रामविलास पासवान: बनने वाले थे DSP लेकिन बने 6 बार केंद्र में मंत्री, जानिए झोपड़ी से दिल्ली के ‘बंगले’ का सफर

रामविलास पासवान एक ऐसा नेता जिसे राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है। इनके निधन से बिहार के साथ-साथ देश की राजनीति का एक अध्याय समाप्त हो गया। देश में चाहे सरकार किसी भी पार्टी की रही हो पर रामविलास पासवान को हमेशा से महत्व दिया जाता रहा है। रामविलास पासवान का राजनीति में क्या कद रहा इसका आप इसी बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि उन्होंने अटल बिहारी, एच डी देवगौड़ा, बी पी सिंह, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की कैबिनेट में काम किया है।

लालू यादव, रामविलास पासवान, और नीतीश कुमार तीनों ही बिहार के बड़े नेता रहे हैं। इन तीनों नेताओं में एक बात कॉमन थी की इन सब ने गरीबी से शुरुआत किया है। इन्हें राजनीति विरासत में नहीं मिली थी। इन्होंने अपने दम पर वो मुकाम हासिल किया जो हर नेता सपने में देखता है।

रामविलास पासवान की जीवनी

इनका जन्म एक दलित परिवार में 5 जुलाई 1946 को खगड़िया जिले के शहरबन्नी गाँव में हुआ था। इनके पिता का नाम जामुन पासवान और उनके माता का नाम सियादेवी था। जामुन पासवान के तीनों बेटों में रामविलास पासवान सबसे बड़े थे। उसके बाद पशुपति पारस और रामचंद्र आते हैं। रामविलास पासवान के पिता ने तीनों को काफी गरीबी में पाल पोसकर बड़ा किया है। आपको बता दें कि रामविलास पासवान ने बैचलर ऑफ लॉ की डिग्री कोशी कॉलेज और मास्टर ऑफ आर्ट्स की डिग्री पटना यूनिवर्सिटी से ली है।

डीएसपी पद के लिए हुए थे चयनित

एक आम नौजवान की तरह रामविलास पासवान ने भी सरकारी नौकरी के लिए यूपीएससी की तैयारी शुरू की। उन्होंने इस परिक्षा को क्रैक भी किया। पीसीएस की परीक्षा पास करने के बाद रामविलास पासवान का डीएसपी पद के लिए चयनित हुआ है। उसी समय बिहार की राजनीति में उथल-पुथल मची थी। इसी दौरान उनका मुलाकात समाजवादी नेता राम सजीवन से हुई। अगर राम विलास पासवान की मुलाकात राम सजीवन से ना हुई होती तो वह आज भी एक साधारण से पुलिसवाले बन कर रह गए होते।

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पासवान को तो DSP बनना था लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। साल 1969 में रामविलास पासवान ने संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के टिकट पर अलौली से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे। इसके बाद उन्होंने राजनीति में कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। 1974 में रामविलास पासवान लोक दल के महासचिव बने। पासवान कर्पूरी ठाकुर, सत्येंद्र नारायण सिन्हा, राजनारायण जैसे आपातकाल के प्रमुख नेताओं के भी करीबी रहे हैं।

ऐसी रही पर्सनल लाइफ

रामविलास पासवान राजनीति के अलावा अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर भी चर्चा में रहे। राम विलास पासवान ने 1960 में राजकुमारी देवी से शादी की थी। दोनों एक दूसरे के साथ दो दशक तक साथ रहे फिर पासवान ने राजकुमारी को तलाक दे दिया। इसके बाद पासवान ने 1983 में एयर होस्टेस रीना शर्मा से शादी की। चिराग पासवान रीना शर्मा के ही बेटे हैं।

6 बार रह चुके हैं केंद्र में मंत्री

आपको बता दें कि जब राम विलास पासवान ने राजनीति में एंट्री की तो पहली बार मे ही इन्होंने जीत का स्वाद चख लिया। रामविलास पासवान के नाम चुनावी राजनीति में सर्वाधिक मतों से जीतने का दो बार रिकॉर्ड बनाया था। हालांकि इनके सर्वाधिक मतों से जीतने के रिकॉर्ड को बाद में पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने तोड़ा। रामविलास पासवान एक ऐसे नेता हैं जिन्होंने 6 प्रधानमंत्री के साथ कैबिनेट में मंत्री रहे हैं। इसीलिए इन्हें राजनीति का मौसम वैज्ञानिक कहा जाता है।

  • रामविलास पासवान 1989 में पहली बार केंद्रीय श्रम मंत्री बने
  • 1996 में रेल मंत्री
  • 1999 में संचार मंत्री
  • 2002 में कोयला मंत्री
  • 2014 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री
  • फिर मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल 2019 में खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बने।

इंदिरा गांधी के आपातकाल के दौरान जुल्म और ज्यादतियों के खिलाफ आवाज उठाने वाले नेताओं से लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं तक को जेल में डाल दिया गया था। जेलों में जगह नहीं बची थी, लेकिन आपातकाल के विरोध में आवाज बुलंद करने वालों के हौसले बचे हुए हुए थे। रामविलास पासवान भी आपातकाल का विरोध कर रहे थे लेकिन उन्हें उठाकर जेल में डाल दिया गया।

जब रामविलास पासवान जेल से 2 साल बाद 1977 में छूटे तो उन्होंने जनता पार्टी की सदस्यता ली और उनके टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ा। रामविलास पासवान हाजीपुर सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे। इसी दौरान उन्होंने सबसे भारी मतों से जीतने का रिकॉर्ड बना दिया। हालांकि उनका यह रिकॉर्ड बाद में नरसिंभा सिंह राव ने तोड़ा। आपको बता दे की देश के प्रमुख दलित नेताओं में से एक केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान निधन 19 Oct 2020 को हुआ था। इन्होंने ही एलजेपी की स्थापना की थी।

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