Sunday, May 28, 2023

पिता की एक साल की सैलरी से खरीदा था अमेरिका जाने का टिकट, जाने सुंदर पिचाई के संघर्ष की कहानी

गूगल एक सर्च इंजन जिसे आज दुनिया के हर लोग इस्तेमाल करते है। किसी भी चीज के बारे में जानकारी प्राप्त करनी हो या फिर कुछ ढूंढना हो आज हम हर तरीके से गूगल पर निर्भर है। गूगल के सीईओ जिसे आज पूरी दुनिया सुंदर पिचाई नाम से जानती हैं उन्होंने हाल ही में एक वर्चुअल ग्रैजुएशन सेरेमनी के दौरान अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए स्टूडेंट्स को उम्मीद और अधीरता न छोड़ने की सलाह दी। इस ग्रैजुएशन सेरेमनी को यूट्यूब पर “Dear Class of 2020” के टाइटल के साथ लाइव स्ट्रीम किया गया था.

इस समारोह में कई लीडर्स, स्पीकर्स, सेलेब्रिटी और यूट्यूब क्रिएटर्स को भी शामिल किया गया था. इस सेरेमेनी को संबोधित करते हुए सुंदर पिचाई ने कहा था कि टेक्नोलॉजी को लेकर बहुत सी ऐसी चीजें है जो आपको हताश करती हैं और अधीर बनाती हैं लेकिन इस अधीरता को कभी खत्म नहीं होने देना चाहिए. इसी से तकनीक की दुनिया में अगली क्रांति आएगी और आप उन चीजों को ​बनायेंगे, जिसे मेरी जेनरेशन के लोगा सोच भी नहीं सकते हैं.

पिचाई ने आगे कहा, ‘क्लाइमेट चेंज को लेकर आप हमारी जेनरेशन द्वारा उठाये गये कदम से हताश हो सकते हैं. अधीर बने रहिये. इसी की मदद से आप उस उन्नति तक पहुंच पायेंगे, जिसकी पूरी दुनिया को जरूरत है.’इसी सेरेमनी में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बाराक ओबामा और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी मौजूद थे और उन्होंने भी समारोह को संबोधित किया था। इसके अलावा सिंगर लेडी गागा और नॉबेल पुरस्कार विजेता मलाला युसुफजई इस कार्यक्रम में मौजूद थी।

पिता की एक साल की कमाई से हुआ अमेरिका का टिकट

गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने अपने संबोधन में अपने संघर्ष के दिनों को याद करते हुए कहा कि वह 27 साल के थे जब उन्होंने भारत छोड़कर अमेरिका के स्टैनफोर्ड यूनिव​र्सिटी में अपनी पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा, ‘मेरे पिता ने अपनी एक साल की कमाई के बराबर रकम मेरे टिकट पर खर्च किया था ताकि मैं स्टैनफोर्ड में पढ़ सकूं. प्लेन में सफ़र करने का यह मेरा पहला अनुभव था.’ इज़के आगे उन्होंने बताया कि जब वह पहली बार कैलिफ़ोर्निया पहुंचे तब वहां स्थिति बिल्कुल भी वैसी नही थी जैसी उन्होंने सोची थी।

whatsapp-group

टेक्नोलॉजी को लेकर एक जुनून मुझे अमेरिका लाया

अपने पुराने दिनों को याद करते हुए पिचाई ने बताया कि जब वह अमेरिका आये थे तब अमेरिका बहुत महंगा देश था. जब भी उन्हें भारत फ़ोन करना होता था तब उन्हें एक मिनट के 2 डॉलर खर्च करने पड़ते थे. एक बैगपैक की कीमत मेरे पिता के महीने भर की सैलरी के बराबर थी. उन्होंने कहा कि अमेरिका में आने के बाद उन्हें अंदाजा भी नहीं था कि उनकी दुनिया कैसे बदल जायेगी. सुंदर पिचाई ने आगे बताया कि, ‘मुझे वहां से यहां तक जिस एक चीज लेकर आई है वो है मेरी किस्मत. मुझमें टेक्नोलॉजी को लेकर एक जुनून था और मैं हुमेशा से दिमाग का व्यक्ति रहा.’

google news

ऐसा रहा बचपन

बात करें अगर सुंदर पिचाई के बचपन की तो उनका बचपन चेन्नई में बिता जहां उन्होंने अपनी आईआईटी की पढ़ाई पूरी की। चेन्नई में आने पढ़ाई के बाद पिचाई ने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में अपनी मास्टर्स की डिग्री हासिल की और फिर व्हॉर्टन स्कूल से एमबीए की डिग्री ली। साल 2004 में उन्होंने गूगल में नौकरी शुरू की थी. इस दौरान वो गूगल टूलबार और गूगल क्रोम के लीड डेवलपमेंट टीम में थे. अब यह दुनिया के सबसे पॉपुलर वेब ब्राउज़र के तौर जाना जाता है.

Related Articles

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Stay Connected

0FansLike
3,785FollowersFollow
0SubscribersSubscribe

Latest Articles