Train Accident Reason: भारत को दुनिया का सबसे बड़ा रेल नेटवर्क कहा जाता है। चीन, अमेरिका और रूस सभी रेल नेटवर्किंग के मामले में भारत से पीछे है। ऐसे में जहां एक ओर भारत रेल नेटवर्किंग के मामले में सबसे आगे है, तो वही भारत की रेल प्रणाली भी सर्वश्रेष्ठ है या नहीं है… इस समय चर्चा का मुद्दा बना हुआ है?
हाल ही में हुए ओडिशा रेल हादसे ने सभी को झकझोर कर रख दिया है। हर कोई इस रेल हादसे के पीछे की वजह जानने के लिए अपने-अपने अंदाज में कयास लगा रहा है। हालांकि भारतीय रेलवे की ओर से अब तक हादसे के कारणों को लेकर कोई ऑफिशल स्टेटमेंट नहीं दिया गया है।
क्यों होते है ट्रेन हादसे
मालूम हो कि भारत में हर दिन पटरी पर 20,000 से ज्यादा ट्रेनें दौड़ती है और इसके साथ ही हर दिन लाखों की तादाद में लोग आवागमन करते हैं। देश में ट्रेन हादसों के मामले बेहद काम आते हैं, लेकिन अक्सर ट्रेन के पटरी को छोड़ देने, पटरी से उतर जाने के मामले लोगों को परेशान करते हैं। ऐसे में क्या आप जानते हैं कि ट्रेन पटरी कैसे छोड़ देती है?
जिस तरह से ट्रेन के पहियों को बनाया जाता है, उस डिजाइन के मुताबिक पहियों का पटरी से उतरना बहुत मुश्किल होता है। तो आखिर क्या वजह है कि हर दिन ट्रेन के पटरी से उतरने के मामले सुर्खियों में होते हैं, जिसके चलते कई बार कुछ अप्रिय घटनाएं भी हो जाती है। वहीं दूसरी ओर ट्रेनों के बीच होने वाले टकराव के हादसों को रोकने के लिए भारतीय रेलवे की ओर से एक टक्कर रोधी तकनीक यानी कवच टेक्नोलॉजी की शुरुआत की गई थी, लेकिन यह भी कुछ काम नहीं आई है
क्यों पटरी से उतर जाती है ट्रेन
पटरी से ट्रेनों के उतरने की कई कारण हो सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह हो सकता है कि रेलवे ट्रैक पर मैकेनिकल फॉल्ट हो यानी ट्रेन के ट्रैक को बदलने के लिए लगने वाले उपकरण का खराब होगा। इसके बाद पटरियों का चटकना, ट्रेन के डब्बे को बांधकर रखने वाले उपकरण का ढीला होना या एक्सेल का टूटना भी… इसके पीछे की वजह हो सकती है। वही एक्सपर्ट्स की मानें तो ट्रेन के पहियों का घिस जाना भी इसके पीछे का कारण हो सकता है।
दरअसल पहियों के लगातार घिसने के कारण भी ट्रेन डिरेल हो जाती है। गर्मियों में पटरियों के स्ट्रक्चर में बदलाव के कारण भी ट्रेन पटरी छोड़ देती है। इन सबके अलावा तेज चलती ट्रेन को तीव्र गति से रोकना या फिर ब्रेक लगा देना भी ट्रेन के पटरी से उतरने का कारण बन सकता है। ऐसे में अगर ट्रेन में हल्की सी भी खराबी हो तो यह बेहद जरूरी है कि उसे तुरंत ठीक कराया जाए।
क्यों काम कर नहीं रही टक्कर रोधी तकनीक?
भारतीय रेलवे ने हाल ही में कवच जैसी टक्कर रोधी तकनीक की शुरुआत की थी, जिसके बाद यह कहा जाने लगा था कि ट्रेन की टक्कर जैसे दुर्घटना के मामले अब कम हो जाएंगे। हालंकि कवच जैसी टक्कर रोधी तकनीक भी ऐसी दुर्घटना को नहीं रोक पाई। दिल्ली-भोपाल रूट पर चलने वाली वंदे भारत और गतिमान एक्सप्रेस में यह सिस्टम लगा हुआ है। इसके लिए पटरियों पर भी सिग्नल ट्रांसमीटर लगाए गए हैं। पूरे भारत में इसके सेटअप को लगाने के लिए अभी काफी काम बाकी है।
कवच टेक्नोलॉजी को लेकर भारतीय रेलवे का कहना है कि ट्रेन की आमने-सामने की या फिर ट्रैक पर पहले से खड़ी ट्रेन को पीछे से दूसरी ट्रेन द्वारा आकर टक्कर मारने जैसी घटनाएं लगभग खत्म हो जाएंगी। इसके लिए इस टेक्नोलॉजी को मजबूत किया जा रहा है। कवच का काम टक्कर को रोकना है, ना कि ट्रेन के पटरी छोड़ने या पलटने से बचाव करना। ऐसे में पटरियों, सिग्नल सिस्टम और ट्रेन को उपकरणों को दुरुस्त रखकर ही ऐसी घटनाओं को कम किया जा सकता है।
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