क्या है ‘भारत जोड़ो यात्रा’, कांग्रेस की वापसी और राहुल की राह बनाएगी मजबूत?

Bharat Jodo Yatra: सड़क पर संवाद बेहतर होता हैराहुल गांधी…. 150 दिन 12 राज्य और 3750 किलोमीटरकी भारत जोड़ो यात्रा पर की शुरुआत राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने 7 सितंबर 2022 से की। भारत को जोड़ने के तर्ज पर आज राहुल गांधी सड़कों पर संवाद कर रहे हैं। इस दौरान वह सिर्फ अपने नेताओं से ही नहीं, बल्कि जनता जनार्दन और पत्रकारों से भी बात कर रहे हैं। 7 सितंबर को कन्याकुमारी से महत्वकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की गई। अपने इस मिशन में राहुल गांधी 3750 किलोमीटर पैदल चल कर 150 दिन में कश्मीर पहुंचेंगे।

राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का घोषित मकसद भारत में बीजेपी कि विभाजनकारी नीति को चुनौती देना है, लेकिन राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो असल मायने में यह कॉन्ग्रेस की वापसी की सड़क तैयार करने और राहुल गांधी की जमीन से जुड़े नेता की छवि को गढ़ने की कोशिश है। राहुल गांधी की इस यात्रा को 2 महीने का समय हो चुका है और अब तक वह केरल से होते हुए मध्यप्रदेश के बुरहानपुर जिले तक पहुंच चुके हैं।

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क्यों दिया ‘भारत जोड़ो यात्रा’ नाम?

राहुल गांधी की इस 150 दिनों की यात्रा को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह के सवाल उठाए हैं। हर कोई जानना चाहता है कि क्या वह सच में 150 दिनों में 12 राज्यों की पैदल यात्रा कर रहे हैं। ऐसे में उनके इस आंदोलन के नाम को लेकर भी कई तरह के सवाल भी उठ रहे हैं। इतना ही नहीं विपक्ष भी राहुल गांधी की इस यात्रा को लेकर अलगअलग तरह से हमलावर नजर आ रही है, लेकिन हर हमले, हर कटाक्ष को दरकिनार कर पूरे फोकस के साथ राहुल गांधी अपनी इस यात्रा में आगे बढ़ रहे हैं। इस यात्रा को लेकर राहुल गांधी एक ही ताल ठोकते नजर आ रहे हैं कि उनका लक्ष्य बीजेपी द्वारा धर्म और जाति के नाम पर विभाजित किए गए भारत को एक बार फिर से जोड़ना है।

इसी सोच के साथ राहुल गांधी अपनी यात्रा के जरिए कांग्रेस में भी जान फूंकने की कोशिश कर रहे हैं और पार्टी के भीतर के मतभेदों को दूर करने की कवायद जारी है। ये कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा की असल परीक्षा ऐसे प्रदेशों में होगी, जहां कांग्रेस को अपनी छवि को सुधारना होगा। ये कुछ ऐसे प्रदेश है जहां कांग्रेस की स्थिति बेहद कमजोर है। ऐसे में असल मायने में राहुल गांधी की ये यात्रा बीजेपी को चुनौती देने के बजाय कांग्रेस को एक्टिव करने और लोगों के बीच खत्म हो चुकी कांग्रेस को फिर से खड़ा करने की है।

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बीते कुछ सालों के राजनीतिक पटल पर कांग्रेस की छवि के आधार पर बात करें तो इन सालों में कांग्रेस राजनीतिक गलियारों में बिल्कुल निष्क्रिय सी नजर आई है। इसके नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं तक के बीच पार्टी की धूमिल छवि के कारण कामों को लेकर जोश ठंडा पड़ गया है। इन हालातों में यह कहना गलत नहीं होगा कि राहुल गांधी की यात्रा कार्यकर्ताओं में जोश भरने में भी अहम भूमिका निभा रही है।

सवालों के चक्रव्यूहमें भारत जोड़ो यात्रा

जहां एक ओर राहुल गांधी अपनी इस भारत जोड़ो यात्रा की कमान पर पार्टी का तीर रख राजनीतिक चक्रव्यू से बाहर हो चुकी कांग्रेस को एक बार फिर चक्रव्यू के अंदर ला बीजेपी पर अपना निशाना साध रहे हैं, तो वहीं बीजेपी भी लगातार कांग्रेस की इस भारत जोड़ो यात्रा पर निशाना साध रही है। सितंबर की उमस भरी गर्मी से शुरू हुई भारत जोड़ो यात्रा का यह पसीना दिल्ली के साथसाथ अन्य राज्यों में होने वाले चुनावों पर अपनी कितनी महक छोड़ता हैयह तो आने वाला वक्त ही बताएगा। लेकिन राहुल की इस अप्रोच पर तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर से लेकर दिल्ली की सियासत तक हलचल मच गई है।

बीजेपी ने भारत जोड़ो यात्रा को गांधी के समय से आज तक के कई आंदोलनों से जोड़ दिया है और सवालों के चक्रव्यू में कांग्रेस संग राहुल की छवि को पूरी तरह उलझाने की कोशिश भी की है। यह बात अलग है कि राहुल गांधी इस दौरान राजनीतिक बयानबाजी से दूर जनता के बीच और आमजनों से संवाद कर उनका भरपूर समर्थन बटोर रहे हैं।

राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा ने अब तक कई आरोपों का सामना किया और कई बार सवालों में भी घिरीलेकिन इन सबके बावजूद देखा जाए तो सड़क पर संवाद कर रहे राहुल को अब तक जिसजिस राज्य में अपनी इस पैदल पदयात्रा को लेकर पहुंचे उन्हें हर वर्ग, हर तबके का साथ अपने हाथ के साथ नजर आया है। ऐसे में राहुल गांधी की लोगों के बीच सुधरती छवि बीजेपी के लिए कितनी नुकसान दायक साबित होती है यह आगामी चुनावों में ही साफ होगा।

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सोनिया गांधी का जोड़ना कितना सार्थक

राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा में कांग्रेस की आलाकमान सोनिया गांधी जो लंबे समय से सार्वजनिक कार्यक्रमों से दूर थी वह भी नजर आई। इस दौरान सोनिया गांधी अपने उस पुराने जोश में ही बेटे के साथ कदमताल मिलाते 45 मिनट तक इस यात्रा का हिस्सा बनी। हालांकि इस यात्रा के 45 मिनट के कुछ 30 सेकंड की चर्चा इस समय सबसे ज्यादा सुर्खियां बटोर रही है। यह वक्त वो था जब राहुल गांधी अपनी मां के जूते के फीते बांधने नजर आए।

बीजेपी के समर्थकों ने राहुल गांधी और सोनिया गांधी के बीच के इस 30 सेकंड की वायरल हुई वीडियों और तस्वीरों को लेकर जमकर निशाना साधा। इस दौरान बीजेपी की ओर से इसे पब्लिसिटी स्टंट बताया गया। हालांकि कांग्रेस के आलाधिकारी भी बीजेपी के वार पर चुप नहीं हुए और पलटवार करते हुए पीएम की मां को छूते हुए तस्वीर को ट्वीट कर उन्हें आईना दिखा दिया।

प्रियंका गांधी ने भी साधा निशाना

बात कांग्रेस पार्टी, सोनिया गांधी और उनके राजकुमार राहुल गांधी की हो तो बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा इस चर्चा से बाहर कैसे रह सकती हैं। प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी राहुल गांधी की इस भारत जोड़ो यात्रा का भरपूर समर्थन किया है। साथ ही उन्होंने इस यात्रा को लेकर यह दावा भी किया है कि इससे पूरा देश एक सूत्र में जुड़ेगा और मजबूती के साथ कांग्रेस का हाथ पकड़ आगे बढ़ेगा।

प्रियंका गांधी का यह दावा सटीकता के पैमाने पर कितना खरा उतरता है, यह तो आने वाले समय में इन राज्यों में होने वाले चुनावों के रण की जीत के बाद ही साफ होगा। हालांकि ये कहने में कोई दो राय नहीं है कि भारत जोड़ो यात्रा से राहुल गांधी अपनी पुरानी छवि को तोड़कर एक नई छवि बनाने में कामयाब होते दिख रहे हैं और लोगों के बीच एक गंभीर राजनेता के तौर पर उभर कर सामने आ सकते हैं।

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वोट बैंक साधने की नीति पर राहुल गांधी

राहुल गांधी अपनी इस भारत जोड़ो यात्रा में लोहियावादी, वामपंथी, समाजवादी संगठनों के साथसाथ कांग्रेस के आलोचक और समाज के हर वर्ग के लोग इस से जुड़ने के लिए आमंत्रण पत्र भी भेज रहे हैं। खास बात यह है कि इन सभी दलों से जुड़े हर समाज, हर वर्ग के लोग इसका हिस्सा भी बन रहे हैं।

23 नवंबर को राहुल गांधी अपनी इस यात्रा में भारत के दिल मध्यप्रदेश में एंट्री कर चुके हैं। बता दें कि अगले साल मध्य प्रदेश में चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में इसे ध्यान में रखते हुए वह प्रदेश में पहले उज्जैन में महाकाल मंदिर जाएंगे। इसके बाद नर्मदा पूजन कर ब्राह्मण समाज को साधने का प्रयास करेंगे। आखिर में वह प्रदेश में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जन्म स्थली महू में दलित और आदिवासी वोटरों को भी लुभाने की भी कोशिश करेंगे।

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