भारत में पिछले कई महीने से पेट्रोल और डीजल की कीमत बढ़ी हुई है। कच्चे तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए भारत की सरकार बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तर्ज पर अपने रणनीतिक तेल भंडार से कच्चे तेल निकालने की संभावनाओं पर विचार कर रही है। सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा सोमवार को जानकारी दी गई कि भारत भी अपने रणनीतिक तेल भंडार से निकासी के लिए विचार कर रहा है। हालांकि, सरकार की तरफ से अभी इसके लिए अभी कोई समयसीमा निर्धारित नहीं की गई है।
अधिकारी ने नाम जाहिर ना किए जाने की शर्त पर कहा कि इसके लिए सरकार प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों से लगातार संपर्क बनाए हुई है। उन्होंने यह भी बताया कि सम्बंधित देशों से ताल मेल बनाकर रणनीतिक भंडार से तेल की निकासी करेगी। बता दे कि पिछले दिनों तेल निर्यातक देशों के समूह ओपेक द्वारा कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने जाने के अनुरोध को खारिज कर दिया गया था, जिसके बाद अमेरिका ने प्रमुख तेल उपभोक्ता देशों को अपने रणनीतिक भंडार से कुछ तेल निकालने का सुझाव दिया है। अमेरिका ने भारत सहित चीन और जापान से भी यह अनुरोध किया है।
कच्चे तेल के दाम बढ़ने से भारत पर काफी असर पड़ा है
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती हुई कीमत का प्रत्यक्ष प्रभाव भारत पर पड़ा है। भारत दुनिया का तीसरा बड़ा तेल उपभोक्ता देश है, जिसके कारण विदेशी मुद्रा का एक बड़ा हिस्सा तेल आयात पर खर्च हो रहा है। अमेरिकी कदम के बाद ब्रेंट क्रूड के भाव 78.72 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर आ गए हैं जो दस दिन पहले तक 81.24 डॉलर प्रति बैरल पर थे। बता दें कि भारत के पास 53.3 लाख टन का कच्चे तेल का रणनीतिक तेल भंडार है।
फिर घट सकती हैं कीमत
खबरों के मुताबिक, घरेलू ईंधन खुदरा विक्रेता पेट्रोल और डीजल की कीमतों को घटा सकते हैं क्योंकि यूरोप में कोविड मामलों में एक बार फिर से तेजी जा रही है। कोविड संक्रमण के कारण पिछले साल अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट दर्ज की गई थी। एक बार फिर से कोविड संक्रमण का असर तेल के दामों में कमी के रूप में देखने को मिल सकता है।
शुक्रवार को बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड 6.95 प्रतिशत गिरकर 78.89 डॉलर प्रति बैरल हो गया, बता दे कि 10 दिन पहले तक यह 84.78 डॉलर प्रति बैरल था। फिलहाल सम्भावना जताई जा रही कि आम आदमी को जल्द ही तेल की कीमतों में एक रुपये प्रति लीटर की कटौती देखने को मिल सकती है।