जब से केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार की खबर सामने आई है, सियासी गलियारों में अटकलों और कयासों का दौर लगातार जारी है। बता दें कि पिछले दिनों जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह द्वारा जबसे जदयू को भी मंत्रिमंडल विस्तार में जगह देने की बात कही गयी है , बिहार का सियासी तापमान अपने चरम पर है।
पिछली बार भी सरकार गठन के समय जदयू को मंत्रिमंडल में शामिल होने का ऑफर दिया गया था , लेकिन जदयू ने यह कहते हुए इस ऑफर को ठुकरा दिया था कि मंत्रिमंडल की भागीदारी में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं है लेकिन इस बार जदयू की ओर से मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल होने की इच्छा जताने के बाद राजनीतिक सरगर्मियों बढ़ गयी है। कहा जा रहा है कि जदयू को इस बार पिछली बार की तुलना में ज्यादा सीटों का ऑफऱ किया जा सकता है। वहीं बीजेपी के भी कई नेताओं की नाम की चर्चा राजनीतिक गलियारों में कई जा रही है।
क्या जदयू मंत्रिमंडल विस्तार में जातीगत समीकरण साधने की कोशिश कर रही है??
राजनीति में जातिगत समीकरणों को साधने की हर बार कोशिश की जाती रही है क्योंकि राजनीति में जातियों काफी महत्वपूर्ण रही हैं , खासकर बिहार और यूपी की राजनीति में , जहाँ हमेशा से जातिगत राजनीति का बोलबाला रहा है। इसीलिए NDA के घटक दल जदयू भी मंत्रिमंडल विस्तार के जरिये अपनी जातिगत समीकरण को साधने में लग गयी है।
चर्चा है कि जेडीयू को एक से अधिक सीटों का ऑफर मिला है। हालांकि, सूत्रों के अनुसार पार्टी दो कैबिनेट और एक राज्यमंत्री के सीट की मांग कर रही है। इसके जरिए वह सवर्ण के साथ लव-कुश समीकरण को साधने की कोशिश कर सकता है। पिछली बार कैबिनेट विस्तार के समय जेडीयू से आरसीपी सिंह को मंत्री बनाने की चर्चा थी लेकिन इस बार जेडीयू से आरसीपी सिंह के साथ-साथ ललन सिंह व संतोष कुशवाहा के नाम की भी चर्चा है। माना जा रहा है कि आरसीपी सिंह व संतोष कुशवाहा के माध्यम से लव-कुश समीकरण तो ललन सिंह के जरिए सवर्ण, खासकर भूमिहार वोटों को साधने की कोशिश की जाएगी।
इधर बीजेपी इकाई में भी हलचल तेज
मोदी मंत्रिमंडल में विस्तार को लेक्क़र भाजपा की बिहार राज्य इकाई में भी हलचल काफी तेज ही गयी है। चर्चा यह है कि भाजपा कोटे के बिहार के मंत्रियों की उपयोगिता की समीक्षा की जा रही है। मंत्रिमंडल में बिहार भाजपा के सांसदों की भागीदारी बढ़ाने या अनुपयोगी मंत्रियों को हटाने की कार्रवाई भी की जा सकती है। सूत्रों के मुताबिक, बिहार भाजपा के किसी नए चेहरे की नाम की घोषणा हो सकती है।
फिलहाल उपमुख्यमंत्री रह चुके सुशील कुमार मोदी तथा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल के नाम की चर्चा है। सुशील मोदी को बिहार की राजनीति से हटाकर केंद्र में शिफ्ट किए जाने की काफी लंबे वक्त से ही चर्चा होती रही है, उन्हें केंद्र में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। वहीं डॉ. संजय जायसवाल को बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी के अच्छे प्रदर्शन कर इनाम मिल सकता है। अगर डॉ. संजय जायसवाल केंद्र सरकार में गए तो बिहार बजेपी अध्यक्ष का बदलाव भी तय हो जाएगा क्योंकि भाजपा में एक आदमी , एक पद का सिस्टम है।
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