीरे की एक फसल में 4 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है। 1 एकड़ में 400 कुंटल तक की उपज होती है, जिससे तकरीबन 7 से 8 लाख रुपए का मुनाफा मिलता है।

1 साल में कमाया 14 लाख का मुनाफा

अपनी कामयाबी की कहानी को लेकर रामनिवास ने बताया कि मई-जून में खीरा 45 रुपए किलो तक बिक जाता है, तब उन्हें मुनाफा और भी ज्यादा मिलता है। वहीं अब वह खीरा 15 से 20 रुपए किलो बिक रहा है, तो ऐसे में थोड़ा नुकसान भी झेलना पड़ रहा है। हालांकि साल भर में 2 बार चीजों की खेती करते हैं और साथ ही मिर्ची उगाते हैं। इन दोनों फसलों के सिर्फ वह साल भर में करीबन 14 लाख रुपए का मुनाफा कमाते हैं।

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जैविक तरीके से करते हैं खीरे की खेती

उन्होंने बताया कि वह खीरे की खेती करने के लिए जैविक तरीके को अपनाते हैं, जिसके जरिए 3 से 4 महीने में यह फसल उत्पादन के लिए तैयार हो जाती है और इसकी फसल की बुवाई के लिए मजदूर भी नहीं लगाने पड़ते, जिससे मजदूरों पर होने वाले खर्च से भी मुक्ति मिल जाती है। साथ ही रासायनिक खाद्य के साथ-साथ जगह भी पूरी तरह से जैविक खाद के उपयोग में काम आती है। इससे खेती में आने वाले खर्च में और भी कमी आ जाती है।

25 किसानों को सब्सिडी देती है सरकार

इसके साथ ही राजस्थान के नागौर में रहने वाले किसान रामनिवास ने बताया कि अगर खीरे की खेती करने के लिए सरकार से मदद लेते हैं, तो आपको और भी ज्यादा मुनाफा होता है। कई नई नई तकनीक आ गई है, इसका उपयोग कर किसान अपनी उपज को और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं। हालांकि यह कुछ हद तक पारंपरिक तकनीक से महंगी होती है।

कमजोर आय वर्ग के किसान इस तकनीक को अपनाने से भी बचते हैं। पॉलीहाउस को बनाने में 20 लाख रुपए की लागत आती है। ऐसे में सरकार हर जिले में 25 किसानों को इस पर सब्सिडी देने का टारगेट सेट कर चुकी है। तो बता दें कि जो किसान शेडनेट या पॉलीहाउस लगाना चाहते हैं, वह सरकार की इस सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं।

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