Sharad Yadav family: जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष और समाजवाद के प्रखर नेता शरद यादव ने 75 साल की उम्र में आज दुनिया को अलविदा (Sharad Yadav Death) कह दिया। उनके निधन की खबर उनकी बेटी सुभाषिनी राज राव ने अपने फेसबुक अकाउंट के जरिए साझा की है। इस दौरान उनकी बेटी (Sharad Yadav Daughter) ने पोस्ट में लिखा- पापा नहीं रहे… ऐसे में आइए आपको बताएं कि शरद यादव के परिवार में उनकी बेटी के अलावा और कौन-कौन (Sharad Yadav Family) है?
शरद यादव का निधन (Sharad Yadav Pass Away)
जनता दल यूनाइटेड के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव का 75 साल की उम्र में निधन हो गया है। शरद यादव ने गुरुग्राम के फोर्टिस अस्पताल में अचानक हार्ट अटैक आने के बाद दुनिया को अलविदा कह दिया। शरद यादव के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ-साथ कई राजनेताओं ने सोशल मीडिया के जरिए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। शरद यादव को समाजवाद वाली राजनीति, समाजवाद के मुद्दों, समाजवाद के सरोकार के लिए राजनीति में चौतरफा लोकप्रियता मिली थी।
शरद यादव के परिवार में कौन-कौन है (Sharad Yadav Family And political career)
वहीं बात शरद यादव के परिवार की करें तो बता दे कि उनके परिवार में उनकी पत्नी के अलावा उनका एक बेटा और एक बेटी है। शरद यादव की पत्नी का नाम डॉक्टर रेखा यादव है। वही बात उनके बच्चों की करें तो बता दे कि उनके बेटे का नाम शांतनु बुंदेला और बेटी का नाम सुभाषिनी राज राव है। शरद यादव ने 15 फरवरी 1989 को रेखा यादव से शादी की थी। शरद यादव की बेटी की बात करें तो बता दें कि उनकी बेटी ने साल 2020 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी को ज्वाइन किया था। वह भी अपने पिता की तरह राजनीति में सक्रिय हैं।
सुभाषिनी ने आरजेडी के टिकट पर बिहारीगंज विधानसभा सीट से चुनाव भी लड़ा था। हालांकि इस दौरान उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा। वही बात शरद यादव के बेटे की करें तो बता दे कि शांतनु बुंदेला ने यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन से अपना पोस्ट ग्रेजुएशन पूरा किया है।
शरद यादव का जीवन सफरनामा (Sharad Yadav Life Journey)
बात शरद यादव के निजी जीवन की करें तो बता दें कि शरद यादव का जन्म 1947 को मध्यप्रदेश के होशंगाबाद के एक छोटे से गांव में हुआ था। शरद यादव पढ़ाई के दौरान से ही राजनीति में दिलचस्पी रखने लगे थे और इसी की देन रहा कि उन्होंने अपने कॉलेज में छात्र संघ को ज्वाइन कर लिया था। इस दौरान वह छात्र संघ के अध्यक्ष भी बनें।
शरद यादव की सोच में शुरू से ही राम मनोहर लोहिया के विचारों की झलक दिखती देती थी। ऐसे में वह राम मनोहर लोहिया के सानिध्य में हुए कई आंदोलनों का हिस्सा भी बनें, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। बता दे शरद यादव पहली बार मध्य प्रदेश की जबलपुर लोकसभा सीट से सांसद चुने गए थे।
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