petrol diesel crisis: देश के इन राज्यों में डीजल-पेट्रोल की भारी किल्लत, सुख रहे हैं पेट्रोल पंप, ये है वजह 

petrol diesel crisis: देश में डीजल और पेट्रोल की किल्लत(petrol diesel shortage) होती जा रही है जिसका नतीजा है कि कई पेट्रोल पंप सूखे पड़े हैं। सरकार में इंधन की रेट स्थिर रखने के लिए तेल कंपनियों को चुपचाप आदेश दिया है, जिसने डीरेगुलेटेज ईंधन कारोबार को बाधित कर दिया। अब डोमेस्टिक सेलिंग निजी व्यापारी को आकर्षक एक्सपोर्ट मार्केट में बदल रहे हैं हम नुकसान को कम करने हेतु पब्लिक सेक्टर के खुदरा रिटेलर्स को कम करने के मकसद से प्रतिबंधात्मक इस्तेमाल अपनाने को बढ़ावा दे रहे हैं। जिसका नतीजा है कि देश के अलग-अलग हिस्सों में डीजल और पेट्रोल के किल्लत हो रही है।

इन राज्यों डीजल-पेट्रोल की भारी किल्लत

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया में ईंधन की कमी नहीं है लेकिन फर्जी कमी कंपनियों के द्वारा पैदा किया जा रहा है। निजी कंपनी ऐसा इसलिए कर रही है क्योंकि लाभ को बढ़ाया जा सके। उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, पंजाब, राजस्थान और हरियाणा के छोटे शहरों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में सप्लाई में कमी हो रही है। विशेष रुप से वैसे पेट्रोल पंप जो हिंदुस्तान पैट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड एवं भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड के अधीन संचालन किया जा रहा है। नयारा एनर्जी और रिलायंस जैसे प्राइवेट पेट्रोल पंपों में डीजल और इंजन की भारी किल्लत महसूस की जा रही है। आलम तो यह हो गया है कि कई पेट्रोल पंप सूख गए हैं।

इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड के बारे में कहा जा रहा है कि उसके पास पर्याप्त मात्रा में स्टॉक है। बुआई के दिनों में खास तौर पर किसानों को ईंधन के रूप में डीजल की आवश्यकता होती है, जिसके लिए उन्हें लंबा सफर करना पड़ रहा है। एचसीपीएल, आईओसी और बीपीसीएल  तकरीबन 90 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी के साथ एकतरफा फायदा उठा रहे हैं। यह पब्लिक सेक्टर की तेल विपणन कंपनियां रेट के निर्धारण को प्रभावी तरीके से कंट्रोल करती है। नाम ना छापने की शर्त पर व्यक्तिगत रूप से रिफायनिंग कंपनी में कार्यरत कर्मचारी ने बताया कि भले ही डीजल और पेट्रोल को सैद्धांतिक तौर पर घरेलू दलों को विश्व की कीमतों के साथ जोड़ लेते हैं। इनके रेट निर्धारण का निर्णय निजी खिलाड़ियों को बाहर कर देता है।

इस वजह से डीजल और पेट्रोल की कमी

16 जनवरी तक कंपनी पेट्रोल पर प्रति लीटर 19.7 एवं डीजल पर प्रति लीटर 31.9 रुपए के राजस्व की नुकसान उठा रही थी। कोई भी प्राइवेट कंपनी इतना क्षति नहीं उठा सकता‌। सरकार के कंपनियों को जानकारी होती है हानि होने की स्थिति में सरकार उन्हें सहारा देगी। इस मामले की जानकारी रखने वाले अक्सर कहते हैं कि घाटा कम करने हेतु सरकारी कंपनियां विभिन्न तरीके अपना रही हैं। इन उपायों में डिपो से पेट्रोल पंप तक इंधन की सप्लाई कम करना एवं पंप मालिकों को वर्किंग क्रेडिट पर सप्लाई करना शामिल है। हालांकि सरकार कहा है कि डीजल और पेट्रोल की कमी देश में नहीं है। साथ ही कर्नाटक, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे कुछ स्टेट्स के अलग-अलग जगहों पर डीजल और पेट्रोल की मांग में बढ़ोतरी हुई है।