45 दिनों के अंदर बिहार का दो रेल रूट शुरू हो जाने के बाद मधुबनी के लोगों को सहरसा के साथ ही नेपाल का भी सफर सुहाना हो गया है। एक लंबे इंतजार के बाद मिथिलांचल और सीमांचल का संपर्क रेल नेटवर्क से जुड़ गया है। 12 से अधिक बंद रेलवे स्टेशन की स्थिति अब बदलने लगी है। इसके अलावा पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत से नेपाल के बीच ट्रेन परिचालन का शुभारंभ किया। 2 अप्रैल से जयनगर से नेपाल के कुर्ता तक ट्रेन दौड़ने लगी और दो देशों के बीच ट्रेन से आना-जाना भी शुरू हो गया।
बहाल हुआ दरभंगा, मधुबनी का सहरसा व सुपौल से रेल कनेक्शन
मालूम हो कि साल 1964 के भूकंप ने मिथिला को दो हिस्स में कर दिया था। दरभंगा, मधुबनी का सहरसा व सुपौल से रेल कनेक्शन टूट गया था 88 सालों के बाद एक बार फिर से रेल संपर्क स्थापित हो गया है। 7 मई के दिन में वीडियो कांफ्रेंसिंग में के माध्यम से केंद्र के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने रेल रूट पर ट्रेन परिचालन का उद्घाटन किया।
रेलवे कनेक्शन जुड़ जाने के बाद मधुबनी वासियों का सहरसा जाना बेहद आसान हो गया है। जहां पहले 7 घंटा लगता था वहीं अब 5 घंटे में ही यात्री सवारी गाड़ी के जरिए झंझारपुर के रास्ते सहरसा की यात्रा पूरी कर रहे हैं। यात्रियों को समय के साथ ही पैसे की बचत हो रही है। जहां 100 रुपए का टिकट बुक करना पड़ता था वहीं अब यात्री सहरसा की यात्रा 50 रूपए के टिकट पर ही कर रहे हैं। दूरी कम हो जाने से सफर आसान हो गया है।
नेपाल भी आना जाना हुआ सरल
उधर, मधुबनी के लोग ट्रेन से सफर करके नेपाल पहुंच रहे हैं। मामूली किराया में लोगों का आना-जाना हो रहा है। ट्रेन से यात्रा करने के लिए दोनों देशों के आमजनों को पहचान पत्र रखना जरूरी है। पहचान पत्र के तौर पर हुए वोटर कार्ड या आधार कार्ड का उपयोग कर सकते हैं। टिकट काउंटर पर पहचान पत्र दिखाना पड़ता है। ट्रेन की यात्रा शुरू हो जाने से बस से यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में कमी देखी जा रही है।
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