Sharad Yadav Networth: जदयू के पूर्व अध्यक्ष और समाजवाद के प्रखर नेता बन हर किसी के दिल को छू जाने वाले शरद यादव ने 75 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया है। 12 जनवरी को गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में कार्डियक अरेस्ट आने के बाद उनका निधन (Sharad Yadav death) हो गया। शरद यादव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकार सभी राजनेताओं ने उन्हें सोशल मीडिया के जरिए श्रद्धांजलि अर्पित की है। शरद यादव को समाजवाद का प्रखर नेता और उनके लिए आवाज उठाने वाले नेता के तौर पर जाना जाता था। ऐसे में आइए हम आपको शरद यादव के नीजी जीवन के साथ-साथ उनकी शिक्षा और उनकी नेटवर्थ के बारे में बताते हैं।
शरद यादव का सफरनामा
जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के निधन की खबर उनकी बेटी ने सोशल मीडिया के जरिए दी है। उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट साझा कर लिखा- पापा नहीं रहे… आपको मालूम हो कि शरद यादव ने जेडीयू को जमीन पर मजबूत किया था और कई अहम राजनीतिक घटनाओं में एक सक्रिय भूमिका निभाई थी।
शरद यादव ने बिहार की राजनीति से अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी और समाजवाद की प्रखर आवाज के तौर पर उन्होंने अपने जीवन में अपनी पहचान खड़ी थी। समाजवाद के हित और उनके अधिकारों के लिए आवाज बुलंद करने और उनके मुद्दों को उठाने के लिए खास तौर पर जाने जाते थे।
शरद यादव की नेटवर्थ
राजनीति की दुनिया में एक लंबे अंतराल तक अपना जीवन बिताने वाले शरद यादव की कुल संपत्ति 8 मिलियन थी। साल 1971 में शरद यादव ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी। उनका रुझान शुरू से ही राजनीति की ओर था इसलिए वह इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान की छात्र संघ की राजनीति से जुड़ गए और अध्यक्ष भी बनें। शरद यादव को लेकर हमेशा ही कहा जाता था कि वह लोहिया के विचारों से प्रभावित है और इस प्रभाव में रहते हुए उन्होंने कई आंदोलन भी किए।
शरद यादव का निजी सफरनामा
बात शरद यादव के निजी जीवन की करें तो बता दें कि उनका जन्म 1947 में मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के गांव में हुआ था। शरद यादव पढ़ाई के दौरान ही राजनीति में दिलचस्पी दिखाने लगे थे यही वजह थी कि वह साल 1971 में अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही छात्र संघ की राजनीति से जुड़ गए थे। शुरू से ही उनका रुझान राम मनोहर लोहिया के विचारों की तरफ झुकाव रखता था, ऐसे में जब उन्होंने युवा नेता के तौर पर अपने राजनीतिक सफर की शुरूआत की तो वह राम मनोहर लोहिया से जुड़े कई आंदोलनों में भी शामिल हुए।
इसके बाद MISA के तहत साल 1969-70, और 1972, 1975 में इन आंदोलनों के चलते उन्हें गिरफ्तार भी किया गया। बता दे शरद यादव साल 1974 से राजनीति की दुनिया में सक्रिय थे और अपने जीवन की अंतिम सांस तक राजनीति में प्रखर भूमिका निभाते रहे। शरद यादव पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे।
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